बांसवाड़ा | राजस्थान में मध्यान भोजन योजना निरीक्षण और वांछित सुविधाओं के अभाव में शिक्षकों के जी का जंजाल बनती जा रही हैं एक ओर संसाधन पुराने और जर्जर हो गए हैं वही राजस्थान के अधिकांश जनजाति बहुल इलाकों की एमडीएम भोजन शाला खंडहर इमारतों को खुद मरम्मत की दरकार है फल और कृष्ण भोग कागजों में सिमट कर रह गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक दशक से अधिक पुराने मध्यान भोजन योजना की भोजन शाला खंडहर और जर्जर होने से बारिश में खुले में भोजन पकाया जाता रहा हैं अधिकाश जगह कक्ष पूरी तरह से काले ,दागदार, बद्बुदार ओर जीर्ण शीर्ण भुतहा हालत में है तीन दशक पहले निर्मित भोजन निर्माण कक्ष बनने के बाद से न तो वार्षिक सफेदी नही अभी तक मरम्मत का एक धेला भी स्कूलो में प्राप्त हुआ है ।
डेढ़ दशक पहले आवंटित बजट से भोजन निर्माण के बर्तनों की खरीद करने के बाद अभी तक बर्तनों की मरम्मत और नवीन बर्तनों की खरीद तक इसलिए नहीं हुई है कि शिक्षा विभाग ने कोई राशि एमडीएम प्रभारी और सस्था प्रधान को आवंटित नहीं की गई है हालत गंभीर है क्योंकि तपले ओर भगोने,थाली,बाल्टी, परात,चमच मैसे अधिकांश मरम्मत मांग रहे है।
*एमडीएम प्रभारी, सस्था प्रधान को कोई मानदेय भी नही*
आश्चर्य वाली मुश्किल हालात की बात है की विभाग बर्तनों की प्रतिदिन साफ सफाई व्यवस्था हेतु झाड़ू,फिनाइल, सर्फ,साबुन हेतु कोई राशि एमडीएम प्रभारी को नहीं देता है वही वर्ष भर एमडीएम प्रभारी को सामग्री टमाटर हरी मिर्च मसाला और फल लाने हेतु कोई मानदेय भुगतान भी नहीं करता है।
*सस्था प्रधान जबरन एमडीएम प्रभार देता है*
इसलिए अधिकांश दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में कार्यरत शिक्षक भी एमडीएम प्रभारी बनने से कन्नी काटते हैं कोई भी अध्यापक एमडीएम का चार्ज लेना नहीं चाहता है । सस्था प्रधान जबरन एमडीएम प्रभार देता है।
*गावो में फल सब्जी किराणा सामान नहीं मिलता*
जनजाति बहुल क्षेत्रों मे अधिकांश दूरस्थ अंचलों में छितरी बस्ती होने से किराणा सामग्री,राई,जीरा, हल्दी धनिया पाउडर और गर्म मसाले,फल फ्रूट आदि ताज़े टमाटर हरी मिर्च,सब्जी आदि उच्च गुणवत्ता युक्त,आईएस आई मार्का की नहीं मिलती है।
*एमडीएम चार से छह महीने के बाद भुगतान*
एमडीएम प्रभारी दूर उपखण्ड से प्रतिदिन लेकर आते है वही एमडीएम भुगतान भी चार से छह महीने के बाद भुगतान होता है।
*भारत सरकार द्वारा कुल नामांकन के आधार पर राशि भुगतान*
भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा आपसी सहमति से एमडीएम मध्यान भोजन योजना
50:50 अनुपात में संचालित है भारत सरकार द्वारा कुल नामांकन के आधार पर राशि राज्य सरकार को आवंटित होती है किन्तु स्कूलों को उपस्थिति के आधार पर चार से छह महीने के बाद भुगतान होता है।
*राजसिम्स पोर्टल पर प्रतिदिन उपस्थिति अपलोड करना जरूरी*
शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश में राजसिम्स पोर्टल पर खाद्यान्न उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी हैं वही प्रतिदिन की विद्यार्थियो की उपस्थिति के फोटो, एसएमएस के माध्यम से भेजना पड़ता हैं।
*कुक कम हेल्पर का मानदेय भी कम*
दैनिक मंहगाई सूचकांक आधारित श्रमिक नीति के अनुसार 369रु प्रति दिन मजदूर को दिया जाना जरूरी है जबकि राजस्थान में मजदूर को न्यूनतम गारंटीशुदा 450से 500रु मजदूरी मिलती हैं जोकि प्रतिमाह 12000 बनती है।
*चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हजारों पद रिक्त,कुक कम हेल्पर कार्य कर रहे है जिन्हे स्थाई किया जाना चाहिए*
किन्तु स्कूलों मे कुक कम हेल्पर को मात्र 2006 रु प्रतिमाह मानदेय भुगतान किया जाता हैं वो भी चार से छह माह के बाद मिलता है। स्कूलों मे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हजारों पद रिक्त है वर्षो से कुक कम हेल्पर कार्य कर रहे है जिन्हे स्थाई किया जाना चाहिए।प्रतिवर्ष एमडीएम प्रभारी और कुक कम हेल्पर को हटाकर नए सिरे से अन्य को लगाने के नियम है किन्तु स्कूलों में इतने कम मानदेय पर कोई भी ग्रामीण कार्य करने को तैयार ही नही होता है इसलिए सस्था प्रधान अतिरिक्त जेब से भुगतान कर अथवा पुराने कुक कम हेल्पर के परिजनों के रिकार्ड में नाम लिख कर काम चलाऊ व्यवस्था की जाती रही हैं।
*कई कार्मिक दिनभर एमडीएम भोजनशाला में व्यस्त*
सुबह प्रार्थना में हाजरी से लेकर ताजी सब्जी, मिर्च मसाले गैस सिलेंडर तथा एमडीएम रिकार्ड और ऑनलाइन प्रविष्ठी कार्य अत्यधिक होने से दो से तीन कार्मिक दिनभर एमडीएम भोजनशाला में व्यस्त रहते है और दिनभर एमडीएम के भोजन की खुशबू से ,महक से आवारा जानवर,कुत्तों का डेरा इर्दगिर्द बना रहता हैं।
राजस्थान में मध्यान भोजन योजना में वार्षिक भोजनशाला भवन मरम्मत,सफेदी सर्फ,साबुन,झाड़ू बर्तनों की मरम्मत,नवीन ख़रीद के लिए बजट आवंटन किया जाना चाहिए ताकि बेहतर कार्य हो सकें और कुक कम हेल्पर को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के हजारों रिक्त पदों पर पूरे वेतन मान पर समायोजन किया जाना चाहिए साथ ही एमडीएम प्रभारी और सस्था प्रधान को इस बेगार के लिए मानदेय भुगतान करने से कार्य और अधिक श्रेष्ठ होगा।