हिंसक संघर्षों में उलझे विश्व को बढ़ना होगा गाँधी मार्ग पर : उद्भ्रांत

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Published on : 03 Oct, 24 05:10

हिंसक संघर्षों में उलझे विश्व को बढ़ना होगा गाँधी मार्ग पर : उद्भ्रांत

उदयपुर , युक्रेन –रूस और मध्य पूर्व में फैली हिंसा के दौर से यदि विश्व को मुक्ति चाहिए तो गाँधी मार्ग के सिवा कोई मार्ग नहीं है | गाँधी का सत्य , अहिंसा , सहकार और सहस्तित्व का दर्शन आज विश्व की बड़ी आवश्यकता है | उक्त विचार दूरदर्शन के पूर्व प्रवर निदेशक और जाने माने साहित्यकार रमाकांत उद्भ्रांत ने गाँधी जयंती के अवसर पर समता संवाद समूह, जनतान्त्रिक विचार मंच औरअन्य संगठनो की और से औजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये | उन्होंने कहा कि 20 वी शताब्दी के हिंदी साहित्य पर गाँधी के विचारों का बड़ा प्रभाव पड़ा | हिंदी के कवि भवानी प्रसाद मिश्र , सोहन लाल द्विवेदी , रामधारी सिंह दिनकर, मैथिलि शरण गुप्त आदि पर उनका प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है | उन्होंने स्वयं भी गाँधी पर अनेक कविताये लिखी जिसका उल्लेख उन्होंने किया | कलकत्ता से आये प्रो ज्योतिर्मय गोस्वामी ने कहा कि टैगोर और गाँधी के बीच गहरा प्रेम था किन्तु टैगोर गांधीवादी नहीं थे | उन्होंने गाँधी के विचारों को वर्त्तमान में प्रासंगिक बताते हुए उनके रचनात्मक कार्यों को ऐतिहासिक बताया | उन्होंने कहा कि वर्तमान विश्व में कॉर्पोरेट के बढ़ते वर्चस्व को सहकारिता के आधार पर लोगों की एकजुट शक्ति से रोका जा सकता है | कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो नरेश भार्गव ने कहा कि उनके बचपन में गाँधी जी ने उनके सिर पर अपने हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया था | उन्होंने गाँधी जी द्वारा अपनाई प्रतिरोध की नीतियों की प्रशंसा की और राम चन्द्र गुहा जैसे इतिहासकारों के द्वारा गाँधी दर्शन की व्याख्या को महत्वपूर्ण बताया | भाकपा माले के राज्य सचिव शंकर लाल चौधरी ने कहा कि गाँधी जी ने सामाजिक एकता के लिए जो कार्य किये वे महत्वपूर्ण हैं | प्रकृति मानव केन्द्रित जन आन्दोलन के सज्जन कुमार और मन्ना राम डांगी में पर्यावरण के संकट और उस से उपजने वाले वैश्विक खतरे का उल्लेख किया | प्रसिद्द शायर आबिद हुसैन अदीब ने कहा कि जिस तरह से भारत में सरकारें बुलडोज़र नीति का प्रयोग कर कमज़ोर और गरीब लोगों पर अत्याचार कर रही है वह गाँधी के सिद्धांतो के बिलकुल विपरीत है | कार्यक्रम का प्रारंभ महावीर समता सन्देश के प्रधान संपादक हिम्मत सेठ के वक्तव्य से हुआ जिन्होंने हिंसा और सांप्रदायिक विभाजन के दौर में गाँधी के महत्त्व को प्रतिपादित किया और अतिथियों का स्वागत किया | युगधारा के पूर्व अध्यक्ष अशोक जैन ने काव्य पाठ किया और अधिवक्ता भारत सिंह राव ने धन्यवाद ज्ञापित किया | कार्यक्रम का सञ्चालन माणिक्य लाल वर्मा श्रमजीवी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो हेमेन्द्र चण्डालिया ने किया | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के राजनीती शास्त्र विभाग की पूर्व अध्यक्ष प्रो जेनब बानो ने कहा कि विश्व के 80 देशों में महात्मा गाँधी की मूर्तियाँ लगी हैं मगर उनका आचरण गाँधी के विचारों के विपरीत है | उसी तरह भारत में संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी सांप्रदायिक राजनीती और बहुमत की तानाशाही को लोगों पर थोप रहे हैं | राजनैतिक नैतिकता का सर्वत्र ह्रास हो रहा है | इस वातावरण में गाँधी के बारे में बातचीत करना सुखद और आवश्यक है | कार्यक्रम के अंत में प्रो फरहत बानो ने संविधान की प्रस्तावना की सभी को शपथ दिलाई


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