पेसिफिक यूनिवर्सिटी और जी.जी.टी.यु. राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस - एआई और डिजिटलीकरण पर हुआ मंथन

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Published on : 20 Oct, 24 10:10

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पेसिफिक यूनिवर्सिटी और जी.जी.टी.यु. राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस - एआई और डिजिटलीकरण पर हुआ मंथन

उदयपुर। दक्षिण राजस्थान के प्रसिद्ध पेसिफिक विश्वविद्यालय में आयोजित हो रही 75वीं ऑल इंडिया कॉमर्स कॉन्फ्रेंस विकसित भारत 2047 का दूसरा दिन रोचक एवं नयी जानकारियों से युक्त रहा । कॉन्फ्रेंस सेक्रेटरी तथा जी.जी.टी.यु. के वाइस चांसलर प्रो. के. एस. ठाकुर ने बताया कि दूसरे दिन दो मेमोरियल तथा दो तकनीकी सत्रों में शिक्षाविदों ने सूचनाप्रद शोध पत्रों का वाचन एवं प्रस्तुतीकरण किया। इंडियन कॉमर्स एसोसिएशन की वार्षिक जनरल बोर्ड मीटिंग भी हुई जिसमें प्रो. के. एस. ठाकुर को आईसीए का प्रेसिडेंट चुना गया । मीटिंग में एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्यों ने भाग लेकर पूर्व कार्यों तथा आगामी योजनाओं पर चर्चा प्रकाश डाला। नर्जी की ओर से भारत में डिजिटल इकॉनोमी के लिए कॉमर्स एजूकेशन के ट्रांसफोर्मेशन पर एक पैनल डिस्कशन रखा गया जिसमें कम्पनी के सीईओ शरीफ एरकुलंगरा ने विचार रखे और कहा कि डिटिजल प्लेटफॉर्म और एआई के माध्यम से कॉमर्स शिक्षा में अभूतपूर्व वृद्धि की जा सकती है।

कॉन्फ्रेंस जॉइंट सेक्रेटरी तथा पेसिफिक यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट प्रो. हेमंत कोठारी ने बताया कि रविवार को सम्मेलन का समापन होगा जिसमें तीन दिवसीय चर्चा सत्रों के निष्कर्ष तथा पुरस्कारों के बारे में विवरण प्रस्तुत किया जाएगा। उदयपुर में सम्मेलन के आयोजन से देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रोफेसर्सं तथा शोधकर्त्ताओं को मेवाड़ी सभ्यता व संस्कृति से परिचित होने का अवसर मिला तथा उन्हें राजस्थानी धरोहर से रूबरू करवाने के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। साथ ही प्रो. कोठारी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व पर बोलते हुए कहा कि एआई के उपयोग से कार्य को सरल और कम समय में किया जा सकता है।

डिजिटल युग में कॉमर्स और मैनेजमेंट शिक्षा का रोडमैप पर आधारित ट्रेक की अध्यक्ष सरदार पटेल विश्वविद्यालय की प्रो. कामिनी शाह और दरभंगा बिहार के प्रो. दिवाकर झा ने कहा कि कौशल विकास के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन कई तरह के कोर्सेज उपलब्ध हैं। प्रबंधन शिक्षा में डेटा एनालिटिक्स का प्रयोग करके व्यवसायों में डेटा-चालित निर्णय लेने की क्षमता को सिखाया जा रहा है। वाणिज्य शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा डिजिटल मार्केटिंग और ई-कॉमर्स बन गया है। ब्लॉकचेन और फिनटेक जैसे विषय तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। इस तकनीक के माध्यम से वित्तीय लेनदेन को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जा रहा है। प्रबंधन शिक्षा में गेमिफिकेशन और इंटरैक्टिव लर्निंग का भी विस्तार हो रहा है।

आर्टिफिश्अल इंटेलिजेंस पर आधारित सेशन की अध्यक्षता करते हुए अन्नामलाई वि.वि. के प्रो. रामचंद्रन और श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के डॉ. एस. प्रकाश ने बताया कि आर्टिफियल इंटेलिजेंस के अवसर असीमित हैं और कई लोगों ने इसमें करियर बनाया है लेकिन इसके उपयोग में नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का ध्यान रखना आवश्यक है। यह हमारे जीवन को और अधिक सरल बना सकता है, लेकिन इसके सकारात्मक व नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिए समाज को तैयार रहना होगा।

मनु भाई शाह मेमोरियल अवार्ड सेशन के अध्यक्ष सेंट्रल युनिवर्सिटी अमरकंटक के प्रो. शेलेन्द्र सिंह और सेंट्रल युनिवर्सिटी मणिपुर के प्रो. के.टी. सिंह ने बताया कि वित्तीय साक्षरता का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने रूपयों के प्रबंधन, निवेश, बचत, ऋण और वित्तीय निर्णयों के बारे में सही जानकारी प्राप्त हो । जब ग्रामीण क्षेत्रों में लोग वित्तीय रूप से साक्षर होंगे तो वे अपनी आय को बेहतर ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं, अपनी धनराशि का उपयोग उत्पादक गतिविधियों में कर सकते हैं, और बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। वित्तीय साक्षरता उन्हें ऋण, बीमा और बचत जैसी सेवाओं का समझदारी से उपयोग करने के लिए सक्षम बनाती है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। माइक्रोफाइनेंस का ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में विशेष महत्व है क्योंकि यह उन लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुँचाता है जो बड़े बैंकों से ऋण प्राप्त नहीं कर पाते।

रिसर्च स्कॉलर अवार्ड सेशन के अध्यक्ष गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के प्रो. बलविंदर सिंह ने बताया कि पर्यावरण के प्रति भारतीय सूचीबद्ध कंपनियों में संवेदनशीलता बढ़ रही है; उनमें कार्बन उत्सर्जन में कमी, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन और हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग भी अपनाया जा रहा है। इसी सेशन की सह अध्यक्षता कर रही ठाकुर कॉलेज पनवेल की प्रो. एलिजाबेथ मैथ्यु ने कहा कि आजकल लोग अपनी सामाजिक स्थिति या प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए महंगे और ब्रांडेड वस्त्र, गाड़ियाँ तथा अन्य सामान खरीदते है जिससे उसकी संपत्ति, प्रतिष्ठा या स्टाइल का प्रदर्शन हो यह भावना अब मेट्रो शहरों से आगे बढ़कर छोटे शहरों तक बढ़ गई है। नई मांग के सृजन और इंडस्ट्री के विकास के लिए इसका सकारात्मक प्रयोग हो सकता है।


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