राष्ट्रीय संगोष्ठी में जलवायु परिवर्तन, वनस्पति संरक्षण, और जैव विविधता पर विचार-विमर्श

( 4847 बार पढ़ी गयी)
Published on : 27 May, 24 02:05

राष्ट्रीय संगोष्ठी में जलवायु परिवर्तन, वनस्पति संरक्षण, और जैव विविधता पर विचार-विमर्श

उदयपुर, भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में विभिन्न विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन और वनस्पति संरक्षण पर महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए।

मुख्य अतिथि प्रो. उमाशंकर शर्मा, पूर्व वाइस चांसलर, MPUAT, उदयपुर ने जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करना और गर्म होती दुनिया के साथ तालमेल बिठाना, दोनों ही वर्तमान समय की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं।" उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती मात्रा के कारण वैश्विक जलवायु में हो रहे परिवर्तन का असर समुदाय, स्वास्थ्य और पंच महाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) पर हो रहा है।


 

विशिष्ट अतिथि प्रो. महेश दीक्षित, प्राचार्य, मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय, उदयपुर ने वनस्पति संरक्षण पर जोर देते हुए कहा, "वनस्पति केवल उपभोग की वस्तु ही नहीं है, अपितु उन्हें भी संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता होती है।" उन्होंने वेदों में विज्ञान और ज्ञान के सम्मिलित रूप का महत्व बताते हुए नौतपा की वैज्ञानिक व्याख्या भी समझाई।

की-नोट स्पीकर प्रो. जी एस शेखावत, विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ने पुनःचक्रण (री-साइकिलिंग) के महत्व पर जोर दिया और कहा, "वनस्पति एवं जैव विविधता को जहरीले प्रभाव से बचने के लिए उचित तरीके से री-साइकिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।" उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन उत्पादन में खनन से अधिक लागत आती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन में योगदान देता है।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एम अब्दुल करीम, सेंटर फॉर कंजर्वेशन नेचुरल रिसोर्सेस, ने "मेडिसिनल प्लांट्स डाइवर्सिटी इन इंडिया एंड कंजर्वेशन आफ एंडजेजर्ड एंड थ्रेट्स मेडिसिनल प्लांट्स" पर विस्तृत जानकारी साझा की।

संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं वनस्पति विभागाध्यक्ष डॉ. मोहन सिंह राठौड़ ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से 100 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। संगोष्ठी का आयोजन हाइब्रिड मोड में हुआ, जिसमें चार तकनीकी सत्र हुए - दो ऑनलाइन और दो ऑफलाइन।

मुख्य संरक्षक कर्नल प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत, संरक्षक डॉ. महेंद्र सिंह राठौड़ एवं सह संरक्षक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने संगोष्ठी के उद्देश्य और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार प्रकट किए। 

समर्थ समिति के कमलेंद्र सिंह राठौड़ ने वन्य उपज पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। संगोष्ठी के समन्वयक सदस्यों डॉ. सुनीता जैन, डॉ. प्रवीणा राठौड़, डॉ. दीप्ति सुहालका एवं डॉ. वंदना पालीवाल ने संगोष्ठी को सफल बनाने में अपना पूर्ण सहयोग प्रदान किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ. प्रवीणा राठौड़ एवं डॉ. तन्वी अग्रवाल ने किया।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.