बरसाती प्रवाह के साथ शहरी गंदगी का जल स्रोतों में  जाना प्रारंभ 

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Published on : 30 Jun, 24 16:06

आशंका:  आयड़ नदी में बिछाई घास , फर्शी व नाली अट  जायेंगे कचरे के कीचड़ से 

बरसाती प्रवाह के साथ शहरी गंदगी का जल स्रोतों में  जाना प्रारंभ 

उदयपुर,बरसाती प्रवाह में   सड़कों  व नालियों का  कचरा व गंदगी जलस्रोतों में प्रवेश कर उन्हे प्रदूषित कर रहे है। रविवार को आयोजित झील संवाद में इस पर चिंता व्यक्त की गई।

संवाद में जल प्रबंधन  विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि     बरसाती पानी  बहाव के साथ   निर्माण मलबा ,  ऑटोमोबाइल गेराजों, मरम्मत स्थलों का   कार्बन,  ऑयल, डीजल, पेट्रोल,  सड़कों पर जमा मिट्टी  ,    प्लास्टिक, पॉलिथिन, गाद, पत्तियां, टहनियां    व अन्य  कचरा    झीलों व नदी में पंहुचना प्रारंभ हो गए है।  पूरी  आशंका है कि बरसात काल समाप्ति तक आयड़ नदी में बिछाई घास , फर्शी, नाली सब कचरे के कीचड़ से अट जायेंगे।

झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झील किनारों पर   बहुत कचरा पसरा  हैं । पिछोला पश्चिमी क्षेत्र में घरेलू, होटल,  रेस्टोरेंट  कचरे सहित  डीवीडिंग मशीन से निकली खरपतवार  किनारों पर पड़ें   है। यह सब  जल मग्न हो जायेंगे । 

गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि मानसून से पूर्व बरसाती नालियों ,  झील , नदी किनारों की व्यापक सफाई होनी चाहिए। इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की अवेहलना व उपेक्षा जल स्रोतों को भारी मात्रा में प्रदूषित करेगी।

वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह व रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि आम नागरिक भी ध्यान रखे कि सड़कों पर कचरा व गंदगी नही फैलने दे। इनका जल स्रोतों में प्रवेश हमारे पीने के पानी को ही प्रदूषित कर हमे बीमार करेगा।

संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने बरसाती पानी के साथ बही  शहरी गंदगी का निरीक्षण किया।

फोटो: पिछोला में प्रवाहित, विसर्जित  कचरे  का निरीक्षण करते झील प्रेमी ।


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