राजस्थान की भजन लाल सरकार की जम्बों तबादला सूची को आने वाले विधानसभा उप चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा हैं…

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Published on : 11 Sep, 24 08:09

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान की भजन लाल सरकार की जम्बों तबादला सूची को आने वाले  विधानसभा उप चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा हैं…

देश में गणेश चतुर्थी से पहले हरतालिका का बड़ा त्यौहार मनाया जाता हैं। यह त्यौहार महिलाओं के लिए बहुत बड़ा त्यौहार है तथा महिलायें इस दिन बिना कुछ खायें और पानी पिये यह व्रत करती हैं। आधुनिक काल में फिल्मों और कतिपय अन्य कारणों से करवा चौथ के व्रत के कारण सैकड़ों वर्षों से उत्‍तर भारत के कई प्रदेशों में हरतालिका तीज का त्‍योहार मनाया जाता है। इस  पवित्र त्यौहार को आधुनिक महिलाओं ने पृष्ठभूमि में डाल दिया हैं, लेकिन आज भी लाखों महिलाएँ करवा चौथ के साथ ही हरतालिका के व्रत को भी पूरी श्रद्धा के साथ मनाती हैं। उत्‍तर भारत की तरह दक्षिण भारत में भी यह पर्व मनाया जाता है। कर्नाटक,आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में सभी इसे गौरी हब्बा के नाम से जानते हैं। 


पिछले शुक्रवार को राजस्थान में बिना पानी पियें हरतालिका का व्रत कर रही महिलाओं और कई अधिकारियों का पानी तब हलक में ही अटक कर रह गया था जब राजस्थान की भजन लाल सरकार ने शुक्रवार को सवेरे भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की एक लम्बी ट्रान्सफ़र लिस्ट निकाल दी और शाम होते होते राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की भी एक और जम्बो ट्रांसफ़र लिस्ट आ गई थी। इस प्रकार प्रदेश में प्रशासनिक फेरबदल का दौर जारी है। जंबो ट्रांसफर लिस्ट निकाल मुख्यमंत्री भंवर लाल शर्मा   दिसंबर में जयपुर में होने वाले राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट के लिए निवेशकों को लुभाने दक्षिण कोरिया एवं जापान की यात्रा पर निकल गए हैं। बताया जा रहा उनके विदेश यात्रा पर लौटने के बाद अब अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की सर्जरी भी होने की संभावना हैं। ब्यूरोक्रेसी में हो रहें इस बदलाव को कुछ लोग प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से भी जोड़कर कर देख रहें है। 

राजनीतिक जानकारों द्वारा माना जा रहा है कि प्रदेश की छह विधान सभा सीटों पर आने वाले कुछ दिनों में होने वाले उपचुनाव से पहले भजन लाल सरकार गहलोत सरकार के समय से जमी हुई सरकारी मशीनिरी को दुरस्त कर तबादले का काम पूरा कर रही है। हालाँकि तबादला एक सामान्य सरकारी प्रकिया मानी जाती है लेकिन कई बार इसका समय उसे राजनीतिक रूप दे देता है। फिर भजन लाल सरकार ने पिछले दिसम्बर में अपनी सरकार गठित होने के आठ महीनों बाद पहली बार इतना बड़ा फेरबदल जो किया हैं। उन्होंने छोटे बड़े बदलाव पहले भी किए गए थे।

भाजपा की भजन लाल सरकार ने गत शुक्रवार को सवेरे 108 आईएएस अधिकारियों के तबादले करने के बाद सायं को प्रदेश में 386 आरएएस अधिकारियों के ट्रांसफर किए थे। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से सात  IAS  अधिकारियों को अपने कार्य के अलावा कुछ और विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है एवं तदसंबन्धित आदेश भी जारी कर दिए गए है। इससे लगता है कि आने वाले दिनों में एक और तबादला सूची भी आ सकती हैं। 

अभी जिन आईएएस को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई हैं इनमें IAS रवि जैन को आमेर विकास प्राधिकरण (CEO) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। IAS अनुपमा जोरवाल को सांख्यिकी विभाग का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है।IAS केएल स्वामी को कमिश्नर सिविल डिफेन्स का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। IAS शाहीन अली खान को डायरेक्टर IEC का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।
IAS राजेंद्र कुमार वर्मा को अल्पसंख्यक विभाग का डायरेक्टर बनाया गया है एवं IAS वंदना सिंघवी को कमिश्नर उपनिवेशन विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है तथा IAS डॉ. अमित यादव को कलेक्टर डीग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।


राजस्थान में भाजपा सरकार बनने के आठ महीने बाद इतनी बड़ी संख्या में आईएएस और आरएएस अधिकारियों का तबादला किया गया हैं। इसमें सभी प्रमुख विभागों के एसीएस प्रशासनिक सचिव और 13 जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषक इस सन्दर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान का जिक्र भी कर रहें हैं जिन्होंने भजन लाल शर्मा की  नई सरकार बनने के आठ महीनों बाद भी उनके वक्त के अधिकारियों के जमे रहने को लेकर कर तीखी टिप्पणी की थी भाजपा सरकार उनके द्वारा लगाए गए अधिकारियों को पोस्टिंग के निर्णयों को सही मान रही है। इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और अशोक गहलोत के मुख्यमंत्रित्व काल में विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ की टिप्पणी भी सामने आई थी कि गहलोत जी सब्र रखें नई सूची भी शीघ्र आएगी। ब्यूरोकेसी की इस लंबी चौड़ी सूची के आने के बाद लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ के मध्य नौक झौक का काफी कुछ पटाक्षेप हो गया है लेकिन राजनीतिक पण्डित बताते है कि यह अभी भी पूर्ण सत्य नहीं हैं।

राजनीतिक हलकों में प्रदेश की नौकरीशाही में हो रहे इस बदलाव को निकट भविष्य में होने वाले   विधानसभा उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भजन काल सरकार आने वाले दिनों में प्रदेश के पूरे प्रशासनिक ढाँचे में और क्या सर्जरी करने वाली  हैं?


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