एमपीयूएटीः दो दिवसीय क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति रबी-2024 संभाग चतुर्थ-अ की बैठक का आयोजन

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Published on : 23 Sep, 24 11:09

एमपीयूएटीः दो दिवसीय क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति रबी-2024 संभाग चतुर्थ-अ की बैठक का आयोजन

उदयपुर  क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति संभाग चतुर्थ-अ की बैठक अनुसंधान निदेशालय के सभागार में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति की अध्यक्षता में दिनांक 23 सितम्बर, 2024 को कृषि अनुसंधान केन्द्र, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर में आयोजित की गई।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गत वर्षों में विभिन्न प्रौद्योगिकी पर 54 पेटेंट प्राप्त किये जिसमें से 25 पेटेंट वर्ष 2024 में प्राप्त किये।
 उन्होंने कहा कि औषधीय एवं सुगंधी फसलों एवं जैविक खेती इकाई ने पिछले वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। डॉ. कर्नाटक ने कहा कि विश्वविद्यालय अध्यापन, अनुसंधान, प्रसार एवं उद्यमिता पर कार्य कर रहा है। साथ ही यह विश्वविद्यालय नवाचारों युक्त आधुनिक शोध पर कार्य कर रहा है। अपनी तकनीकियों का वाणिज्यकरण की दिशा मे भी कार्य करते हुए मक्का की उन्नत किस्म प्रताप मक्का-6 का देश की 7 कम्पनियों के साथ समझौता किया। उन्होंने बताया कि मक्का की इस किस्म से इथेनोल तैयार हो सकता है जो कि ग्रीनफ्युल में उपयोग किया जायेगा। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को आहवान किया कि सभी फसलों की जलवायु अनुकूलित नई किस्में विकसित की जाये ताकि कृषकों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। कुलपति महोदय ने अपने संबोधन में कहा कि जैविक खेती के साथ प्राकृतिक खेती पर बल देना चाहिए जिससे गुणवŸाा युक्त उत्पाद कम लागत में तैयार हो सके जिससे कि कृषक की जीविका में बढ़ोŸारी होगी।
डॉ. कर्नाटक ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के दो वैज्ञानिक देशभर के 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों में शामिल है। इस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कृषकों के जरूरतों के लिए छोटे-छोटे कृषि उपकरण, बॉयोचार उपचार के लिए छोटी इकाई का निर्माण आदि किया।
पिछले वर्ष अफीम की चेतक किस्म, मक्का की पीएचएम-6 किस्म के साथ असालिया एवं मूंगफली की किस्में विकसित की। डॉ. कर्नाटक ने कहा आज कृषि में स्थायित्व लाने के लिए कीट बीमारी प्रबंधन एवं जल प्रबंधन पर कार्य करना होगा। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय ने जैविक/प्राकृतिक खेती में राष्ट्रीय पहचान बनायी है। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के महानिदेशक ने विश्वविद्यालय से कहा कि भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान के साथ मिलकर अपने भाषण ने दौरान उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल इंजीनियरिंग एवं यंत्र अधिगम पर उत्कृष्टता केंद्र पर बल दिया साथ ही उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को आवहान किया कि विश्वविद्यालय की आय विभिन्न तकनीकियों द्वारा बढ़ायी जाये।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के निदेशक अनुसंधान डॉ. अरविन्द वर्मा ने बैठक के शुरूआत में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति की बैठक विश्वविद्यालय के वैज्ञाानिकों द्वारा विकसित की गयी तकनीकों का कृषि विभाग के आधिकारियों के साथ मिलकर पैकेज ऑफ प्रेक्टिस में सम्मिलित की जाती है। विश्वविद्यालय में तकनीकी विकसित करने के लिए 27 अखिल भारतीय समन्वित परियोजना एवं 3 नेटवर्क परियोजनाएं चल रही है। साथ ही राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 2 परियोजनाएं संचालित हो रही है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय ने गत वर्ष विभिन्न फसलों की चार किस्में विकसित की। डॉ. वर्मा ने बताया कि मक्का परियोजना द्वारा विकसित प्रताप संकर मक्का-6 देश के चार राज्यों-राजस्थान, मध्यप्रदेश, छŸाीसगढ़ एवं गुजरात के लिए उपयुक्त है यह किस्म जल्दी पकने वाली (82-85), फूल आने के बाद डंठल का सड़ना रोग मुक्त एवं 65-70 क्विंटल उपज देती है।
डॉ. आर. बी. दुबे, राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने बीज की समस्या पर सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में 51 हजार टन बीज की आवश्यकता है जिसमें से 40 हजार टन बीज ही उपलब्ध है और इसमें भी 80-90 प्रतिशत हिस्सा निजी संस्था उपलब्ध कराती है उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि कम उपयोग में आने वाली फसलों विशेषकर किकोडा, बालम काकडी, टिंडोरी आदि पर अनुसंधान की आवश्यकता है। डॉ. दुबे कहा कि इस विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मक्का की किस्म प्रताप संकर मक्का-6 में एक टन से 380 लीटर इथेनोल प्राप्त किया जा सकता है जिसकी किमत 55-65 लीटर होती है साथ ही उन्होने बताया कि प्रताप संकर मक्का चरी-6 से 300-400 क्विंटल हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है साथ ही बेबी कार्न मक्का भी प्राप्त की जा सकती है।
डॉ. आर. ए. कौशिक, निदेशक, प्रसार शिक्षा निदेशालय ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुसंधान निदेशालय द्वारा विकसित तकनीकों को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा कृषकों के खेतों पर पहुंचाया जाता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मूंगफली छिलने वाली मशीन एवं सौर ऊर्जा आधारित मक्का छिलने की मशीन कृषकों के यहा बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। डॉ. कौशिक ने जनजाति क्षेत्र में गुणवŸाा युक्त बीज एवं पौध के वितरण पर जोर दिया।
इस बैठक में अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा डॉ. राम अवतार शर्मा तथा संयुक्त निदेशक उद्यान, भीलवाड़ा एवं संयुक्त निदेशक कृषि, भीलवाड़ा, संयुक्त निदेशक कृषि चित्तौडगढ़, राजसमन्द एवं अन्य अधिकारी एवं एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बैठक के प्रारम्भ में डॉ. राम अवतार शर्मा, अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा ने गत रबी में वर्षा का वितरण, बोई गई विभिन्न फसलों के क्षेत्र एवं उनकी उत्पादकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें संभाग में विभिन्न फसलों में रबी 2023 के दौरान् आयी समस्याओं को प्रस्तुत किया तथा अनुरोध किया कि वैज्ञानिकगण इनके समाधान हेतु उपाय सुझावें साथ ही कृषकों की आमदनी बढ़ाने हेतु उन्नत बीज, वैज्ञानिक एवं प्रसार अधिकारियों द्वारा तकनीकियों का प्रसार, फसल विविधिकरण एवं मूल्य संवर्धित उत्पाद के बारे में बताया।
क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. अमित त्रिवेदी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बैठक को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी तथा कृषि संभाग चतुर्थ अ की कृषि जलवायु परिस्थितियों तथा नई अनुसंधान तकनीकों के बारे में प्रकाश डाला। डॉ. त्रिवेदी ने संभाग की विभिन्न फसलों में आ रही समस्याओं के निराकरण हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
बैठक में डॉ. मनोज कुमार महला, निदेशक, छात्र कल्याण अधिकारी, डॉ. बी.एल. बाहेती, निदेशक, आवासीय एवं निर्देशन एवं श्री गोपाल लाल कुमावत, संयुक्त निदेशक कृषि, भीलवाड़ा, श्री महेश चेजारा, संयुक्त निदेशक उद्यान, भीलवाड़ा, श्री दिनेश कुमार जागा, संयुक्त निदेशक कृषि, चित्तौड़गढ, ग्राह्य अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, चित्तौड़गढ़, डॉ शंकर सिंह राठौड़, पीडी, आत्मा, भीलवाड़ा, श्री रमेश आमेटा, संयुक्त निदेशक, शाहपुरा, श्री रविन्द्र वर्मा, संयुक्त निदेशक उद्यानिकी एवं डॉ. रविकांत शर्मा, उपनिदेशक, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर उपस्थित थे।
इस बैठक में विभिन्न वैज्ञानिकों व अधिकारियों द्वारा गत रबी में किये गये अनुसंधान एवं विस्तार कार्यो का प्रस्तुतीकरण किया गया तथा किसानों को अपनाने हेतु सिफारिशें जारी की गई। कार्यक्रम के अंत में अनुसंधान निदेशालय के सहायक आचार्य डॉ. बृज गोपाल छीपा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।


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