संस्कृत भारती बाँसवाड़ा द्वारा इन दिनों प्रत्येक शनिवार शाम 7 बजे जूम प्लेटफार्म पर चलाये जा रहे गीता के ऑनलाइन स्वाध्याय में लोकरुचि बढती जा रही है। जूम मिटींग माध्यम से दूरस्थ समुपासकों द्वारा गीता का आदर्श अनुकरण वाचन किया जा रहा है। शनिवार को सांख्ययोग नामक दूसरे अध्याय के आत्मतत्त्व विवेचन पर गीताशिक्षणकेन्द्रम् के निर्देशक डॉ. राजेश जोशी ने आठ-आठ अक्षरों के चार चरणों वाले अनुष्टुप छन्द का संगीतमय अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि गीता के समवेतगान में जीवसृष्टि कल्याण की भावना निहित है। यदि भाव और भक्ति से गीता के श्लोकों का सही उच्चारण हो तो अर्थ की आवश्यकता नहीं है। संस्कृत श्लोकों के अभ्यास से शुद्ध उच्चारण में गति आती है और बोलने की कला बढती जाती है। गीता का एक-एक श्लोक आज के विषम वैश्विक वातावरण में भगवान् का अनुपम और अद्वितीय पाथेय है। खासकर सांख्ययोग नामक दूसरे अध्याय में श्रीकृष्ण द्वारा दिये गए आत्मा की अमरता के महान् सनातनी सिद्धांत का वागड के जनजातीय समाज में व्यापक असर है। विषयवासनाओं में भटकते मन को रोककर उसे एकाग्र करने में गीता के श्लोकों का विश्वसाहित्य में कोई मुकाबला नहीं कर सकता है। गीताशिक्षण केन्द्र के सारस्वत अतिथि शिक्षाविद गजेन्द्र आचार्य ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों पर अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि गीता वैयक्तिक, पारिवारिक और समाज जीवन से जुड़े आदर्श आचरण की शिक्षा देती है। बडौदा से अध्यात्मविद् भूपेश पाठक ने कहा कि सनातन में तर्क वितर्क को शास्त्रार्थ की श्रेणी में रखकर मान्यता दी गई है। पाठक ने कहा कि प्रश्न ही सही मार्ग को खोजने का प्रयास है। उन्होंने सनातन संस्कृति के पुनरुत्थान की दिशा में प्रत्येक शनिवार श्रीमद्भगवद्गीता के ऑनलाईन शिक्षण में अधिकाधिक सहभागी बनने का आह्वान किया। संस्कृत में संचालन करते हुए संयोजक लोकेश जैन गनोडा ने संस्कृतभारती के निहितार्थ से अवगत कराया। सहसंयोजक खुश व्यास ने ऑनलाइन गीताशिक्षणकेन्द्रम् से जुडे महानुभावों और छात्र-छात्राओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कल्याण मंत्र का गान किया। संस्कृत भारती के विभाग संयोजक भरत शर्मा ने बताया कि शनिवार के सायंकालीन गीता कालांश में वागड के युवा स्वरुचि से भाग ले रहे हैं। शनिवार को गीता के नित्य स्वाध्यायी हरिशंकर पुरोहित, राहुल अग्रावत, उदयपुर से हरिनारायण मेनारिया, यज्ञदत्त द्विवेदी, गोपाल पंचाल, महेश पंचाल छींछ आदि वर्चुअल रूप से जुड़े। स्कूल और महाविद्यालय के छात्र भी गीता की वर्चुअल क्लास का लाभ ले रहे हैं। सभी ने गीता के श्लोकों का समवेत स्वरों में गान करते हुए प्रत्येक शनिवार शाम 7 बजे ऑनलाइन जुडने की प्रतिबद्धता प्रकट की।