पारस हॉस्पिटल में 28 हफ्ते में (प्रीटर्म) जन्मे जुड़वा बच्चों का किया सफलतापूर्वक इलाज

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Published on : 03 May, 24 15:05

जुड़वा भाई-बहन का जन्म के समय था 800 और 690 ग्राम वजन

पारस हॉस्पिटल में 28 हफ्ते में (प्रीटर्म) जन्मे जुड़वा बच्चों का किया सफलतापूर्वक इलाज

उदयपुर: समय से पहले जन्म (प्रीटर्म बर्थ) के एक असाधारण केस में जुड़वाँ बच्चे गर्भावस्था के सिर्फ़ 28 हफ्ते में ही पैदा हो गए। जन्म के समय इन बच्चों का वज़न क्रमशः मात्र 800 ग्राम और 690 ग्राम था। आमतौर पर ,37 हफ्ते के बीच पैदा होने वाले शिशुओं का सामान्य वज़न 2.5 किलोग्राम होता है लेकिन इस केस में वजन एक किलो से भी कम था। हमारे भारत में २८ वीक्स से कम उम्र में बच्चों की वायाबिलीटी नहीं मानते है ,परन्तु यह बच्चों का जन्म २८ हफ्ते में हुआ। इस केस में जुड़वां बच्चों की इमरजेंसी डिलीवरी गायनेकोलॉजी & ऑब्सटेट्रिक्स की सीनियर कंसल्टेंट डॉ शीतल कौशिक द्वारा की गई। इस केस में जन्म के तुरंत बाद शिशुओं को उनके समय से पहले जन्मे फेफड़ों के कारण भयानक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन शिशुओं के श्वसन कार्य को सहारा देने के लिए इंट्यूबेशन, वेंटिलेशन और सर्फैक्टेंट थेरेपी की आवश्यकता थी। जन्म के दौरान कम वज़न और समय से पहले फेफड़ों के विकास की चुनौतियों का सामना करते हुए पारस हेल्थ उदयपुर के निओनॅटोलॉजीस्ट डॉ. आशिष थिटे ने इलाज़ किया और समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार सर्फेक्टेंट दिया, इस उपचार की वजह से शिशुओं के श्वसन तंत्र के विकास में मदद मिली। पारस हेल्थ के नियोटोलॉजिस्ट डॉ आशिष थिटे ने कहा, “जन्म के समय अत्यंत कम वजन वाले ये जुड़वाँ बच्चे बहुत ही नाजुक स्थिति में थे। उन्हें समय से पहले जन्म लेने के कारण होने वाली अनेक समस्याओं का समाधान करने के लिए इंटेंसिव और स्पेसिलाइज्ड उपचार की आवश्यकता थी। इन समस्याओं में हृदय और मस्तिष्क संबंधी समस्याएं, इन्फेक्शन्स ,साथ ही आंत संबंधी समस्याएं शामिल थीं।”

इतनी परेशानियों के बावजूद पारस हेल्थ के डॉक्टरों ने जुड़वा बच्चों को स्टेबिलाइज (स्थिर) करने के लिए लगभग दो महीने तक मेहनत किया, धीरे-धीरे फिर उन्हें फिर रेस्पिरेट्री सपोर्ट से हटाया गया और उन्हें ओरल फीडिंग पर शिफ्ट किया। आज लड़के का वजन 1,840 ग्राम और लड़की का 1,940 ग्राम है। वजन में हुआ यह सुधार पारस हेल्थ के असाधारण देखभाल का प्रमाण है। पारस हेल्थ उदयपुर के पीडियाट्रिक कंसलटेंट डॉ थिटे ने कहा, “यह केस इस बात का एक आदर्श उदाहरण है। पारस हेल्थ टीम की एक समर्पित, मल्टीडिसिप्लिनरी टीम नियोनटल केयर (नवजात शिशु देखभाल) में नवीनतम प्रगति को लागू करती है। सही इलाज और टीम के अटूट समर्थन के साथ सबसे नाजुक प्रीटर्म शिशु भी तमाम गंभीर समस्याओं से निजात पाकर सही तरीके से जी सकते है।” पारस हेल्थ ने परिवार जन को भावनात्मकऔर आर्थिक रूप से सयोग किया। इस केस की सफलता हाई क्वॉलिटी वाली नियोनटल केयर के महत्व को दर्शाती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां समय से पहले जन्म दर उच्च बनी हुई है वहां पर नियोनटल केयर बहुत जरूरी होता है।


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