चित्तौड़गढ़। राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में यूथ मूवमेंट के बैनर तले सोमवार को श्री कालिका ज्ञान केन्द्र सीनियर सेकंडरी स्कूल में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ ।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के जनक अनिल सक्सेना ने कहा कि समाज, साहित्य एवं संस्कृति यह तीनों एक दूसरे से गहरा संबंध रखते हैं। किसी भी देश का केवल समाज नहीं बदलता बल्कि वह अपने साथ साहित्य और संस्कृति में भी बदलाव लाता है। अतः समाज का बदलाव साहित्य और संस्कृति में दिखाई देता है। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय मूल्यों तथा भारतीय संस्कृति की स्थापना एवं विकास को जरूरी बताया।
कार्यशाला के आरंभ में यूथ मूवमेंट के संस्थापक शाश्वत सक्सेना ने सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत अपने वक्तव्य द्वारा किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थीगण ज्यादा से ज्यादा पुस्तकों से जुड़े तथा वे किताबों के प्रति अनुराग पैदा करे।
श्री कालिका ज्ञान केन्द्र सीनियर सेकंडरी स्कूल के निदेशक अखिलेश श्रीवास्तव ने अनिल सक्सेना के द्वारा प्रदेशभर में चलाए जा रहे ‘राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन‘ की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के प्रयास पहली बार ही हो रहे हैं और इस मुहिम से युवाओं को अधिकतम लाभ हो रहा है।
साहित्यकार अनिल सक्सेना ने प्रतिभागियों को रचना प्रक्रिया , लेखन की भाव-भूमि, शैली और संप्रेषण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। श्री कालिका ज्ञान केन्द्र के निदेशक जीतेश श्रीवास्तव और प्राचार्य प्राची श्रीवास्तव ने आभार ज्ञापित किया। इस कार्यशाला में सीमा कंवर, अनीता शर्मा, रेखा शर्मा, अजय कोली, जय किशन, रीना कीर, मुस्कान बानो, इशरत खान, साक्षी तिवारी, गोपाल कंवर, रीतू कंवर, दीपिका कीर, सोनिया चैहान, सोनल राजपूत का सहयोग सराहनीय रहा। कार्यशाला में 25 अध्यापकों सहित एवं 300 छात्र-छात्राओं ने अपनी सहभागिता प्रदान की।