साहित्य के सारे सरोकार मनुष्य केंद्रित है- प्रो. माधव हाडा

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Published on : 28 Jun, 24 04:06

साहित्य समय के साथ अपना रूप बदलता है- प्रो. किशन दाधीच

साहित्य के सारे सरोकार मनुष्य केंद्रित है- प्रो. माधव हाडा

 

भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन।

 

उदयपुर  भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय एवं राजस्थान साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के सभागार में दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय के हिंदी एवं संस्कृत विभाग के साझे में 'साहित्य: मानवीय मूल्य, सामाजिक सरोकार एवं विविध संदर्भ' विषय को लेकर आयोजित इस संगोष्ठी की निदेशक एवं अधिष्ठाता डॉ. शिल्पा राठौड़ ने उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो. माधव हाडा, वरिष्ठ आलोचक ने मध्यकालीन धार्मिक साहित्य एवं भाषा विकास में संत कवियों के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो.किशन दाधीच, वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि मानवीय मूल्य में वर्तमान में गिरावट देखी जा रही है और साहित्य के माध्यम से ही हम मनुष्यता को पुनः स्थापित कर पाएंगे। संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक एवं चेयरपर्सन प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने संबोधित करते हुए कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में समाज की भावनाओं, सहयोग आदि को साहित्य में पिरोया गया है तथा तकनीकी के साथ सामाजिक मूल्यों में भी बदलाव आ रहा है, ऐसे समय में साहित्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। संगोष्ठी सह संरक्षक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने सभी प्रतिभागियों को साधुवाद प्रदान करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन शोधार्थियों को शोध हेतु मंच उपलब्ध करवाते हैं। डॉ.बसंत सिंह सोलंकी, सचिव, राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर ने सभी अतिथियों का धन्यवाद अर्पित किया। संगोष्ठी संरक्षक डॉ. महेंद्र सिंह राठौड़ ने संगोष्ठी की सफलता हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।आयोजन सचिव एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. हुसैनी बोहरा ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की। हाइब्रिड मोड पर आयोजित इस संगोष्ठी में 20 प्रतिभागियों ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया एवं समापन सत्र में  प्रो. श्रीनिवासन अय्यर, साहित्यकार एवं कला मर्मज्ञ, प्रो. मलय पानेरी आलोचक एवं अधिष्ठाता, सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी  संकाय ज.रा.ना.रा.विद्यापीठ, प्रो. कृष्ण कुमार शर्मा, शैली वैज्ञानिक एवं आलोचक तथा साहित्यकार डॉ. सदाशिव श्रौत्रिय ने साहित्य के विविध पक्ष, मानवीय मूल्य, साहित्य और बदलते परिप्रेक्ष्य तथा समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों पर अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी सह सचिव एवं संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ.पंकज मरमट ने संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया इस अवसर पर संस्थान के वित्त सचिव शक्ति सिंह करोही, डीन पीजी स्टडीज डॉ. प्रेम सिंह रावलोत सहित सभी संकाय अधिष्ठाता एवं सदस्य उपस्थित रहे। आयोजन समिति सदस्य डॉ. चंद्ररेखा शर्मा एवं डॉ.कीर्ति चुंडावत ने विस्तार जानकारी देते हुए बताया कि इस अवसर पर विभिन्न राज्यों से आए हुए प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये तथा सभी पत्र वाचन करने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। संगोष्ठी का संचालन डॉ.अनीता राठौड़ द्वारा किया गया। ये जानकारी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ कमल सिंह राठौड़ ने दी।


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