" नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान "

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Published on : 18 Oct, 24 07:10

" नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान "

यह शानदार शेर लगता है जैसे " नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान" कृति के आज शुक्रवार को लोकार्पण जैसे मौके के लिए ही लिखा गया है। जिसका बेसब्री से था इंतजार आज वह घड़ी आ गई, जब भव्य लोकार्पण समारोह के माध्यम से इस कृति की प्रतियां उन महिला रचनाकारों के हाथों में होंगी। कहते हैं सब्र का फल मीठा होता है। उत्साह से लबरेज रचनाकार अपनी कृति को निहारेंगी। कृति का मिलना फल होगा, कैसी लगेगी वह स्वाद बताएगा। रंगबिरंगे स्वागत, कृति का लोकार्पण, चहल - पहल चारों तरफ चेहरों पर खुशी ही खुशी की बाहर होगी। लेखिकाएं, अथिति, समरोह आयोजक सभी के मुस्कराते चेहरे होंगे।
 **  आपके स्वागत के लिए पलकें बिछाए होंगे साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही और उनकी टीम के सदस्य को पिछले कई दिनों से दिन रात इस समारोह की तैयारियों में जी जान से जुटे हैं। अमूमन किसी भी कृति का लोकार्पण स्वयं लेखक ही करते हैं। ऐसे मौके बिरले ही होते हैं जब साहित्यकार सामूहिक रूप से मिल कर किसी कृति का लोकार्पण कराएं। यह तो कृति और महिला रचनाकारों का भाग्य ही कहा जाएगा कि साहित्यकार स्वयं आगे आए।  
**  समारोह का राष्ट्रीय स्वरूप :
समारोह में यद्यपि कोई राष्ट्रीय शख्शियत शिरकत नहीं कर रही है फिर भी देश के ख्यातीनाम साहित्यकारों के गूंजते संदेश कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करेंगे। प्रथम बार है जब ओडिशा, कोलकाता, चेन्नई, मध्यप्रदेश और राजस्थान के कई साहित्यकारों ने इस मौके पर अपने संदेश भेजे हैं। 
**  नींव से निर्माण तक :
 इस साहित्यिक कृति की नींव से निमार्ण तक की नीव में है कृति लिखने का निर्मोही जी का सुझाव और महिला रचनाकारों का परिश्रम और आर्थिक सहभागिता ही है। यूं कहें कि रचनाकारों ने स्वयं अपने आर्थिक अंशदान से ही कृति का प्रकाशन करवाया तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। रचनाकारों से 44 हजार 500 रुपए का सहयोग जुटाया गया और शेष 8 हजार रुपए का सहयोग लेखक ने किया। अर्थ संग्रह करने में रेखा पंचोली और स्नेहलता शर्मा सारथी बने। कृति जब प्रूफ के लिए आई तो विजय जोशी, डॉ.इंदु बाला, रेणु सिंह राधे, गरिमा गौतम और रश्मि ' प्रदीप ' स्वेच्छा से आगे आ कर सारथी की भूमिका में आए।
**  भूमिका - आमुख :
  कृति की भूमिका का इस दृष्टि से विशेष महत्व है कि जितेंद्र निर्मोही जी ने अंचल की स्मृति महिला रचनाकारों के साहित्यिक अवदान को जोड़ कर महिला रचनाकारों की ऐतिहासिक कृति बना दिया। आमुख में कृति की भावी उपादेयता का संकेत दिया है विजय जोशी जी ने।  महिला रचनाकारों की साहित्यिक उड़ान को महिला सशक्तिकरण की अवधारणा के रूप में लेखक की दृष्टि लेखकीय में है। 
**  जिम्मेवारी को हुए राजी :
 कृति का बीजारोपण करने वाले निर्मोही जी ही इसके लोकार्पण के सूत्रधार बने और सभी साहित्यकारों को साथ ले कर आज शुक्रवार 18 अक्टूबर 2024 को सांय 5.30 बजे मदर टेरेसा स्कूल में विभिन्न संस्थाओं और समाजसेवियों के सहयोग से समारोह पूर्वक लोकार्पण करवा रहे हैं। उनकी कृति की हर पल, हर स्तर पर चिंता करना, सोशल मीडिया पर रचनाकारों के लेख देखे तो पूरा पढ़ कर अपनी सकारात्मक टिप्पणियों से उत्साहवर्धन करना, विभिन्न प्रक्रियाओं में सभागिता जोड़ना इनकी अंतर्दृष्टि कही जा सकती है। एक बार तो उन्होंने कह दिया था कि यह आपकी कृति है मैं कैसे लोकार्पण करवा सकता हूं। मैंने जब इसके पीछे छुपी भावना को बताया कि यह एक अनूठा और प्रेरक कार्य होगा एवं नज़ीर बनेगा कि यहां के साहित्यकार एक जुट हो कर एक मंच पर आ सकते हैं। आपका समस्त साहित्यकारों से प्रगाढ़ संपर्क है तो मंतव्य उन्हें समझ में आया और उन्होंने यह जिम्मेवारी सहर्ष स्वीकार की। समारोह में वे उनका भी अभिनंदन कर होंसला बढ़ाएंगे, कृतज्ञता ज्ञापित करेंगे जो कृति निर्माण में सारथी बने हैं। महिला रचनाकारों के आगमन से लोकार्पण समारोह सफता के सोपान चढ़ेगा ऐसी आशा करता हूं। रचनाकारों का यह भी फर्ज बनता है कि लोकार्पण के उपरांत वे अपने - अपने स्तर पर इसका व्यापक प्रचार - प्रसार कर कृति की उपादेयता सिद्ध करें।
** कुछ मन की :
इस कृति के प्रति रचनाकारों में निरंतर उत्साह बरकरार रहा। समय - समय पर किसी न किसी रूप में चर्चा बनी रही। इससे उनके उत्साह और आनंद का रंग मुझ पर भी चढ़ा। साहित्य के क्षेत्र में प्रथम कृति " जियो तो ऐसे जियो " की सफलता से लबरेज इस कृति के लेखन और प्रकाशन में उस से भी कई गुणा आनंद की प्राप्ति हुई। इसी मध्य मेरे संस्करणों की कृति " नई बात निकल कर आती है " ने भी कम उत्साहित नहीं किया। प्रवासी और राजस्थान के प्रमुख साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान पर एक कृति प्रेस में है। उम्मीद है प्रभु की कृपा और आप सभी रचनाकारों का स्नेह बना रहा तो शायद आगे भी कुछ और नवाचार कर संकू। 
**  आभार :
इस कृति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी महानुभावों और संदेह प्रेषित करने वाले शुभचिंतकों के प्रति ह्रदय के गहनतम तल से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं ।

सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

लेखक : डॉ.प्रभात कुमार सिंघल, कोटा
 


साभार :


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