डॉ. अतुल लुहाड़िया थोरेकोस्कॉपी वर्कशॉप में बने फैकल्टी

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Published on : 05 Aug, 24 16:08

डॉ. अतुल लुहाड़िया जयपुर में आयोजित  राष्ट्रीय थोरेसिक एंडोस्कोपी सोसाइटी सम्मेलन में  थोरेकोस्कॉपी वर्कशॉप में बने फैकल्टी

डॉ. अतुल लुहाड़िया थोरेकोस्कॉपी वर्कशॉप में बने फैकल्टी


  जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय थोरेसिक एंडोस्कोपी सोसाइटी सम्मेलन 'टेस्कॉन' में गीतांजलि मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल लुहाड़िया को थोरेकोस्कॉपी वर्कशोप में उदयपुर से फ़ैकल्टी के रूप में बुलाया गया l उन्होंने सम्मेलन में वर्कशॉप में पधारे हुए डेलीगेट्स को   सीने में पानी भरने के निदान और इलाज में काम आने वाली दूरबीन थोरेकोस्कॉपी जांच के बारे में बताया एवं अपना अनुभव साझा किया । मेडिकल थोरेकोस्कॉपी एक प्रकार की सीने की एंडोस्कोपी है जिसमें सीने में छोटे से भाग को सुन्न करके एक छोटा सा छेद करके थोरेकोस्कोप सीने के अंदर डाला जाता है और सीने के अंदर क्या खराबी है उसको दूरबीन द्वारा देखा जाता है , सीने में जमे हुए पानी एवं जालो को निकाला जाता है और बायोप्सी ली जाती है । इसमें जटिलताएं , जोखिम , खर्चा कम होता है, मरीज को भर्ती कम दिन रहना पड़ता है और निशान भी कम रहता हैl   डॉ. लुहाडिया ने चिकित्सकों से अपील की है कि सीने में पानी भरने के निदान के लिए बार-बार सुई से पानी निकालने की बजाए थोरेकोस्कॉपी कर बायोप्सी करनी चाहिए ताकि समय पर निदान एवं इलाज आरंभ किया जा सके। गीतांजलि अस्पताल में डॉक्टर अतुल एवं उनकी टीम अब तक लगभग 500 से ज्यादा मरीजों की सफल थोरेकोस्कॉपी कर निदान एवं इलाज कर चुकी हैं।
          सम्मलेन में ही डॉ. लुहाड़िया ने फेफड़ों की दूरबीन (ब्रोंकोस्कोपी) जांच द्वारा बलगम खांसी में खून आने पर निदान एवं उपचार पर व्याख्यान भी दिया l उन्होंने बताया कि अगर रोगी के खांसी में खून आता है तो यह एक गंभीर लक्षण होता है, कई बार फेफड़ों से ज्यादा खून आने पर मरीज गंभीर हो सकता है एवं जान को खतरा भी हो सकता है| अतः ऐसे लक्षण आने पर तुरंत चिकित्सक से मिलकर इसका निदान एवं उपचार करवाना चाहिए|


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