**उदयपुर:** शहर की बेशकीमती चंपाबाग जमीन के मामले में हाईकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। सिंगल बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए डबल बेंच ने जिला प्रशासन और सरकार को चंपाबाग की खातेदारी वाली जमीन का अधिग्रहण करके उसे विश्वविद्यालय (सुविवि) को सौंपने के आदेश दिए हैं। हालांकि, याचिकाकर्ताओं को भूमि अधिग्रहण अधिकारी के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराने की भी छूट दी गई है। इसके अलावा, डबल बेंच के आदेश के 90 दिनों के भीतर विपक्षियों को फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की भी अनुमति है।
न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्रसिंह भाटी और योगेन्द्र कुमार पुरोहित की बेंच का फैसला आने के बाद 30 साल पुराना यह मुद्दा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। विवि के पूर्व कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह ने 2019 में इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद वे विवादों में आ गए थे। उन्होंने सिंगल बेंच के फैसले की अनुपालना करने के प्रयास किए थे, जिसके बाद इस जमीन पर कब्जा किए हुए लोगों ने सिंगल बेंच के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
सुविवि की ओर से डबल बेंच में वकील अंकुर माथुर ने बताया कि विवि की आवश्यकता के बीच सरकार और प्रशासन ने तत्कालीन अर्जेंसी क्रॉस में नियमित प्रक्रिया को पूरा किए बिना ही जमीन का अधिग्रहण शुरू कर दिया था। इसके विरोध में वहां कब्जा किए हुए लोगों ने अर्जेंसी क्रॉस को चुनौती दी थी, जिसके बाद सरकार ने भूमि अधिग्रहण की नियमित प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस प्रक्रिया में भी कई साल बीत गए, लेकिन इस प्रक्रिया को भी विपक्षियों ने हाईकोर्ट में चुनौती देकर स्टे ले लिया था। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भी हाईकोर्ट को शामिल करने की मांग की गई थी।
वर्ष 2007 में भूमि अधिग्रहण के मामले में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और अधिग्रहण की प्रक्रिया को भूमि अधिग्रहण अधिकारी के स्तर पर ही पूरा करने का निर्देश दिया। सिंगल बेंच के फैसले के बाद प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी अधिग्रहण प्रक्रिया को लेकर सुस्त हो गए, जिससे मामला डबल बेंच में चला गया था।
**सुविवि ने 20 लाख में खरीदी थी जमीन, अब 700 करोड़ की**
चंपाबाग की 14.59 हेक्टेयर जमीन सुविवि ने 1994 में प्रदेश सरकार से 20 लाख में खरीदी थी। इसकी अधिसूचना भी जारी की गई थी। इसके बाद एक पक्ष ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था। इसके बावजूद, यहां कॉलोनियां बसती गईं। विवि की ओर से निर्माण की अनुमतियां जारी करने वाले विभागों को पत्र भी लिखे गए। अंततः 4 अगस्त 2021 को राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद नगर निगम ने विवादित जमीन पर चल रहे चार अवैध निर्माणों को रुकवाने की कार्रवाई की थी। अब यह जमीन 700 करोड़ से ज्यादा की हो गई है।