इस मोड़ का सुखद अहसास ........

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Published on : 20 Sep, 24 12:09

इस मोड़ का सुखद अहसास ........

जीवन सड़क के उस मोड़ की तरह है जो कभी भी कहीं भी मुड़ जाता है। सड़क का मोड़ आने तक सामने सब साफ नज़र आता है, मोड़ के उस पार क्या है मुड़ कर ही दिखाई देता है। जीवन की धारा भी सीधे नहीं चलती वरन कई मोड़ों से हो कर टेडी मेडी चलती है। हर मोड़ पर मिलती है नई दृष्टि नई सोच। ऐसे ही
 तीन साल पहले जीवन रूपी सड़क पर चलते - चलते एक मोड़ आया और वक्त ने मुझे साहित्यिक पत्रकारिता की ओर मोड़ दिया। यूं तो जीवन का यह पहला मोड़ न जियोहीं था, एक महत्वपूर्ण मोड़ अक्टूबर 2013 में भी आया जब मैं राजकीय सेवा से सेवा निवृत हो गया। इस मोड़ से  पहले के 34 साल में जन संपर्क विभाग में सेवारत रहते हुए इतिहास, पुरातत्व, कला - संस्कृति, पर्यटन, सामाजिक, विकासात्मक और  विविध क्षेत्रों में लिखता रहा हूं , जो आज तक निरंतर जारी है।
      बीते जिन तीन वर्षों  का सवाल है तो लेखन मुख्यत: साहित्य जगत पर केंद्रित रहा और इस अनुभूति की परिणीति इस वर्ष हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर करने का मन बना कर अपना फार्म भरने के रूप में  हुई।  साहित्य की गद्य और पद्य मेरी विधा नहीं रही है । अतः कथेतर साहित्य विधा में किस साहित्य का समावेश होता है ?  यह जानने के लिए हिंदी साहित्य स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के लिए शुरू किए अध्ययन के दौरान प्रयास किया तो ज्ञात हुआ कि साहित्य की कथेतर विधा में निबंध, यात्रा वृत्तांत, समालोचना, जीवनी, साक्षात्कार, पत्र लेखन, समीक्षा, रेखाचित्र, संस्मरण ,आत्मकथा आदि शैलियों को लिया जाता है ।
    इस पर जब गंभिता से विचार किया तो प्रतीत हुआ कि कब से ही इन शैलियों पर लेखन कर रहा हूं और कथेतर विधा में पहले से ही शामिल हूं। इस बारे में न तो कभी किसी से चर्चा हुई और न ही मुझे किसी साहित्यकार मित्र ने कुछ बताया। अभिप्राय यह कि लंबे समय से साक्षात्कार, समीक्षा, जीवनियां और संस्मरण चारों शैलियों पर लिखता रहा हूं, जो कथेतर विधा की शैलियां हैं । कथा से इतर लिखा गया सम्पूर्ण कला - संस्कृति और पर्यटन साहित्य भी कथेतर विधा ही है ।
    हिंदी साहित्य की दृष्टि से * साक्षात्कार :  इस शैली में अब तक लगभग एक हजार से अधिक साक्षात्कार विभिन्न क्षेत्र के लोगों पर लिखे जा चुके हैं, जो देश की प्रतिष्ठत पत्र - पत्रिकाओं और समाचार पोर्टल पर प्रकाशित हो चुके हैं। * जीवनियां :  साहित्य क्षेत्र के साथ - साथ विभिन्न क्षेत्रों की लगभग 500 से अधिक जीवनियां और कृतित्व भी प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें करीब 180 से अधिक राजस्थान के साहित्यकार शामिल हैं। * संस्मरण : अब तक मेरे जीवन से संबंधित 30 संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं। * यात्रा वृत्तांत : राजस्थान और देश में की गई पर्यटन यात्राओं पर अब तक 200 से अधिक यात्रा संस्मरण लिखे जा चुके हैं और सभी विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं।
   पुस्तकें : हिंदी साहित्य की दृष्टि से कथेतर विधा के अंतर्गत अब तक कुल चार पुस्तकों का लेखन किया गया है। एक पुस्तक जीवन परिचय के आधार पर " जियो तो ऐसे जियो " प्रकाशित हो चुकी है जिसमें साहित्य और विभिन्न क्षेत्र के 99  प्रतिभाओं की जीवनियां संकलित हैं। * दूसरी पुस्तक मेरे संस्मरण और यात्रा संस्मरण पर आधारित " नई बात निकल कर आती है " प्रकाशित हुई है । * तीसरी पुस्तक हाड़ोती की महिला साहित्यकारों के जीवन परिचय और उनके साहित्यिक अवदान पर " नारी चेतना की साहित्यिक उड़ान" प्रकाश्य है।  *  चौथी पुस्तक राजस्थान के साहित्यकारों के जीवन और अनेक साहित्यिक अवदान पर " राजस्थान के साहित्य साधक " भी प्रकाश्य है। मुझे खुशी है कि कथेतर गद्य विधा में भी कुछ कार्य कर सका हूं । * पद्य विधा :  एक माह पूर्व  ही कविता लेखन में भी पहल की है। अब तक मौलिक स्व - रचित सात कविताएं लिखी हैं। 
     साहित्यिक पत्रकारिता में लिखने के साथ - साथ साहित्यिक समारोहों में भाग लेने तो कहीं अथिति बनने, पुस्तकों का विमोचन , पुरस्कार और सम्मान प्राप्त करने का भी अपना आनंद रहा। सब कुछ साहित्य की गंगा में गोते लगाने जैसा रहा। परम संतोष है कि  लेखन और प्रकाशन से साहित्य  से जुड़े रचनाकारों और संस्थाओं के पदाधिकारियों को कुछ पल की मुस्कान और खुशी दे सका और पत्रकारिता के माध्यम से हिंदी और साहित्य की सेवा कर सका । उन सब ने भी अपने अपार स्नेह और सम्मान से मेरा हौसला भी खूब बढ़ाया । साहित्यिक पत्रकारिता के ये संस्मरण मेरे आने वाले समय की चिरस्मरणीय यादें बनी रहेंगी , जिन्होंने जीवन के इस मोड़ पर सुखद अहसास की नई इबारत लिखी है ।
 


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