बाल रंग महोत्सव में हुआ छह बाल नाटकों का मंचन

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Published on : 01 Jul, 24 02:07

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

बाल रंग महोत्सव में हुआ छह बाल नाटकों का मंचन

नई दिल्ली। उड़ान—द सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट द्वारा नई दिल्ली में आयोजित बाल रंग महोत्सव में बच्चों ने नाटकों के माध्यम से सामाजिक बुराईयों को उजागर किया। महोत्सव में प्रख्यात रंगकर्मी संजय टुटेजा के दिशा निर्देशन व संयोजन में छह नाटकों का मंचन किया गया जिसमें बच्चों ने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों को रोमाचित कर दिया। बच्चों की प्रतिभा देख दर्शक गदगद हो गये और नाटकों के मंचन के काफी देर बाद तक अपनी कुर्सियों पर जमे रहे।
उड़ान—द सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट द्वारा ग्रीष्मावकाश में लगभग दस स्थानों पर आयोजित बाल रंग शिविरों के समापन पर बाल रंग महोत्सव का आयोजन गोल मार्केट स्थित मुक्तधारा सभागार में रंगकर्मी एवं  पत्रकार संजय टुटेजा के दिशा निर्देशन व संयोजन में हुआ। महोत्सव का उदघाटन पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत तथा देश विदेश में कंजर्वेशन के क्षेत्र की बड़ी हस्ती अचल पांडया तथा कलाकाार एवं  निर्देशक पूजा सिंह ने किया।  महोत्सव का पहला नाटक शिवांग मिश्रा के निर्देश में मंचित स्कूल इंसपेक्शन था जिसमें बच्चों ने देश की शिक्षा व्यवस्था में उत्पन्न खामियों को उजागर किया और नाटक के माध्यम से दर्शकों को खामियों के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश दिया। दूसरा नाटक 'दूध में कुछ काला है' का मंचन नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के ग्रेज्युट कृष्णा राजपूत के निर्देशन में हुआ, इस नाटक में बच्चों ने सरकारी व राजनैतिक व्यवस्था की खामियों को उजागर किया। महोत्सव के पहले चरण का तीसरा नाटक 'इच्छा मर्जी ख्वाब' था जिसका निर्देश नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के ग्रेज्युट ​सागर वशिष्ठ ने किया। इस नाटक में बच्चों ने समाज में अवसाद व भागदौड़ का मुददा उठाते हुए दर्शकों को जीवन में खुशहाली लाने का संदेश दिया।
महोत्सव के दूसरे चरण में मंचित तीन नाटकों में सबसे पहले दक्ष चोपड़ा द्वारा निर्देशित नाटक 'राजा और जादूगर' का मंचन किया गया। जिसमें बच्चों ने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों को रोमांचित करते हुए क्रोध से मुक्ति पाने का संदेश दिया। महोत्सव का पांचवा नाटक  'बिल्ली रानी बडी सयानी' रहा जिसका निर्देशन नेशनल स्कूल आफ ड्रामा से ग्रेज्युट कृष्णा राजपूत ने किया। इस हास्य नाटक में बच्चों ने खूब हंसाया और गुदगुदाया। महोत्सव का अंतिम नाटक 'लाल पेन्सिल' रहा जिसका निर्देशन नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के सागर वशिष्ठ ने किया। इस नाटक के माध्यम से बच्चों की मौलिक प्रतिभा को निखारने का संदेश दिया गया। महोत्सव का समाचार फिल्म व टीवी कलाकार तथा फिल्म निर्देशक अंशुल त्यागी ने किया। संस्था के उपाध्यक्ष संजय गुप्ता एवं सक्षम पाहुजा ने अंत में सभी का आभार व्यक्त किया।


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