असम के राज्यपाल श्री कटारिया व वन मंत्री श्री शर्मा ने उदयपुर को दी नई सौगातें

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Published on : 24 Jun, 24 15:06

अंबेरी में बटरफ्लाई पार्क एवं चिल्ड्रन एडवेंचर जोन व इको टूरिज्म एडवेंचर जोन का किया शुभारंभ

असम के राज्यपाल श्री कटारिया व वन मंत्री श्री शर्मा ने उदयपुर को दी नई सौगातें

लव कुश वाटिका का भी हुआ लोकार्पण
सज्जनगढ़ में प्रदेश की दूसरी लॉयन सफारी के लिए रखी आधारशिला
उबेश्वर जी में जल संरक्षण संरचनाओं का शिलान्यास
उदयपुर, । विश्व पटल पर पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान रखने वाले उदयपुर शहर के लिए सोमवार का दिन सौगातों भरा रहा। लेकसिटी को वन विभाग की ओर से सोमवार को विभिन्न विकास कार्यों व नवाचारों की सौगात मिली। असम के राज्यपाल माननीय गुलाबचंद कटारिया एवं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री संजय शर्मा ने शहर में बटरफ्लाई पार्क, चिल्ड्रन एडवेंचर जोन, ईको टूयूरिज्म एडवेंचर जोन, लवकुश वाटिका का उद्घाटन एवं उबेश्वर महादेव में जल संरक्षण संरचनाएं, होल्डिंग एरिया तथा सज्जनगढ़ में लॉयन सफारी का शिलान्यास किया।
अंबेरी में बटरफ्लाई पार्क, चिल्ड्रन एडवेंचर जोन, ईको टूयूरिज्म एडवेंचर जोन के शुभारंभ अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल श्री कटारिया ने कहा कि हमारे पुरखों ने उदयपुर को जहां बसाया वास्तव में बहुत अच्छी जगह है। चारों तरफ पहाड़ियां है, खुबसूरत झीलें हैं और नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण वातावरण, यह सब पुरखों की देन है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ का इतिहास गौरवशाली रहा है और आज मेवाड़ जिस ऊंचाई पर है वह भगवान एकलिंगनाथ की देन है।
उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि आज हमें इन सौगातों को शुरू करने का अवसर मिला इसके लिए वन विभाग की पूरी टीम तारीफ के काबिल है। वास्तव में अधिकारियों ने जिस लगन, मेहनत और ईमानदारी ने जो विकास एवं नवाचार किये है उससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लेकसिटी को नई पहचान। उन्होंने उदयपुर में वन विकास के लिए कार्यक्रम उपस्थित वन विभाग के पूर्व अधिकारी इंद्रपालसिंह मथारू, राहुल भटनागर, ओ.पी.शर्मा आदि के प्रयासों को सराहनीय बताते हुए उनको धन्यवाद दिया। कटारिया ने कहा कि जिला प्रशासन, नगर निगम, उदयपुर विकास प्राधिकरण, हिन्दुस्तान जिंक, आएएमएसम, डीएमफटी जैसे संगठन सहित सभी उदयपुरवासियों के समन्वित प्रयासों से आज हमारे उदयपुर के आसपास का जंगल हरा-भरा है और हमारी इसी सामूहिक भावना उदयपुर के विकास का पहिया आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में जो पेड़-पौधे हम लगाते आए है वे सभी आज सुरक्षित है और फल-फूल कर विकसित हो चुके है यह खुशी की बात है। उन्होंने इन प्राकृतिक स्थलों को सहेजकर रखने के लिए स्थानीय कार्मिकों व समिति सदस्यों को भी साधुवाद दिया।
डीएमएफटी से जारी हुई त्वरित स्वीकृतियांः
कटारिया ने उदयपुर के विकास को गति प्रदान करने के लिए सतत प्रयासरत जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल के प्रयासों की सराहना की और डीएमएफटी मद से 208 करोड़ रुपए की त्वरित स्वीकृतियां जारी करने की जानकारी देते हुए कहा कि इससे उदयपुर के विकास को एक नई दिशा मिलेगी। कटारिया ने कहा कि सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के स्तर पर उदयपुर का चहुंमुखी विकास हुआ है। कटारिया ने कहा कि जो विकास कार्यों की सौगात आज उदयपुरवासियों को मिली है। उनका सदुपयोग एवं उन्हें मेनटेन रखना हम सभी का दायित्व है।
उदयपुर पर रही प्रकृति की अनूठी कृपा :
उन्होंने कहा कि उदयपुर वासियों पर प्रकृति की अनूठी कृपा रही है। आज लवकुश वाटिका के रूप में नए डेस्टिनेशन का शुभारंभ किया है। वहीं सज्जनगढ़ के प्रति पर्यटकों व आमजन का उत्साह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही यहां पार्क में घडियाल का कुनबा बढ़ा है यह भी अच्छी बात है। आज ही हम लॉयन सफारी व उबेश्वर महादेव जी में जल संरक्षण संरचनाओं का शिलान्यास भी कर रहे है, यह भी एक पाइंट होगा। हमारा गुलाबबाग का बर्ड पार्क भी आज विशेष आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। यह वास्तव में उदयपुर के लिए गर्व की बात है। उन्होंने जयसमंद अभयारण के विकास पर जोर देने की बात कही। समारोह में अतिथियों ने बटरफ्लाई विषयक एक पुस्तिका का विमोचन भी किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि यह गौरव का विषय है कि पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले उदयपुर को वन विभाग के तत्वावधान में कई सौगातें देने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि नैसर्गिक दृष्टि से समृद्ध उदयपुर में वन विभाग द्वारा विकसित किए गए यह स्थान आगामी दिनों में उदयपुर को और अधिक गौरव प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि उदयपुर में वन विकास के साथ यहां के चहुंमुखी विकास के लिए श्री गुलाबचंद कटारिया के प्रयास अनुकरणीय है। उन्होंने जिला प्रशासन एवं वन विभाग की पूरी टीम का भी आभार जताया।
इस अवसर पर उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल, एसपी योगेश गोयल, मुख्य वन संरक्षक एस.आर.वी मूर्थी, सभागीय मुख्य वन संरक्षक सुनील चिद्री, उप प्रमुख पुष्कर तेली, समाजसेवी रवीन्द्र श्रीमाली, सहित अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं आमजन मौजूद रहे।

इन स्थलों का लोकार्पण, शिलान्यास
असम के राज्यपाल श्री कटारिया एवं वन मंत्री श्री शर्मा ने सर्वप्रथम दूध तलाई के समीप नवनिर्मित लवकुश वाटिका का लोकार्पण किया। शहर के बीच आमजन को वन भ्रमण का अनुभव उपलब्ध कराते हुए आमजन में वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार की ओर से उक्त वाटिका का निर्माण कराया गया है। इसमें बच्चों के लिए एडवेंचर एक्टिविटी, ईको ट्रेक आदि निर्मित हैं।
इसके पश्चात अतिथि अंबेरी पहुंचे। वहां उन्होंने नगर विकास प्रन्यास, उदयपुर के वित्तीय सहयोग से 50 लाख रूपए की लागत से तैयार बटरफ्लाई पार्क का लोकार्पण किया। यहां पर तितली विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने बजाया कि जैव विविधता को समर्पित उक्त पार्क में 83 प्रजातियों की तितलियां देखने मिलेंगी। उन्होंने यहां पर तितलियों के कैटर पिलर और होस्ट प्लांट आदि के बारे जानकारी दी। इस दौरान अतिथियों ने इस पार्क निर्माण में सराहनीय सेवाएं देने के लिए मुकेश पंवार का अभिनंदन भी किया। यहां पर अतिथियों ने पौधारोपण भी किया।
अतिथियों ने अंबेरी में ही युडीए मद से 25 लाख रूपए की लागत से तैयार चिल्ड्रन एडवेंचर जोन का भी लोकार्पण किया। यहां बच्चों के लिए पर्यावरण अनुकूल साहसिक गतिविधियां एवं झूले इत्यादि की स्थापना की गई है। इसी क्रम में वनखण्ड गमधर में युडीए मद से 48 लाख रूपए की लागत से तैयार ईको-ट्यूरिज्म एडवेंचर जोन का भी लोकार्पण किया। इसमें स्काई साइकिलिंग, वॉल क्लाईबिंग, ग्रेन्ट स्विंग आदि स्थापित किए गए हैं।
अतिथियों ने सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में प्रदेश की दूसरी लॉयन सफारी की आधारशिला भी रखी। लॉयन सफारी बनने के बाद उदयपुर में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
असम के राज्यपाल श्री कटारिया, वन मंत्री श्री शर्मा सहित अन्य अतिथियों ने ईको ट्यूरिज्म स्थल उबेश्वर जी में डीएमएफटी मद से 477.48 लाख रूपए की लागत से तैयार जल संरचनाओं का भी लोकार्पण किया। इसके तहत उबेश्वर जी महादेव स्थित प्रमुख प्राकृतिक नाले को ड्रेनेज लाइन ट्रीटमेंट के आधार पर उपचारित कर जल संरचनाएं निर्मित की गई हैं, ताकि वर्षा जल को संरक्षित किया जा सके।


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