विकसित राजस्थान विजन 2047: खनन पट्टाधारियों व हितधारकों ने दिए सुझाव

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Published on : 27 Jun, 24 02:06

विकसित राजस्थान विजन 2047: खनन पट्टाधारियों व हितधारकों ने दिए सुझाव

 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू किए गए विकसित भारत अभियान के तहत विकसित राजस्थान विजन-2047 के तहत मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के निर्देशानुसार विजन दस्तावेज तैयार करने को लेकर गोवर्धन विलास परिसर स्थित खनिज भवन में बुधवार को निदेशक खनन श्री भगवती प्रसाद की अध्यक्षता में परिचर्चा आयोजित हुई। इसमें खनन पट्टाधारियों, खनिज स्टेक होल्डर्स एवं खनन एसोसिएशन पदाधिकारियों ने भाग लेकर सुझाव दिए।
खनि अभियंता उदयपुर आसिफ अंसारी ने बताया कि ‘‘विजन 2047’’ के तहत खनन नीतियों में शिथिलता, बजट 2024-25 पर चर्चा, परिवेश पोर्टल पर ई.सी. वेलिडेशन के सम्बन्ध में चर्चा तथा आगामी वर्षा ऋतु में सघन वृक्षारोपण के सम्बन्ध में परिचर्चा की गई। इसमें विभाग के अतिरिक्त निदेशक उदयपुर जोन दीपक तंवर, सहित सहायक खनि अभियंता ऋषभदेव दिलीप सुथार, सलूम्बर सहायक खनि अभियंता मलिक उस्तर, उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स, फिलाईट-शिष्ट एसोसिएशन-मठाठा, क्वार्ट्ज व फेल्सपार माइनिंग एसोसिएशन, मेसेनरी स्टोन ऑनर्स एवं क्रेशर एसोसिएशन, जिला मिनरल्स माइन्स वेलफेयर संस्थान राजसमंद, ऋषभदेव ग्रीन मार्बल एसोसिएशन, भूवैज्ञानिक मुकेश जाकेटिया एवं आर.क्यू.पी. तथा बाबरमाल मार्बल माईन ऑनर्स एसोसियेशन समिति आदि के पदाधिकारियों ने भाग लेकर सुझाव दिए। निदेशक ने सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना और सभी प्राप्त सुझावों को सरकार को प्रेषित किए जाने का आश्वासन दिया।

यह आए प्रमुख सुझाव
- खनन को उद्योग का दर्जा दिया जाए
- खनन पट्टों के लिए प्रयुक्त संविदा पर स्टाम्प ड्यूटी की गणना का आधार डी.एल.सी. से मुक्त किया जाए
- खनन पट्टा की अवधि 50 वर्ष के स्थान पर अन्य विभागों की भांति 90 वर्ष के पट्टे आवंटन किए जाएं
- खनन पट्टा अवधि 2040 तक के प्रकरणों में प्रीमियम राशि की गणना में वर्तमान स्थिर भाटक को अधिकतम दोगुणा करते हुए की जानी है तो इसके लिए गाइडलाइन निकाली जाकर स्थिति स्पष्ट की जाए
- खनन पट्टा अवधि 2040 तक के प्रकरणों में प्रीमियम राशि अन्य नियमों की भांति अधिकतम 10 गुणा रखी जावे तथा एकमुश्त नहीं ली जाकर, अन्य नियमों की भांति किश्तों में लिये जाने का प्रावधान किया जाए
- खनन पट्टा अध्यर्पण के समय स्थिर भाटक की गणना शेड्यूल के स्थान पर वर्तमान स्थिर भाटक के अनुसार हो
- सी.टी.ओ. की शर्त के तहत खनन पट्टा में 33 प्रतिशत क्षेत्र पर वृक्षारोपण अनिवार्य होता है। चूंकि अधिकांश खनन पट्टे छोटे होते हैं, उनमें खनन की ही भूमि उपलब्ध होती है। अतः खनन पट्टा/खनन क्लस्टर क्षैत्र के आस-पास स्थित राजकीय बंजड़ भूमि को खनन पट्टाधारियों को वृक्षारोपण के लिए दी जावे और उसमें किये गये वृक्षारोपण को सी.टी.ओ. की शर्त की गणना में शामिल किया जावे। इसके लिए पृथक से भुगतान/शास्ती राशि जो राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा वसूली जाती है, उसे शमन किया जाए
- खनन क्षेत्र/खनिज संभावित क्षेत्र को ‘‘खनन क्षेत्र’’ घोषित किया जाए और उसके समीप अन्य आवासीय कॉलोनी/अन्य उद्योगों को स्थापित करने की अनुमति जारी नहीं की जाए
- राजकीय भूमि में ऑक्शन किये गये प्लॉटों में खनन हेतु आने-जाने के लिए रास्ता उपलब्ध कराया जाए
- राजकीय कार्यों में एम-सैंड की अनिवार्यता की जाए, विशेष पॉलिसी बने तथा एम-सैण्ड की रॉयल्टी निर्धारित की जाए
- ई.सी. के प्रावधान पूर्ववर्ती जिला स्तरीय समिति गठित कर की जाए
- वन विभाग से डायवर्सन हुए खनन पट्टों में हस्तानान्तरण के समय पुनः वन विभाग की अनापत्ति प्राप्त करने की बाध्यता समाप्त की जाए
- खनिज फैल्सपार की गुणवत्ता के आधार पर रॉयल्टी की दो श्रेणियां लागू कर रॉयल्टी निर्धारित की जाए
- निविदा से आवंटित खनन पट्टों में सभी प्रकार की अनापत्ति प्राप्त कर, खनन सुगम मार्ग तैयार किया जाकर तथा यदि कोई अवैध कब्जे हों तो उनको भी भूमि से पृथक करने के पश्चात् निविदा में शामिल किया जावे।
- निविदा में आवंटन खनन पट्टों के सन्दर्भ में ‘‘सिंगल विण्डो’’ सिस्टम आधार पर सभी अनापत्तियां एक ही स्थान पर उपलब्ध कराई जाएं
- डी.एम.एफ.टी. काउंसिल में खनन क्षेत्र के चिन्ह्ति पट्टाधारियों/एसोसिएशन प्रतिनिधि को भी सम्मिलित किया जाए
- प्रधान खनिज की भांति अप्रधान खनिज के संदर्भ में पूर्व पट्टाधारी को नीलामी में अधिमान्य अधिकार प्राप्त हो
- जी.एस.टी. दरों में कमी की जाए
वर्तमान में खनिज फैल्सपार, क्वार्ट्ज तथा डोलोमाइट (औद्योगिक खनिजों में) के ही ब्लॉक का ऑप्शन है, जबकि अन्य खनिजों में भी ब्लॉक निकलते हैं, जिनका भी ऑप्शन किया जाए
- बकाया नहीं होने का प्रमाण पत्र ऑनलाइन किया जाए
- खनिज समावेश की प्रक्रिया का सरलीकरण हो
- गेप आवंटन की प्रक्रिया को और सरल किया जाए। इत्यादि


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