एमपीयूएटीः मक्का बीज उत्पादन में विश्वविद्यालय का अतुलनीय योगदान: एक साथ छः बीज उत्पादक कम्पनियों से ऐतिहासिक समझौता

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Published on : 11 Sep, 24 12:09

एमपीयूएटीः मक्का बीज उत्पादन में विश्वविद्यालय का अतुलनीय योगदान: एक साथ छः बीज उत्पादक कम्पनियों से ऐतिहासिक समझौता

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने आज दिनांक 11 सितम्बर, 2024 को प्रजनक बीज प्रताप संकर मक्का-6 के उत्पादन हेतु एक साथ एक समय में छः विभिन्न बीज उत्पादक कम्पनियों के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जो कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किया गया है।
विश्वविद्यालय ने यह सहमति पत्र गुजरात की इन्डो यू.एस. बाॅयोटेक, आंध्रप्रदेश की चक्रा सीड्स, सम्पूर्णा सीड्स, श्री लक्ष्मी वैंकटश्वर सीड्स, मुरलीधर सीड्स कार्पोरेशन एवं तेलंगाना की महांकालेश्वरा एग्रीटेक प्राईवेट लिमिटेड के साथ हस्ताक्षरित किये गये।
यह समझौता विश्वविद्यालय द्वारा मक्का की विकसित प्रजाति प्रताप संकर मक्का-6 के पैतृक बीजों को उपलब्ध कराने के संदर्भ में किया गया है। एक साथ विभिन्न राज्यों की छः बीज उत्पादक कम्पनियों के साथ समझौता करना किस्म की गुणवत्ता को दर्शाता है। इस अवसर पर माननीय कुलपति, डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने बताया कि प्रताप संकर मक्का-6 का उत्पादन 62 क्विंटल से 65 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होता है और विशेष अनुकूल परिस्थितियों में इससे भी अधिक उपज प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि प्रताप संकर मक्का-6 की यह किस्म दानें के साथ चारे के रूप में भी उपयोग होता है। साथ ही उन्होंने अवगत कराया कि विश्वविद्यालय बीज उत्पादन कम्पनियों को प्रताप संकर मक्का-6 की पैतृक पंक्ति का बीज 40,000/- रूपये प्रति क्विंटल उपलब्ध करवाएगी एवं इसके एवज में कम्पनियां विश्वविद्यालय को 2.5 लाख रूपये मय 4 प्रतिशत राॅयल्टी का भुगतान करेगी। यह राशि तुलनात्मक दृष्टि से काफी कम रखी गयी है जिससे कि इसका सीधा लाभ कृषकों को मिल सके क्योंकि कम्पनियां इसी प्रजनक बीज से आधार बीज बनायेगी तत्पश्चात् प्रमाणित बीज बनाकर कृषकों को उपलब्ध कराती है। माननीय कुलपति ने कहा कि मक्का का उपयोग इन दिनों काफी बढ़ गया है। इसका उपयोग मुर्गीपालन उद्योग, स्ट्रार्च उत्पादन एवं ईथेनोल निर्माण के लिए किया जाता है। ईथेनोल का उपयोग पेट्रोल व डीजल के साथ मिश्रित कर ग्रीन ईंधन के रूप में किया जा रहा है जो पर्यावरण अनुकूल है जिसे हम भविष्य के ईंधन के रूप में भी देखते है।
अनुसंधान निदेशक, डाॅ. अरविन्द वर्मा ने बताया कि मक्का की किस्म प्रताप संकर मक्का-6 का राष्ट्रभर में 22 केन्द्रों पर परीक्षण किया गया जहां इस किस्म ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है। इस किस्म का अनुमोदन अखिल भारतीय समन्वित मक्का अनुसंधान परियोजना की पंतनगर में हुई 66वीं बैठक में किया गया था। यह किस्म चार राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं गुजरात के लिए उपयुक्त पायी गयी है। डाॅ. वर्मा ने बताया कि इस किस्म के बीज उत्पादक कम्पनियों के माध्यम से प्रसारण होने से यह कृषकों तक शीघ्रता एवं सरलता से उपलब्ध हो सकेगी जिससे कृषक बंधु अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगे।
इस किस्म के वरिष्ठ प्रजनक एवं अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के प्रोफेसर, डाॅ. आर. बी. दुबे ने बताया कि प्रताप संकर मक्का-6 पीले एवं बोल्ड दाने वाली (84-85 दिन) जल्दी पकने वाली किस्म है यह किस्म सिंचित एवं असिंचित दोनों तरह के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। यह किस्म तना सडन रोग, सूत्रकृमि तथा तना छेदक कीट के प्रति रोगरोधी है। फसल पकने के बाद भी इसका पौधा हरा रहता है जिससे उच्च गुणवत्ता का साइलेज़ बनता है।
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी परिषद् के सदस्य, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, उदयपुर एवं सहनिदेशक बीज एवं फार्म उपस्थित रहे।
 


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