आपसी सहयोग से ही हम सभी सर्वोच्च शिखर पर पहुंच पाए। - गिरधारी लाल शर्मा

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Published on : 24 Jun, 24 05:06

आपसी सहयोग से ही हम सभी सर्वोच्च शिखर पर पहुंच पाए। - गिरधारी लाल शर्मा

 

उदयपुर 23 जून 2024.

 60 वर्षों बाद आज पुन: शिक्षा मंदिर के गलियारों में घूम कर मन प्रफुल्लित व आह्लादित हुआ - यह कहना था अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी गिरधारी लाल शर्मा का ।  वे आज एम बी कॉलेज के विवेकानंद हॉल में आयोजित पूर्व छात्र परिषद के मासिक स्नेह मिलन समारोह में बोल रहे थे । सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने वाले अपने सब साथियों  के नाम उदरित करते हुए उन्होंने  कहा कि वह समय का एक ऐसा दौर था जिसमे परस्पर सहयोग कर ज्ञान का आदान-प्रदान करने की प्रवृत्ति के रहते सभी को लाभ हुआ और सभी ने अपने अपने क्षेत्र में ऊंचाइयां को छुआ ।  वे आज भी कुछ नया सीखने की लालसा रखते हैं । 

परिषद के मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने बताया कि मासिक स्नेह मिलन कार्यक्रम की शुरुआत परिषद महासचिव शांतिलाल भंडारी के स्वागत उत्पादन से हुई । साथ ही समय अनुरूप बढ़ाई गई सदस्यता राशि को सदन ने ध्वनि मत से पारित किया । 1985 से पूर्व एम बी कालेज मे शिक्षा ग्रहण करने वाले व्यक्तियों के लिये परिषद की  सदस्यता खुली है व सभी कार्यक्रम मे वे अपने जीवन साथी के संग आमंत्रित रहते है।

सचिव डॉक्टर आर के गर्ग ने गत मासिक मीटिंग का प्रतिवेदन पढा जिसे सदन ने अनुमोदित किया। इस माह में जन्मे चार सदस्य व  दो नए सदस्यों का तिलक व  माला से स्वागत किया गया । नए सदस्यों में  मुख्य प्रबंधक एसबीबीजे के पद से सेवानिवृत्त भंवरलाल पोखरना ने 64 वर्ष पूर्व यहां से एम कॉम की व आरएसएमएम के जनरल मैनेजर पद से सेवानिवृत्त  इंजीनियर अशोक जैन 60 वर्ष पूर्व यहां विद्यार्थि रहे । सदन ने करतल ध्वनि से नये सदस्यों का स्वागत किया ।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते हुए डॉ राकेश दशोरा ने परिषद सदस्यों को मुद्रा विज्ञान का महत्व समझाया । उन्होंने कहा कि योग में  आसन व  प्राणायाम के साथ ही हाथों से बनाई जाने वाली विशेष  मुद्राओं का शरीर को स्वस्थ्य रखने मे महत्वपूर्ण योगदान है । उम्र के ढलते पडाव पर स्मरण शक्ति के ह्रास को नियंत्रित करने हेतु प्रतिदिन सुबह शाम 15 - 15 मिनट ध्यान मुद्रा में बैठना व उंगलियों को परस्पर क्लाक व एंटीक्लाक  घुमाना चाहिये। जोड़ों के दर्द का वायु मुद्रा एक सटीक उपाय  है व हास्य मुद्रा व योग तनाव मुक्ति हेतु श्रेष्ठ है। सभी सदस्यों ने सिखाई गई मुद्राओं को नियमित कर लाभान्वित होने का संकल्प लिया ।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में शिवरतन तिवारी ने आज का परिदृश्य दिखाती कविता "पढ़े लिखे परिंदे  कैद है माचिस के मकान में ", चंद्र सिंह जैन "दुनिया पैसों री पुजारी"'  श्रीमती मंजु सिसोदिया ने  फिल्मी गाना "सैयां दिल में आना रे", श्रीमती सीता शर्मा ने "जिंदगी एक सफर है सुहाना"  इन्द्रमल पटवा ने "एक बंजारा गाए" जगत सिंह परवाना ने "खोया खोया चांद",  रविंद्र भटनागर ने "होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो", सुरेश सिसोदिया ने मर्म स्पर्शी  शायरी सुनाई ।

आगामी मीटिंग पिकनिक के रुप मे रखने का महासचिव द्वारा रखा प्रस्ताव सभी ने स्वीकृत किया।  धन्यवाद व दिवंगत सदस्यों को मौन श्रद्धांजलि के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।


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