विद्यापीठ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम हुए निर्धारित

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Published on : 27 Oct, 24 11:10

नैक की तैयारियां जोरों पर

विद्यापीठ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार पाठ्यक्रम हुए निर्धारित

 

एकेडमिक काउंसिल की बैठक आयोजित

 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा निर्धारित शैक्षणिक सुधारो को लागु कर राष्ट्र विकास में विश्वविद्यालय उचित योगदान दे सकते है। विद्यापीठ सदैव उचित शिक्षा का पक्षधर रहा है और इसी को दृष्टिगत करते हुए युवाओ को रोजकर प्राप्त हो यही हमारी शिक्षा का ध्येय है, यह बात प्रताप नगर स्थित जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ द्वारा कुलपति सचिवालय सभागार में आयोजित एकेडमिक काउंसिल की बैठक में अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो कर्नल एस. एस. सारंगदेवोत ने कही। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ में आउटकम आधारित शिक्षा तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार वर्ष में दो बार प्रवेश प्रक्रिया की जाएगी। 

प्रो सारंगदेवोत ने कहा कि इसी प्रकार कृषि शिक्षा के क्षेत्र में छठी डीन कमेटी द्वारा प्रस्तावित बदलावों को भी लागु किया गया है। विद्यापीठ में जल्द प्रतिवर्ष की भांति एकेडमिक व प्रशासनिक ऑडिट जल्द ही कराई जाएगी। इसी के साथ कौशल विकास ,नैतिक व मानवीय मूल्य , सतत विकास और पर्यावरण आधारित विभिन्न शॉर्ट टर्म पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी विभागों को इंस्टिट्यूट डेवलपमेंट प्लान बनाना आवश्यक होगा जिसमें आने वाले 10 वर्षों का रोड मैप रहेगा। 

पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में भी यूजीसी के अनुरूप नवीन मापदंड लागू होंगे। इसमें पिछले तीन शैक्षणिक सत्रों के विद्यार्थियों के डेटा भारत सरकार की एबीसी पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे जो कि सीधे विद्यार्थी के डिजिलॉकर अकाउंट से जुड़े होंगे।

विद्यापीठ द्वारा प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना को भी लागू किया गया है और प्रायोगिक आधारित पाठ्यक्रमों के तहत चौथे सेमेस्टर में इंटर्नशिप तथा आठवें सेमेस्टर में डिजरटेशन प्रस्तुत करने होंगे। इस तरह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में भी शोध कार्य अनिवार्य रहेगा l आंतरिक परीक्षा प्रणाली और अंको में भी आवश्यक सुधार किए गए हैं। भारतीय ज्ञान प्रणाली सभी पाठ्यक्रमों में जुड़ी रहेगी। इसके अंतर्गत शिक्षकों को एक रिकॉर्ड बुक बनानी होगी जिसका विशेषज्ञ द्वारा समीक्षा की जाएगी।

सेमेस्टर वर्ष के अंत में सभी क्रियाकलापों में आधारभूत संरचना व शैक्षणिक कार्यकलापों आदि के रिकॉर्ड तैयार किए जाएंगे, जिसकी समीक्षा होगी। प्रत्येक विभाग को वर्ष में दो बार एल्यूमिनी मीट करनी आवश्यक रहेगी। परीक्षा विभाग का पूर्ण रूप से ऑटोमेशन करवाया जाएगा तथा विद्युत संरक्षण हेतु  सौर ऊर्जा आधारित संयत्र लगवाए जायेंगे। 

अंत में धन्यवाद आभार कुलसचिव डॉ तरुण श्रीमाली ने ज्ञापित किया।

इस अवसर पर कुलसचिव डॉ तरुण श्रीमाली, डीन पीजी प्रो जीएम मेहता, आमंत्रित सदस्य डॉ रश्मि बोहरा, परीक्षा नियंत्रक डॉ पारस जैन अकादमिक इंचार्ज डॉ हेमेंद्र चौधरी , आईक्यूएसी निदेशक डॉ युवराज सिंह राठौर सहित सभी डीन डायरेक्टरर्स व अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।

 

 

 

 


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