युगधारा का धींग एवं भवदत्त महता सम्मान समारोह संपन्न

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Published on : 24 Oct, 24 01:10

युगधारा का धींग एवं भवदत्त महता सम्मान समारोह संपन्न


उदयपुर, 23 अक्टूबर//   राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर एवं युगधारा साहित्यिक सांस्कृतिक एवं वैचारिक मंच उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में गीतकाव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस आयोजन में जनार्दन राय नागर विद्यापीठ के कुलपति प्रो कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत साहब एवं राजस्थानी साहित्य एवम् संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ देव कोठारी का सारस्वत सान्निध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता युगधारा संस्थाअध्यक्ष किरण बाला 'किरण' ने की। राजस्थान साहित्य अकादमी सचिव डॉ बसंत सिंह सोलंकी का विशिष्ट आतिथ्य रहा। पुरस्कार समिति एवं समारोह संयोजक डॉ दिलीप धींग एवं अनिल महता जी के संयोजन में शानदार आयोजन हुआ। अशोक जैन 'मंथन' के सुंदर संचालन में युगधारा संस्था गीत के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई स्वागत उद्बोधन उपाध्यक्ष प्रकाश तातेड़ ने दिया एवं धन्यवाद उपाध्यक्ष निर्मल गर्ग ने व्यक्त किया। संस्थापक डॉक्टर ज्योतिपुंज ने बताया कि श्री कन्हैया लाल धींग  राजस्थानी पुरस्कार,  श्रीमती उमराव देवी धींग साहित्योदय पुरस्कार दो वर्षों के प्रदान किए गए। इस वर्ष से श्री भवदत्त महता स्मृति युगधारा पुरस्कार प्रारंभ किया गया। श्री कन्हैया लाल धींग राजस्थानी पुरस्कार वरिष्ठ साहित्यकार तरुण दाधीच एवं श्रेणी दान चारण उनकी पत्नि श्रीमती विजय लक्ष्मी देथा को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। श्रीमती उमराव देवी धींग साहित्योदय पुरस्कार नवलेखन हेतु  डॉ रेखा खराड़ी एवं चेन्नई निवासी अलंकार आच्छा को प्रदान किया गया। श्री भवदत महता स्मृति युगधार का प्रथम पुरस्कार स्थापित कवि एवं गीतकार नंदू राजस्थानी को प्रदान किया गया। साहित्यकारों को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति पत्र, नकद राशि, शॉल , पगड़ी, जपमाला, पेन, साहित्य प्रदान कर  सम्मानित किया गया। श्राविकारत्न उमरावदेवी धींग की स्मृति में "जैन दिवाकर रजत पदक" और प्रमाण-पत्र के साथ विद्यार्थी सम्मान बम्बोरा निवासी मूमल चौहान, मयंक नलवाया एवं उदयपुर निवासी वत्सल जारोली को प्रदान किया गया। सम्मानित होने वाले कवियों एवं प्रणत धींग ने गीत एवं कविता प्रस्तुत की। डॉ दिलीप धींग, अनिल महता एवं प्रणत धींग का युगधारा द्वारा सम्मान किया गया।
इस अवसर पर कुलपति सारंगदेवोत जी ने कहा कि साहित्य आत्मा से उद्भव  भाव है, आत्मा से लेखन हो। पुरस्कार और सम्मान सृजनकर्ता में विशेष उत्साह का एवं प्रेरणा का संचार करते हैं। साहित्य सेवा हेतु अग्रसर करते हैं। डॉ देव कोठारी जी ने कहा कि युगधारा संस्था साहित्यकारों में सक्रियता बनाए रखती है। प्रत्येक रविवार की गोष्ठी होने से नवलेखन अधिक हो रहा है। मेवाड़ के साहित्यकारों को गद्य विधाओं की ओर सृजन हेतु प्रेरित किया। युगधारा की कार्यकारिणी से महासचिव डॉ सिम्मी सिंह, सचिव दीपा पंत, श्याम मठपाल लोकेश चौबीसा, सुनीता सिंह,  डॉ शकुंतला सोनी, ब्रजराज सिंह जगावत मौजूद रहे।  राजस्थान साहित्य अकादमी के पुस्तकालय भवन में हुए इस विशिष्ट आयोजन में उदयपुर जिले के कई साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने अपनी उपस्थिति दी। जिसमें मुख्य रूप से डॉ सुरेश सालवी, पं नरोत्तम व्यास, पुष्कर गुप्तेश्वर, सुरेश धींग, सीमा धींग, रेणु महता, सरवत खान, शिवरतन, सीता शर्मा, स्वाति शकुन, हिम्मत सिंह उज्जवल, सूर्यप्रकाश सुहलका, आशीष सिसोदिया, हबीब अनुरागी, इकबाल सागर सुरेंद्र पोखरना, करुणा दशोरा सहित कई साहित्यकारों की उपस्थिति में यह आयोजन संपन्न हुआ।


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