सनातन को राजनीति से दूर नहीं राजनीति को सनातन की शरण में आना पड़ेगा

( 2893 बार पढ़ी गयी)
Published on : 09 Sep, 24 07:09

तपस्वी भवन में संत सम्मलेन का आयोजन

सनातन को राजनीति से दूर नहीं राजनीति को सनातन की शरण में आना पड़ेगा

अजमेर। निरंजनी अखाडा हरिद्वार के महामंडलेश्वर नर्मदा शंकरपुरी जी महाराज ने कहा है कि सनातन को राजनीति से दूर नहीं करना है बल्कि राजनीती में सनातन की आवश्यकता है। वे आज वैशाली नगर स्थित  तपस्वी भवन में सनातन धर्म ही ब्रह्मांड का एकमात्र धर्म है और इसे राजनीति से दूर रखा जाए विषय पर आयोजित संत मिलन कार्यक्रम में नगर के प्रबुद्धजन को समोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सनातन का बुनियादी मकसद अपने तरीकों को दूसरों पर थोपने की बजाय दुनिया में हरेक इंसान के भीतर खोजने का भाव लाने का है।
भीलवाड़ा से पधारे योग गुरु कल्कि राम जी सनातन धर्म का मकसद लोगों में जिज्ञासा की गहन भावना को जगाना है, अपने विचार थोपने का नहीं, क्योंकि यह तरीका काम भी नहीं करेगा। अगर कोई भयानक युद्ध या कोई ऐसी भयानक दुर्घटना ना हो जाए जो इस धरती पर मानव-जीवन की नींव ही हिला दे, तो आप देखेंगे अगले पचास सालों में ‘योग’ किसी भी धर्म से ज्यादा प्रभावशाली होगा। जब हम ‘योग’ की बात करते हैं तो हमारा मतलब उन अभ्यासों से है, जिनकी ओर सनातन धर्म के सिद्धांत इशारा करते हैं।
नरसिंह मंदिर होलीदड़ा के महंत श्याम सुंदर शरण देवाचार्य  कि सनातन धर्म को आगे लाने का यह सबसे उपयुक्त समय है। साथ ही यह ध्यान में रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है कि इसे हिन्दू धर्म के तौर पर प्रचारित न किया जाए।
महा निर्वाणी अखाड़े से साध्वी अनादि सरस्वती ने कहा कि सनातन धर्म उस परम कल्याण की बात करता है, जो कि एकमात्र कल्याण है जिसकी पूरी दुनिया आकांक्षा कर सकती है। अगर हम वाकई चाहते हैं कि पूरी दुनिया सनातन धर्म का अभ्यास करे, तो यह बेहद महत्वपूर्ण है कि इसकी पहचान किसी भी रूप में स्थापित नहीं होनी चाहिए। मानव बुद्धि या समझ की प्रकृति ही खोजने की है। लोगों के भीतर यह जिज्ञासा इसलिए खत्म होती गई, क्योंकि उन पर विश्वास या मत थोपे गए।
श्री कृष्ण कृपा  धाम के अंतरराष्ट्रीय कथावाचक ब्रह्मचारी रामकृष्ण जी महाराज ने कहा कि धर्म का अर्थ होता है सही काम करना या अपने कर्तव्य पथ पर चलना। धर्म को नियम भी कहा जा सकता है। हर धर्म के अपने कुछ विशेष नियम और रीति-रिवाज होते हैं। जिससे उस धर्म को एक अलग पहचान मिलती है। 'सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म को वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनिया के सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है। भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में सनातन के कई चिह्न मिलते हैं।
संत सम्मलेन में संतो के संपत्ति और जीवन की सुरक्षा के विषय में प्रस्ताव पारित किया गया कि इसके लिए केंद्र सरकार एक विशेष कानून पारित करें।  प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को प्रेषित किया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक अजय शर्मा पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि आज का कार्यक्रम सनातन धर्म रक्षा संघ अजयमेरु राजस्थान व अंतर्राष्ट्रीय साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वाधान  में रखा गया।
तरुण वर्मा ने  अजयमेरु नगर की स्थापना, नामकरण और महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के संचालक विजय कुमार शर्मा ने कहा कि ध्यान के तीन अक्षरों में तीन चरण /धारणा, योग और निर्णय का समावेश होता है। लगभग तीन 3 घंटे तक चले संत सम्मलेन में  जिसमें संतों के उद्बोधन के अलावा प्रबुद्ध  डॉक्टर रामनिवास शर्मा, देवेंद्र त्रिपाठी, इंजीनियर अशोक शर्मा न भी अपने विचार व्यक्त किये।  इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मानव अधिकार मिशन नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ महेंद्र शर्मा एडवोकेट भी उपस्थित रहे जिन्होंने संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया।  आज के कार्यक्रम में एडवोकेट भगवान सिंह चौहान, एडवोकेट एन के वर्मा, बृजेश गौड़, इंदर सिंह पवार, राम सिंहउदावत, नरोत्तम शर्मा, पंडित गुरु दिनेश, कथावाचक अरुणा भास्कर, श्रीमती गायत्री शर्मा, ओम प्रकाश टाक, श्रीमती आशा गौड़,  वीपी सिंह, पंडित गोपाल चतुर्वेदी, सहित अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।  

 


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.