ज्ञान, कर्म एवं भक्ति की त्रिवेणी को जीवन में अपनाएं वरुण प्रभु*

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Published on : 07 Jul, 24 15:07

इस्कान केंद्र से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली

ज्ञान, कर्म एवं भक्ति की त्रिवेणी को जीवन में अपनाएं वरुण प्रभु*

बांसवाड़ा, जगन्नाथ रथ यात्रा पर्व पर इस्कॉन केन्द्र  सुभाष नगर प्रोफेसर कॉलोनी स्थित बांसवाड़ा इकाई की ओर से यात्रा अनुष्ठान आज रविवार को शहर की विभिन्न मोहल्लों में संपन्न हुई।

 

 इस दौरान् श्रीकृष्ण, श्री बलराम जी,माता सुभद्रा जी की प्रतिमाओं का विशिष्ट मनोहारी चन्दन श्रृंगार,दिव्य इत्रो से लेपनकर श्री हरि के श्री विग्रह पर चन्दन का  विशेष लेपन किया गया और प्रातः काल से ही कृष्ण भजन कीर्तन करते हुए सनातन संस्कृति और धर्म ग्रंथों के प्रचार प्रसार करते हुए शहर की विभिन्न कॉलोनीयो में कृष्ण सत्संग कर श्री कृष्ण साहित्य, गीता,भागवत पुराण वितरण विशेष रूप से किया गया।

 

*वेदों ,उपनिषदों तथा प्राचीन धर्म शास्त्रों की व्याख्या*

 

जगन्नाथ रथ यात्रा अनुष्ठान में संबोधित करते हुए इस्कॉन के वरुण प्रभु ने वेदों और उपनिषदों तथा प्राचीन धर्म शास्त्रों को उद्धृत करते हुए कई दृष्टान्त कई प्रसंग सहित सुनाए।

 

*भगवान् की वाणी गीता है भक्त की रामायण है*

 

 उन्होंने कहा कि शिक्षा दो प्रकार से दी जा सकती है पहली कहकर और दूसरी करके दी जाती है गीता में कहकर शिक्षा दी गई और रामायण में करके शिक्षा दी गयी है | 

 

मानव शरीर भगवान्-की कृपा से मिलता है यह शरीर देवताओं के लिए भी दुर्लभ है भगवान ने बड़ी कृपा की जो हमारा इस समय में जन्म हो गया  चौरासी लाख योनियों में भटकते हुए जीव को भगवान् बीच में ही कृपा करके मानव शरीर देते हैं  | 

 

*दुर्लभं त्रयमेवैतद्देवानुग्रहहेतुकम्*

*मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं* *महापुरुषसंश्रयः* ||

 

मनुष्यत्व, मुमुक्षुत्व और महा पुरुषों का संग-ये तीनों ही एक साथ दुर्लभ हैं जोकि भगवत्कृपा से ही साधकों को प्राप्त होते है 

हेतु रहित जग जुग उपकारी | तुम्ह तुम्हार सेवक असुरारी || 

 

को उद्धत करते हुए बताया कि 

भक्त ओर भगवान् ही बिना स्वार्थ या हेतु के प्राणि मात्र का हित करने वाले होते है।

 

  *माँ लड्डू सब बालकों को देती है, पर थप्पड़ अपने बालक को ही लगाती है*

 

प्रत्येक परिस्थिति में भगवान् की कृपा है यदि अनुकूल परिस्थिति में भी दया है तो प्रतिकूल परिस्थिति में भी दया ही है  माँ लड्डू सब बालकों को देती है, पर थप्पड़ अपने बालक को ही लगाती है जोकि अपनेपन में जो प्यार है, वह लड्डू में नहीं है हर समय श्री हरि का नाम सुमिरन और सत्संग भगवान् की कृपा पाने का सरल सर्वोत्तम उपाय है 

भगवान् की कृपा की तरफ ही देखते रहें 

 

तत्तेऽनुकम्पां सुसमीक्षमाणाः।

 

*दुःख में पुराने पापों का नाश होता है*

 

दुःख  या प्रतिकूल परिस्थिति  आने पर पुराने पापों का नाश होता है और नया पुण्य विकास होता है ।

 

भगवान् की कृपा को ही देखना चाहिए सुख-दुःख को मत छेड़िए हम सुख की आसक्ति में दिनभर दुःख का बखान करते है जोकि अनुचित है इतनी आसक्ति भगवान में होगी तो कल्याण मोक्ष निश्चित ही हैं।

 

 माता कुन्ती ने विपत्ति का वरदान माँगा था अतः परिस्थिति को मत देखो उसे भेजने वाले  भगवान दाता को देखो |

 

*प्रत्येक जीव में भगवान का वास*

 

संसार का वियोग नित्य है और भगवान्-का योग भी नित्य है | सर्व समर्थ भगवान् में यह ताकत नहीं कि वे जीव से अलग हो जायँ।

 

*वासुदेवः सर्वम् ही ऊँचा ज्ञान*

 

*भगवान् सर्वत्र व्याप्त*

 

*भगवान् के बन्धन में स्वयं को बांध लो*

 

गीता में वासुदेवः सर्वम्  की व्याख्या करते हुए बताया कि भगवान् श्रीकृष्ण सार्वभौम सर्वव्याप्त है  भगवान से बंध  जाओ उनका बन्धन भव सागर पार कर मोक्ष देने वाला है ।

 

*दूसरों को सुख देने वाले सदेव सुखी*

 

संसार से सुख लेने वाला कभी दुःख से नहीं बच सकता वही दूसरों को सुख देने वाले और सेवा करने वाले के पास दुःख फटक सकता ही नहीं भगवान कष्ट हर लेते है।

 

*ज्ञान, कर्म एवं भक्तियोग को आत्मसात करने पर बल*

 

वरुण प्रभु ने जीवन लक्ष्य में सफलता के लिए ज्ञान, कर्म एवं भक्तियोग को आत्मसात करने पर बल दिया।

 

*धार्मिक अनुष्ठान, आरती, श्री कृष्ण नाम संकीर्तन एवं भक्ति रसों से परिपूर्ण दिव्य नृत्य*

 

इस अवसर पर विभिन्न मोहल्लों में  धार्मिक अनुष्ठान, आरती, श्री कृष्ण नाम संकीर्तन एवं भक्ति रसों से परिपूर्ण दिव्य नृत्य आदि के आयोजन हुए।

 

 इनमें वरुण प्रभु, निमिश, पुनीत , कुशल, जयेंद्र, मानव, अजय, सुनील, डिम्पल, चंद्रकांता माताजी, मीना, रचना व्यास, अर्चना, कृपाली, दक्षा,हिमानी, शाबुनी, रतन माताजी सहित कई साधक-साधिकाओं ने भाग लिया।

 

यात्र समारोह में  कृष्ण भावना भाविंत उपर्णा ओढ़ाकर , माल्यार्पण कर सम्मानित किया

 


साभार :


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