नशा मुक्त समाज जन भागीदारी से संभव : डॉ गाँधी

( 909 बार पढ़ी गयी)
Published on : 28 Jun, 24 11:06

उपभोक्ता सुरक्षा  संगठन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर  विशेष

नशा मुक्त समाज जन भागीदारी से संभव : डॉ गाँधी


उदयपुर   उपभोक्ता सुरक्षा संगठन द्वारा एक दिवसीय वेबिनार  नशाखोरी: समस्या एवं समाधान का आयोजन किया गया |
संगठन के  चिराग चोपड़ा, जनरल सेक्रेटरी, उपभोक्ता सुरक्षा संगठन, नई दिल्ली ने  संगठन के बारे में जानकारी दी एवं अपने विचार साझा कर समाज  जन को नशे से कैसे बचाया जाये उस पर जानकारी दी |
 मुख्य वक्ता डॉ. भूमिका चौबीसा, अधिवक्ता ने नशाखोरी: समस्या एवं समाधान के बारे में जानकारी साझा कर बताया कि एक आम आदमी भी कानून की सहायता लेकर नशाखोरी को रोक सकता है एवं समाज  और देश को इस से दूर रख सकता है |  
इसी कड़ी में मुख्य अतिथि डॉ. करुणा भंडारी, शिशु रोग विशेषज्ञ, जी बी  एच   अमेरिकन हॉस्पिटल , उदयपुर ने तंबाकू के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी और बताया कि इसके सेवन से सामाजिक एवं पारिवारिक समस्याएं आना संभव है और इसकी रोकथाम के लिए हर स्तर पर अपने परिवार जान बच्चो को जानकारी साझा करनी चाहिए।
डॉ. संगीता ने महिलाओ में होने वाले  कैंसर के बचाव एवं रोकथाम  से संबंधित जानकारी साझा की, जो कि आज के दौर में एक महत्वपूर्ण विषय है |
संगोष्ठी के अंत में डॉ. राज श्री गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, उपभोक्ता सुरक्षा संगठन ने सभी का धन्यवाद देते हुए नशा मुक्ति पर प्रकाश डाला और कहा शिखा  और जागरूकता:* नशाखोरी के दुष्प्रभावों के बारे में जनसामान्य को शिक्षित करना और जागरूक करना आवश्यक है। स्कूलों और कॉलेजों में नशा मुक्ति अभियान चलाना चाहिए ताकि युवाओं को इसके खतरों के बारे में जानकारी हो सके।  परिवार और समाज की भूमिका नशाखोरी की रोकथाम में महत्वपूर्ण होती है। परिवार को एकजुट होकर नशा करने वाले व्यक्ति का समर्थन करना चाहिए और उसे पुनर्वास के लिए प्रेरित करना चाहिए। नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिए कानूनी व्यवस्था का सख्ती से पालन करना चाहिए। नशे के व्यापार और वितरण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए जाएं और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।नशा करने वालों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना होनी चाहिए, जहाँ उन्हें उचित चिकित्सकीय और मानसिक समर्थन मिल सके। समाज में नशा मुक्ति अभियान चलाने के लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों और स्वयंसेवकों को प्रेरित करना चाहिए। इसके तहत विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों, वर्कशॉप और सेमिनारों का आयोजन किया जा सकता है। मीडिया का उपयोग नशा मुक्ति अभियान के प्रचार-प्रसार के लिए करना चाहिए। विज्ञापनों, डॉक्यूमेंट्री फिल्मों, और सोशल मीडिया के माध्यम से नशाखोरी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सकती है। सरकार को नशा मुक्ति अभियान के लिए वित्तीय और नीति समर्थन प्रदान करना चाहिए। इसके तहत सरकारी योजनाओं का सही तरीके से कार्यान्वयन और नशा मुक्ति कार्यक्रमों का संचालन सुनिश्चित करना चाहिए।हर क्षेत्र में नशा मुक्ति केंद्रों का विस्तार होना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इनका लाभ मिल सके और वे नशामुक्त जीवन जी सकें। कार्यस्थल पर भी नशा मुक्ति के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। इसके माध्यम से कर्मचारियों को नशाखोरी के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी जा सकती है।
 युवाओं को नशाखोरी से बचाने के लिए विशेष कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन करना चाहिए, जिससे वे स्वस्थ और नशामुक्त जीवन जी सकें।
इस संगोष्ठी का संचालन एवं संयोजन  डॉ. अल्पना बोहरा एवं सुप्रिया खंडेलवाल ने किया |
संगोष्ठी मैं उपस्थित सभी का धन्यवाद् एवं आभार शिरीष नाथ माथुर ने दिया |


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.