रेगिस्तानी खुम्भी को प्रयोगशाला में उगाने के लिए कृषि विश्व विधालय उदयपुर में अनुसन्धान आरम्भ

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Published on : 11 Sep, 24 08:09

रेगिस्तानी खुम्भी को प्रयोगशाला में उगाने के लिए कृषि विश्व विधालय उदयपुर में अनुसन्धान आरम्भ

भारत में कृषि विकास हेतु सरकारी संस्था भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् नई दिल्ली ने मशरुम अनुसन्धान हेतु मशरुम निदेशालय चम्बाघाट सोलन (हिमाचल प्रदेश) में संस्थान खोल रखा हे इसके अंतर्गत विभिन राज्यों में जंगली खाद्य एवं औषधीय मशरुम के संग्रहण, संवर्धन एवं प्रयोगशाला में उगाने के लिए अनुसन्धान हेतु अखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना संचालित की जा रही हे। इसके अंतर्ग़त राजस्थान में भी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विशवविधालय उदयपुर के राजस्थान कृषि महाविधालय के पादप रोग विज्ञानं विभाग मेंअखिल भारतीय समन्वित मशरुम अनुसन्धान परियोजना संचालित हे। परियोजना के प्रभारी व् एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नारायण लाल मीना ने बताया की इस वर्ष सरकार के उद्देश्य के अनुसार माह जून से अगस्त तक राजस्थान के विभिन जंगलो, वन्य जीव अभ्यारणों तथा पश्चिम राजस्थान के रेगिस्तान में देसूरी की नाल, पाली जोधपुर, पोकरण, जैसलमेर,तनोट,पाकिस्तान बॉर्डर ,फलोदी, सिवाना,आहोर, बालोतरा, झालोर, सिरोही, सादड़ी, कुम्भलगढ़, गोगुन्दा एवं रोड साइड एरिया ऑफ़ उदयपुर का सर्वेक्षण मशरुम की विभिन प्रजातियों का पता लगाने एवं संग्रहण करने के लिए अनुसन्धान टीम ने किया । सर्वेक्षण के दौरान विभिन जेनरा के कुल 100 मशरुम स्पीशीज का संग्रहण किया गया तथा मशरुम प्रयोगशाला, उदयपुर में विभिन मशरूमों का संवर्धन का कार्य आरंभ कर दिया गया हे इनमे विशेषकर रेगिस्तानी पौष्टिक मशरूम जैसे फेलोरानिया इन्क़ुइनान्स, पॉडाएक्सिस पिस्टीलारिस, टेलोस्टोमा स्पीशीज, ब्लू ओएस्टर ,जंगली दूधछाता, ब्राउन ओएस्टर, सफ़ेद ओएस्टर, ट्राईकोलोमा सल्फुरियम एवं एगेरिकस प्रजाति प्रमुख रूप से हे। क्योंकि रेगिस्तानी खुम्भी फेलोरानिया इन्क़ुइनान्स,पॉडाएक्सिस पिस्टीलारिस,टेलोस्टोमा स्पीशीज को प्रयोगशाला में अभी तक उगाया नहीं जा सका हे इस हेतु अनुसन्धान टीम डॉ. एन. एल. मीना, अविनाश कुमार नागदा और किसान सिंह राजपूत ने कृत्रिम रूप से उगाने का प्रयास तेज कर दिया हे इन मशरूमों का पौष्टिक एवं औषद्यीय महत्व अधिक होता हे। इस कारण पश्चिम राजस्थान के व्यक्ति प्रथम वर्षा के उपरांत रेतीले टीलो पर उगी मशरूम संग्रहित करके बाजार में 400-500 प्रति किलोग्राम में बेचकर आमदानी प्राप्त करते हे तथा व्यक्ति बड़े चाव से खुम्भी की सब्ज़ी बनाकर खाते हे तथा शरीर के लिए आवशयक पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हे एवं अपने स्वास्थय को दुरुस्त रखते हे | अनुसन्धान में सफलता से पश्चिम राजस्थान के आलावा पुरे देश में मशरुम उत्पादन की क्रांति आ जायेगी ।


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