चारों ओर जब हम देखते हैं तो हमें स्वार्थी लोग ही दिखाई देते हैं वहीं अगर कोई ऐसा व्यक्तित्व दिखाई दे जो दूसरे की मदद करना चाहे तो वह व्यक्तित्व अलग ही होता है जब मेरी मुलाकात नंदनी श्रीवास्तव से हुई तब मुझे उनसे मिलकर ऐसा लगा स्वार्थ से भरे हुए लोग ही के बीच इंसानियत का नाता रखने वाले लोग भी हैं। बात दरअसल पुरानी है लेकिन दिल के करीब है राह में चलते-चलते इक दिन मेरी मुलाकात शोभा से हुई जो की निर्धन फैमिली से बिलॉन्ग करती थी और उसने मुझसे सालोंन का एड्रेस पूछा और जब मुझे कोई पूछे और मैं उसका काम ना कर पाऊं ऐसा तो मेरी किताब में है ही नहीं दरअसल शोभा जिस सलोन के बारे में बता रही थी वह सालोंन दरअसल उस जगह पर था ही नहीं और मुझे वह एड्रेस देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ तब मैंने उससे कहा तुम एक बार सालोंन वाली मैडम से फोन करके फिर से एड्रेस पूछ लो तब शोभा ने कहा ठीक है आप फोन पर बात कर लो मैंने बात की तो उन्होंने जो एड्रेस बताया था उस एड्रेस के मुताबिक उधर ही सालोंन था मैंने इधर-उधर पूछताछ की। और मुझे इसमें कामयाबी भी मिली और हम सालोंन पहुंच गए । नंदिनी श्रीवास्तव भी सालोंन आ गई थी दरअसल शोभा सालोंन में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने आई थी मैं भी शोभा के साथ थी । शोभा को अंदर बुलाया गया और कुछ देर बाद शोभा बाहर आती है और कहती है आपको भी अंदर बुलाया जा रहा है फिर मैं अंदर जाती हूं और नंदिनी श्रीवास्तव की सारी बातें बड़े पैसेनस के साथ सुनती हूं । नंदिनी श्रीवास्तव कहती है “ शोभा को नौकरी की आवश्यकता है और इसे सिर्फ मेकअप आता है ऐसे में अब मैं इसे डायरेक्ट नौकरी पर रखकर कैसे सैलरी दे पाऊंगी इसे बेसिक कोर्स तो आना चाहिए इसीलिए मैं इसे कुछ महीनो के लिए बिना चार्ज लिए सारा बेसिक कोर्स सिखा दूंगी और फिर मैं इसे सैलरी देना स्टार्ट कर दूंगी “ आगे नंदिनी श्रीवास्तव कहती है “ बेसिक कोर्स की फीस भी पैंतीस हजार है, मैं इसे फीस न लेकर इसे बेसिक कोर्स सिखाऊंगी और जब यह सीख लेगी तब मैं इसे पूरी तरीके से सैलरी देना स्टार्ट कर दूंगी”
नंदिनी श्रीवास्तव की बातें सुनकर मुझे बहुत खुशी मिली क्योंकि मेरा भी एक सिद्धांत है जरूरतमंद की मदद करना और जब मैंने नंदिनी श्रीवास्तव की यह बातें सुनी मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने नंदिनी श्रीवास्तव से कहा आप बहुत अच्छा कर रही है उस समय नंदिनी श्रीवास्तव की आंखें कुछ-कुछ नम होने लगी थी फिर क्या था मेरे भीतर से एक आवाज निकली “अभी भी इंसानियत बाकी है”