भीलवाड़ा की धरा ने रचा भक्ति का नया इतिहास, बागेश्वर बालाजी के दिव्य दरबार में उमड़ा आस्था का अपार सैलाब 

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Published on : 09 Nov, 24 07:11

 बगेश्वरधाम सरकार के दिव्य दरबार में भक्तों की लगी अर्जिया, पर्चे पर पहले से लिखी थी मन की बात ओर समाधान 

भीलवाड़ा की धरा ने रचा भक्ति का नया इतिहास, बागेश्वर बालाजी के दिव्य दरबार में उमड़ा आस्था का अपार सैलाब 

भीलवाड़ा। धर्मनगरी भीलवाड़ा की पावनधरा पर शुक्रवार को भक्ति का नया इतिहास रचा गया। विख्यात आध्यात्मिक गुरू व कथावाचक बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज के सानिध्य में पांच दिवसीय हनुमन्त कथा के तीसरे दिन बागेश्वर बालाजी का दिव्य दरबार लगा तो आस्थावान श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब उमड़ा कि एक लाख से अधिक की क्षमता वाला विशाल पांडाल भी छोटा प्रतीत हुआ। हर वर्ग ओर हर समाज, शहर ओर गांव हर जगह से भक्तोे का अपार जनसमूह उमड़ा तो सब भेद मिट गए। न कोई छोटा था न कोई बड़ा था, न कोई सामान्य था न कोई वीआईपी था सभी एक समान केवल हनुमानजी महाराज के भक्त थे। जहां तक नजर पहुंचे केवल भक्त ही भक्त दिख रहे थे। भीलवाड़ा के इतिहास में पहली बार किसी धार्मिक-सामाजिक आयोजन में इतना जनसमूह उमड़ा। दिव्य दरबार में अर्जी लगने की आस लिए ओर उसका साक्षी बनने की तमन्ना से जिले के ही नहीं राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों ओर आसपास के प्रदेशों से भी हजारों भक्त भीलवाड़ा पहुंचे थे। श्री टेकरी के हनुमानजी कथा समिति के तत्वावधान में दिव्य दरबार बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज के कथा संरक्षक काठिया बाबा आश्रम के महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के साथ मंच पर पहुंचने के बाद शुरू हुआ पर उससे पहले ही हजारों भक्तगण तेरापंथनगर के पास कुमुद विहार विस्तार में आरसीएम ग्राउंड कथास्थल पहुंच चुके थे। बागेश्वर सरकार ने सबसे पहले व्यास पीठ को नमन किया ओर उसके बाद दिव्य दरबार का मंच सजाया। उन्होंने जिनकी अर्जी स्वीकार हुई उनको एक के बाद एक पुकाराना शुरू किया ओर समस्या पूछी तो पहले से लिखे पर्चे में वहीं बात सामने आने पर अर्जी लगाने वाले मंच से ही बागेश्वर बालाजी के जयकारे लगाने लगे। बागेश्वरधाम सरकार ने पर्चे में अर्जी लगाने वाले की मनोकामना या समस्या लिखी होने के साथ उसका समाधान भी बताया पांडाल में मौजूद लाखों भक्तगण भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर जयकारे गूंजायमान करते रहे। जिनकी अर्जी स्वीकार हुई उनमें कुछ भीलवाड़ा से थे तो कुछ बाहर से आए हुए भक्त थे। मंच से शास्त्रीजी महाराज ने जिस तरह भीड़ के बीच किसी कोन में बैठे व्यक्तियों को जिस तरह आवाज देकर बुलाया उससे जिनको बुलाया गया उन्हें एक पल विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि उनकी मनोकामना पूरी होने या समस्याओं का समाधान मिलने का समय आ गया है। मंच पर बागेश्वरधाम सरकार के श्रीचरणों में पहुंचते ही कोई अपने मन की बात उनके पर्चे में पहले से लिखी देख भावुक नजर आया तो कोई श्रद्धा से ओतप्रोत होकर नमन करता दिखा। उन्होंने वहां मौजूद पत्रकारों से भी तीन ऐसे भक्त अर्जी के लिए लाने को कहा जिसे कोई जानता पहचानता नहीं है। ऐसे भक्तों के पर्ची भी पहले से लिखी हुई थी ओर वहीं मन की बात उसमें आई तो श्रद्धालुओं की आस्था की कोई सीमा नहीं रही। करीब तीन घंटे तक चले दरबार के अंत में बागेश्वरधाम सरकार ने प्रेत बाधाओं से पीड़ितों को मंच के समक्ष बुला उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हुए विश्वास दिलाया कि जहां बालाजी की कृपा होती है वहां भूत पिशाच का कोई काम नहीं होता है।ऐसे पीड़ितों को भभूत भी प्रदान की गई ओर राम नाम का मंत्र जपने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा के इतिहास में पहली बार भगवान के पागलो का ऐसा जनसमूह एकत्रित हुआ है। पांडाल में जगह नहीं हो तो क्या दिल में जगह होनी चाहिए।  

 सामूहिक अर्जी लगा सबके लिए सुख शांति की कामना 

बागेश्वरधाम सरकार ने दिव्य दरबार सम्पन्न करने से पहले कहा कि वह बालाजी के समक्ष सबकी सामूहिक अर्जी लगा रहे है कि सभी भक्त निरोगी रहने के साथ उनके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि रहे। उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई सिद्धी व चमत्कार नहीं है केवल गुरूजी का आशीर्वाद है। ये हनुमानजी बागेश्वर बालाजी का बल है हमारा नहीं है। जिनकी अर्जी यहां लग गई उन्हें 21 बार बागेश्वरधाम पहुंच बालाजी के चरणों में अर्जी लगानी है। जिनकी मनोकामना पूर्ण हुई उन्हें मंगलवार को ओर उनकी जिनकी समस्याएं थी उन्हें शनिवार को आना है। जो पर्चा उन्हें दिया गया है उसे संभालकर रखना है ओर जब भी बागेश्वरधाम जाए साथ ले जाना है। पर्चे में सबसे नीचे जो मंत्र लिखा होगा उसकी प्रतिदिन पांच बार माला फेरनी है। अर्जी लगाने वालों को लहसून, प्याज, मांस, मदिरा आदि का सेवन भी नहीं करना है। 

 जहाजपुर में बेवाण फिर अपने धाम में स्थापित होंगे 

जहाजपुर के एक भक्त की अर्जी स्वीकार हुई ओर मंच पर बुलाया तो उसने कहा कि मेरे मन की भावना है कि जो बेवाण मंदिर से निकलने के बाद अपने निजधाम में अब तक नहीं पहुंच पाया है वह पुनः वहां स्थापित हो। इसी तरह बात बागेश्वर सरकार की पर्ची में भी लिखी देख वह भावुक हो गया। बागेश्वर सरकार ने कहा कि हम यहीं प्रार्थना करेंगे कि इसकी मनोकामना जल्द पूरी हो। सभी सनातनी हिन्दू संगठन प्रशासन के साथ बैठ एकता का बल दिखा ठाकुरजी को स्थापित कराए ओर हमारी अर्जी स्वीकार हो। 
  
 हमारा सौभाग्य भारत जैसा वतन ओर सनातन जैसा धर्म पाया 

दिव्य दरबार सम्पन्न होेने के बाद श्री हनुमन्त कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ से बागेश्वरधाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने सनातन धर्म की महिमा बताते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि मनुष्य तन पाकर भारत जैसा वतन ओर सनातन जैसा धर्म पाया है। उन्होंने बताया कि हनुमानजी को जो आठ सिद्धिया मिली हुई है उनका उपयोग किस तरह होता है। मन बड़ा खतरनाक होता है। कामनाओं की जितनी पूर्ति करेंगे वह उतनी ही बढ़ती जाएगी। कामनाओं व वासनाओं से बचने का एक ही उपाय है जो प्राप्त है वह पर्याप्त है। जो अपने पास है उसमें मुस्कराते हुए भगवान को धन्यवाद दे इससे कामनाओं पर नियंत्रण हो सकेगा। चार दिन की जिंदगी मुस्करा के जीओ इससे खुशी व आनंद की प्राप्ति होगी। जो मिला है वह कम नहीं है ओर जो नहीं मिला उसका गम नहीं है। जो अपने मान का मर्दन स्वयं कर दे उसे हनुमान कहते है। वह ज्ञानवान,विद्यावान, बलवान व गुणवान भी है। 

 व्यास पीठ की हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने की आरती 

श्री हनुमन्त कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ पर बागेश्वरधाम सरकार के विराजित होते ही पांडाल जय बालाजी महाराज की,जय बागेश्वर सरकार की उद्घोष से गूंजायमान हो उठा। महन्त श्री बनवारीशरण काठियाबाबा के सानिध्य में व्यास पीठ की आरती करने वालों में आयोजन समिति के अध्यक्ष विधायक गोपाल खण्डेलवाल, पूर्व मंत्री अनिता भदेल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रशान्त मेवाड़ा के साथ विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, दुर्गावाहिनी जैसे हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे। बागेश्वरधाम सरकार ने हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं की सेवाओं की सराहना करते हुए उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। भव्य व एतिहासिक दिव्य दरबार के आयोजन की व्यवस्थाओं को सफल बनाने में अध्यक्ष गोपाल खण्डेलवाल, संरक्षक त्रिलोकचंद छाबड़ा, प्रकाशचन्द छाबड़ा, महावीरसिंह चौधरी,कैलाशचन्द्र कोठारी, उमरावसिंह संचेती, सम्पतराज चपलोत, संयोजक आशीष पोरवाल, महासचिव श्यामसुंदर नौलखा, कोषाध्यक्ष राकेश दरक, उपाध्यक्ष कैलाशचन्द्र योगेश लड्ढा, चितवन व्यास, नवनीत सोमानी, राधेश्याम बहेड़िया, बनवारीलाल मुरारका, दिनेश नौलखा, मुकेश खण्डेलवाल, दिनेश बाहेती, सचिव हेमेन्द्र शर्मा, सहसचिव राजेन्द्र कचोलिया, संयुक्त सचिव दिलीप काष्ट, सचिन काबरा, राजकमल अजमेरा, धर्मराज खण्डेलवाल, कांतिलाल जैन, उज्जवल जैन, तेजसिंह पुरावत, देवीलाल जाट आदि के साथ सैकड़ो सेवादारों व भक्तों ने अहम सहयोग प्रदान किया।
 


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