डॉ. प्रभात सिंघल की पुस्तक "नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान"  का लोकार्पण 

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Published on : 19 Oct, 24 13:10

डॉ. प्रभात सिंघल की पुस्तक "नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान"  का लोकार्पण 

कोटा  / हाड़ोती की महिला रचनाकारों के साहित्यिक अवदान पर लिखी गई डॉ.प्रभात कुमार सिंघल की  पुस्तक "नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान "का लोकार्पण शुक्रवार को मदर टेरेसा स्कूल में साहित्यकारों द्वारा समारोह पूर्वक किया गया। कार्यक्रम का आयोजन श्री आर के पुरम परमार्थ सेवा समिति ,सुमंगल ग्रुप और शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा के सौजन्य से साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही द्वारा आयोजित किया गया।
     वक्ताओं ने कहा यह आंचलिक महिला रचनाकारों पर लिखी राजस्थान में प्रथम कृति है। स्थापित और नवोदित रचनाकारों के मध्य सेतु का कार्य करेगी और शोध की दृष्टि से संदर्भ साबित होगी। मुख्य अतिथि ईश्वर लाल सैनी निदेशक सुमंगलम ग्रुप ने कहा कि विचारणा, धारणा, कल्पना स्त्रैण शब्द है इनकी शाब्दिक अनुभूति से रचनाकर्म होता है। यह कृति अपने समय के नारी लेखन की जागरूकता की परिणति है। आज़ का यह आयोजन लेखिकाओं के सैलाब उमड़ पड़ा हो जैसा है।
     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही रेणु गौड़ अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय गुर्जर गौड़ समाज ने कहा कि महिला चेतना और उनके सहयोग की बात हर मंच से कही जाती है। लेखक की कृति का लोकार्पण समारोह बता रहा है कि लेखिकाओं की चेतना क्या होती है। विभिन्न अंचलों से आई विभिन्न विधाओं को लिखने वाली लेखिकाओं की यह शतकीय साझेदारी मेरे जीवनकाल में कहीं देखने को नहीं मिली इसलिए आज़ का आयोजन महत्वपूर्ण है।
        विशिष्ट अथिति जितेंद्र निर्मोही ने कहा क
अपने समय की संस्कृति को कृतियां बताती है आदिकाल में लिखी गई कृतियां जो बालावबोध, रुक्का ख्यात आदि के रुप में लिखी गई उस समय की सभ्यता, संस्कृति और समाज को बताती है। आज़ की लोकार्पित कृति " नारी साहित्यिक चेतना की उड़ान" भी कालांतर में अपने परिवेश को बतायेगी।लेखक डॉ प्रभात सिंघल ने यह कृति कितने ही संदर्भों से गुजरते हुए लिखी है।यह नारी विमर्श की शानदार कृति है सच तो यह है कि यह देश के हाड़ौती अंचल में 81 लेखिकाओं के सृजन को केंद्र में रखकर लिखी गई है।जो देश के अन्य प्रांतों और अंचलों को ऐसा सृजन करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा यह कृति नहीं अपने समय का दस्तावेजीकरण है।
       मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने कहा कि यह कृति समकालीन महिला लेखन सन्दर्भों में वह सृजनात्मक पड़ाव है, जो आने वाले समय में हाड़ौती अंचल की महिला लेखन की पूर्व पीठिका निर्मित करता है। लेखक ने अपनी समीक्षात्मक दृष्टि, सर्वेक्षणात्मक कौशल और शोधात्मक वृत्ति के साथ इन महिला रचनाकारों के लेखन को उनकी विधा, भाषा, शैली, विषयवस्तु , विशेषता, इनकी सामाजिक उपयोगिता, लेखन का मर्म और सृजन के सामाजिक सरोकारों का विश्लेषण रचनाओं का समुचित उल्लेख करते हुए उकेरा है। वहीं रचना के भीतर के तत्वों को विश्लेषित करते हुए उसके मर्म को उजागर कर उनके व्यक्तित्व को समकालीन सृजन सन्दर्भों के समक्ष प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया है।
      बीज व्यक्तव्य में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि अब कोटा नगर शैक्षिक नगरी के साथ साथ साहित्यकारों का नगर भी कहलाने लगा है जिसका बहुत कुछ श्रेय जितेन्द्र निर्मोही को जाता है जिन्होंने नव युवकों के साथ साथ महिलाओं को भी नव लेखन के लिए प्रेरित किया। 
        स्वागताध्यक्ष पी. पी. गुप्ता ने कहा कि आज का यह मंच विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों का मंच है फिर भारी मात्रा में लेखक और लेखिकाओं की भागीदारी में इसका हृदय से स्वागत करता हूं। योगेंद्र शर्मा, जयपुर के साहित्यकार गोपाल प्रभाकर शर्मा और के. एल. भ्रमर , जितेंद्र निर्मोही, रेखा पंचोली, महेश पंचोली, नहुष व्यास ने अपने विचार रखे। मुख्य वक्ता कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने कृति के बारे में जानकारी दी। संचालन स्नेहलता शर्मा ने किया।
       रचनाकार डॉ प्रभात कुमार सिंघल ने इस कृति की रचना प्रक्रिया और  सहयोगी लेखिकाओं के प्रति आभार प्रकट कर  कहा इस कृति के संदर्भ में देश भर के विद्वान बंधुओं विदुषी लेखिकाओं और साहित्यकारों की प्रतिक्रिया और संदेश प्राप्त होने से समारोह की गरिमा राष्ट्रीय हो गई है।
      कार्यक्रम का शुभारम्भ कवि किशन वर्मा द्वारा मां शारदे की वंदना और दीप प्रज्वलन कर किया गया। आयोजको की और से सभी अथितियों का एवम् लेखक की और से कृति निर्माण में सहयोग करने वालों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में महिला रचनाकारों और विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं ने लेखक का सम्मान किया। बूंदी और कोटा के साहित्यकार  कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
 


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