पंचायत समिति सभागार जैसलमेर में शामलात की पुन

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Published on : 25 Oct, 24 13:10

स्थापना पर एक दिवसीय रिफ्रेशर प्रशिक्षकों का हुआ प्रशिक्षण सम्पन्न

पंचायत समिति सभागार जैसलमेर में शामलात की पुन

जैसलमेर । पंचायत समिति सभागार जैसलमेर में शामलात की पुनःस्थापना के लिए जिला परिषद जैसलमेर, आईटीसी मिशन सुनहरा कल, बंजर भूमि एवं  चारागाह बोर्ड फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के सयुक्त तत्वाधान में सयुक्त क्षमतावर्धन के लिए पंचायत समिति जैसलमेर के सभागार में शुक्रवार को एक दिवसीय रिफ्रेशर प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया । 

इस दौरान नरेगा के वार्षिक कार्य योजना 2025 -26 की योजना बनाने के लिया महात्मा गाँधी नरेगा योजना के तहत ग्राम सभा में  चारागाह भूमि पर प्रस्ताव लेने पर  पर चर्चा करने  के लिए  सहायक अभियंता चंपालाल ने कहा कि जैसलमेर में बंजर भूमि पर चारागाह  विकास की विपुल संभावनाएं है। इसलिये इस दिशा में इनको कार्य करने की बहुत ही  आवश्यकताएं है। महात्मा गांधी नरेगा योजना अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत से चारागाह विकास के कार्य वर्ष 2025- 26 से प्लान जुडाकर आवे। जिसमें हम सबकी भूमिका महत्वपूर्ण है। जैसलमेर जिला पशु बाहुल्य क्षेत्र है।उन्होंने कहा कि वे क्षेत्र में  एफ ई एस के विषय विशेषज्ञ द्वारा जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उसको गहनता से समझ कर हमें धरातल पर इसकी सार्थकता को साबित करना है।

प्रशिक्षण के अवसर पर एफ ई एस से क्षेत्रीय  समन्वयक संतोष कुमारी ने त्रिस्तरीय  बंजर भूमि एवं चारागाह विकास समिति पर चर्चा करते हुए नियमित  बैठके करने की जरूरत है। इसमें जिले स्तर पर हर तीन महीने मंथन होना चाहिए । उन्होंने प्रशासन को नियमित जुड़कर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने नरेगा से भू वन ऐप ओर नरेगा की तकनीकी कार्य पर प्रशिक्षण दिया गया।  मघाराम कड़ेला ने पिछले तीन वर्ष से शामलात पर क्षमतावर्धन कार्यक्रम  सयुक्त प्रयास का ब्यौरा बताया गया। जिसमें सरकार और जन समुदाय के प्रयास को भी बताया गया। जिसमें पंचायतीराज 1996 के नियम 170 (1) के तहत चारागाह विकास समितियों को सुदृढिकरण की ज़रूरत पर प्रकाश डाला गया।

इस मौके पर एफ ई एस से फूली देवी ने जैसलमेर के जीव जंतु, घास मैदान,चारागाह, परिस्थिकरण का कैसे मजबूती मिले उस पर चारागाह विकास क्यों जरूरी है। हमे इनको आगे कैसे ले जाना होगा। जिसमें बीज संग्रहण विधियों, चारागाह विकास के तकनीकी विधियों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही इतिहासकार पार्थ जगानी ने पारंपरिक जैसलमेर के घास मैदानों को बताते हुए सेवन ,धामण, मुरट, स्थानीय घास का विस्तार से बताया गया। उन्होंने कहा कि जैसलमेर एक  मरुस्थल न होकर घास मैदान है। इसमें पंचायत समिति से सहायक विकास अधिकारी, तकनीकी सहायक, वन विभाग, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग, स्वयं सेवी संस्थाएं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


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