महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया की "दीक्षारम्भ" संस्कृत शब्द "दीक्षा" से लिया गया है, जो प्रतिबद्धता और परिवर्तन का प्रतीक है । 'आरम्भ' शब्द का अर्थ है शुरुआत। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार यह एक अनिवार्य पाठ्यक्रम है जो छात्रों को, एक-दूसरे के जीवन के अनुभवों से सीखने, विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों के सांस्कृतिक एकीकरण में मदद करने, कॉलेज और विश्वविद्यालय में शैक्षणिक प्रक्रिया के संचालन ढांचे के बारे में जानने, जीवन और सामाजिक कौशल, सामाजिक जागरूकता, नैतिकता और मूल्य, टीम वर्क, नेतृत्व, रचनात्मकता आदि को विकसित करने के लिए एक मंच बनाने में सक्षम करेगा। यह विविध संभावनाओं के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों और स्वदेशी संस्कृतियों की पहचान करने में भी मदद करेगा । उन्होंने कहा दीक्षारम्भ का आयोजन करने वाला प्रदेश का पहला डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय है ।उन्होंने अपने सन्देश में बताया की यह महाविद्यालय राजस्थान का सबसे पुराना डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय है और डेयरी एवं खाद्य के उच्च तकनीकतंत्री 1982 से तैयार कर देश सेवा में अपना योगदान दे रहा है । इस महाविद्यालय के पूर्व छात्र आज डेयरी एवं खाद्य क्षेत्र के सिरमौर उद्यमों में उच्च पदों पर आसीन है । महाविद्यालय के पूर्व छात्र जो आज अधिकारी है अपने कनिष्ठ साथियों को कैरियर परामर्श देने हेतू समय समय पर एकत्र होकर महाविद्यालय की गौरवशाली परम्परा का निर्वाह करते है ।
सह-आचार्य एवं कार्यक्रम प्रभारी डॉ निकिता वधावन ने बताया की दीक्षारम्भ नव-प्रवेशित विद्यार्थियों के शैक्षणिक कार्यक्रम की शुरुआत से कहीं अधिक है । विद्यार्थी महाविद्यालय में स्वर्णिम भविष्य की आशाओं से यह सोच कर प्रवेश लेता है की यहाँ ज्ञान और नेतृत्व के नए क्षितिज खुलने वाले हैं । दीक्षारम्भ एक महत्वपूर्ण अवसर है जो रचनात्मकता, अखंडता और उद्देश्य के साथ भविष्य को आकार देने की एक परिवर्तनकारी यात्रा की शुरुआत को चिह्नित करता है । उन्होंने कहा की इस 6 दिवसीय कार्यक्रम में विद्यार्थियों को प्रतिदिन नवाचारों से अवगत कराया गया और विद्यार्थियों को अनुशासन और निरंतरता के साथ अपने शैक्षणिक कार्यक्रम को पूर्ण करने के लिए प्रेरित किया गया । विद्यार्थियों को नए परिवेश में सहज महसूस करने तथा पाठ्यक्रम, केरियर और प्लेसमेंट के सम्बन्ध में हँसते खेलते माहौल में विस्तृत जानकारी प्रदान करना कार्यक्रम का उद्देश्य था । साथ ही वर्तमान शैक्षणिक कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बदलावों से अवगत कराया गया ताकि विद्यार्थी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से अधिकतम लाभान्वित हो सकें । महाविद्यालय की प्रयोगशालाओ,अन्य आधारभूत संरचना और संसाधनों का अवलोकन कराया गया ।
प्रतिदिन विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया जिन्होंने विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों पर विस्तृत ज्ञान प्रदान किया । विद्यार्थियों की रचनात्मकता को निखारने के लिए प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए जिसमे प्रत्येक विद्यार्थी की अनिवार्य प्रतिभागिता रही । विद्यार्थियों में प्रतियोगिता की भावना का विकास करने के लिए समापन दिवस पर पुरस्कार वितरण किया गया ।
अपने अध्यक्षीय उदबोधन में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् के सहायक महानिदेशक डॉ एस के शर्मा ने कहा की दीक्षारम्भ हमारी गुरुकुल परम्परा का एक अनिवार्य हिस्सा रहा है जो नए विद्यार्थियों को नए परिवेश में सहज महसूस कराने में मदद करता है । इसके अलावा, इसका मकसद विद्यार्थियों को संस्थान की संस्कृति और प्रकृति से परिचित कराना भी होता है । दीक्षारंभ कार्यक्रम के ज़रिए विद्यार्थियों को ये भी सिखाया जाता है कि वे अपने और दूसरे छात्रों और संकाय सदस्यों के बीच मधुर एवं सम्मानजनक संबंध बनाएं ।
एमपीयूएटी के कुलपति डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने अपने संदेश में कहा की हमारे देश में प्राचीन काल से दीक्षारम्भ से ही विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन की अनुपम परम्परा रही है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से दीक्षारम्भ को अनिवार्य पाठ्यक्रम घोषित करके हमारे प्राचीन गौरवशाली शिक्षण काल के प्रति न केवल हमने कृतज्ञता ज्ञापित की है बल्कि वर्तमान शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य में दीक्षारम्भ की महत्ता का ससम्मान अंगीकरण किया है । यह गर्व की बात है की दीक्षारम्भ का आयोजन करने वाला प्रदेश का पहला डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय है एवं इसके लिए महाविद्यालय अधिष्ठाता, विद्यार्थी एवं समस्त स्टाफ़ बधाई के पात्र है । उन्होंने विश्वास जताया की दीक्षारम्भ नव-प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए एक वरदान और मील का पत्थर साबित होगा