सर्वधर्म संसद की ओर से मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में गुरुवार को सर्वधर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देश के सभी धर्मों के प्रतिष्ठित गुरुओं ने अपना उद्धबोधन दिया।
अनेकता में एकता, विश्व शांति, प्रेम और सोहार्द बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करने के उद्देश्य से आयोजित इस सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द और समझ बढ़ाने, सामाजिक सौहार्द को प्रोत्साहित करने और विश्व शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने पर चिंतन हुआ । सर्वधर्म संसद के अध्यक्ष महर्षि भृगु पीठाधीश्वर गोस्वामी सुशील महाराज (राष्ट्रीय संयोजक, भारतीय सर्व धर्म संसद)ने कहा, ष्यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण कदम है जो विभिन्न धर्मों के बीच सौहार्द और समझ को बढ़ावा देगा और विश्व शांति के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करेगा। हमें विश्वास है कि यह सम्मेलन एक नए युग की शुरुआत करेगा जिसमें विभिन्न धर्मों के लोग मिलकर शांति और सौहार्द के लिए काम करेंगे।ष्
आचार्य विवेक मुनि महाराज (संस्थापक आचार्य सुशील मुनि, मिशन दिल्ली ) ने कहा कि प्रकृति का अंसुतलन सबसे बड़ी चिंता का विषय है। इस पर सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। सिख धर्म गुरु परमजीत सिंह चंडोक (चीफ एडवाइजर दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी ) ने कहा कि विभिन्न धार्मिक हितोपदेशो पर शोध के जरिये विद्यार्थियों को संस्कारों से जोड़ा जा सकता है।
हाजी सैयद सलमान चिश्ती गद्दी नशी ( दरगाह अजमेर शरीफ अध्यक्ष, चिश्ती फाउंडेशन ) ने कहा कि आज के सम्मेलन के सकारात्मक विचार लेकर विद्यार्थी समाज मे इनका प्रसार करे ताकि सामाजिक सौहार्द और मानवता को बढ़ावा देने के लिए पहल की जा सके।
रेव्ह फादर सेबेस्टियन कोलिथानम (जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट स्कूल, ग्रेटर नोएडा और सेंट माइकल स्कूल, मथुरा के संस्थापक प्रिंसिपल) ने अनेकता में एकता का संदेश देते हुए विभिन्न धर्मों के बीच साझा मूल्यों और सिद्धांतों की खोज की बात कही। स्वामी वीर सिंह हितकारी महाराज (राष्ट्रीय प्रेस सचिव अखिल भारतीय रवि दास धर्म संस्थान) ने विश्व शांति पर जोर देते हुए संघर्षों के समाधान और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए रणनीतियों का विकास करने जरूरत बताई। कार्यक्रम में बौद्ध धर्म गुरु दीपंकर भंते, पारसी धर्म गुरु मज़ीबन ज़ैवाला तथा भारतीय वाल्मिकी साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी शिवनाथ जी महाराज ने भी विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा की ने कहा कि यह आयोजन विद्यार्थियों के लिए संस्कार निर्माण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ संस्कारों की पाठशाला भी जरूरी है, इस आयोजन के जरिए विद्यार्थियों को नई ऊर्जा प्राप्त होगी। कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर पूरणमल यादव ने कार्यक्रम के शुरू में आयोजन की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन के दौरान, धर्म गुरुओं और नेताओं द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और संवाद सत्र आयोजित हुए। धर्म गुरुओं, नेताओं और विचारकों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सत्र और चर्चाएं भी आयोजित हुई।