उदयपुर: भारत में महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर तेजी से एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रहा है। चिंताजनक आंकड़ों के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समय रहते इसका पता लगाने की सख्त जरूरत है। डायग्नोस्टिक्स फर्म हेल्थियंस की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि कंपनी द्वारा जांच की गई 55 से 64 वर्ष की आयु की 16% महिलाएं वर्तमान में ब्रेस्ट कैंसर से जूझ रही हैं। चिंताजनक बात यह है कि राजस्थान इस बीमारी का हॉटस्पॉट बन गया है, क्योंकि यहां इस आयु वर्ग की 30% महिलाओं में इसका डायग्नोसिस किया गया है। 'स्तन कैंसर जागरूकता माह' के शुरू होने के साथ ये आंकड़े देश भर में अनगिनत महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले छिपे हुए संघर्षों को दर्शाते हैं। तीन साल के डेटा पर आधारित हेल्थियंस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में चिंताजनक ट्रेंड दिखा है। इन राज्यों में 55 से 64 वर्ष आयु वर्ग की 22% महिलाएँ इस कैंसर से प्रभावित हैं। अनुमान है कि 2024 में दुनिया भर में 360,000 से ज़्यादा लोगों में ब्रेस्ट कैंसर का डायग्नोसिस किया जाएगा, इसलिए जागरूकता और समय पर हस्तक्षेप की ज़रूरत को कम करके नहीं आंका जा सकता। पारस हेल्थ उदयपुर में डॉ. सुभब्राता दास: सीनियर कंसलटेंट इन सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ने महिलाओं को लक्षणों के बारे में शिक्षित करने और नियमित जांच की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा, “जानकारी के साथ महिलाओं को सशक्त बनाना और खुद जांच करने के लिए प्रोत्साहित करना डायग्नोसिस और इलाज के बीच की कमी को पूरा करना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। गलत धारणाओं और कलंक को दूर करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि कोई भी महिला इस बीमारी से चुपचाप पीड़ित न हो या मदद मांगने में देरी न करे। हमें ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहाँ महिलाएँ अपने स्वास्थ्य पर बात करने और चिकित्सा सलाह लेने में सहज महसूस करें। हम जितना ज़्यादा ब्रेस्ट कैंसर और उसके प्रभाव के बारे में बात करेंगे, उतनी ही जल्दी पहचान को बढ़ावा दिया जा सकेगा, जिससे सफल इलाज़ और बचने की संभावनाएँ काफ़ी हद तक बढ़ जाती हैं।”
टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति ने कैंसर को जल्दी पहचानने की क्षमता में काफी सुधार किया है, यह महत्वपूर्ण है कि जागरूकता पहल बनाए रखें। युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती घटनाएं, आनुवंशिक ट्रेंड और लाइफस्टाइल में बदलाव जैसे फैक्टर्स को लेकर व्यापक शिक्षा और जागरूकता अभियानों की आवश्यकता को और दर्शाती हैं। डॉ मनोज महाजन : डायरेक्टर ऑफ़ मेडिकल ऑन्कोलॉजी ने कहा हेल्थ फैसिलिटीज को वर्कशॉप की मेजबानी करने, मुफ्त जांच की सुविधा प्रदान करने और शैक्षिक संसाधनों को साझा करने के लिए सामुदायिक संगठनों के साथ साझेदारी करना चाहिए जिससे महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स, नीति निर्माताओं और समुदायों के बीच जागरूकता और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ब्रेस्ट कैंसर के प्रभाव को कम करने और सभी महिलाओं के लिए जीवित रहने की दर में सुधार करने का प्रयास कर सकता है। डॉ सचिन जैन : सीनियर कंसलटेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी ने बताया जांच और इलाज के विकल्पों के प्रति जागरूकता और पहुंच को प्राथमिकता देकर हम ब्रेस्ट कैंसर के आंकड़े में सुधार कर सकते हैं और महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं