बिन कहे
तुम्हारे-मेरे बीच में
कभी विवाद नहीं
कभी बहस भी नहीं,
तुम ख़ुश थी साथ मेरे...।
हम दोनों की छोटी-छोटी
लापरवाहियों और
ग़लतियों की वजह से
कभी-कभी नोंक-झोंक
हो जाया करती
तुम्हारे-मेरे बीच में।
तुम्हें मुझसे
कभी कोई शिक़ायत नहीं,
तुमने कभी कुछ
कहा भी नहीं,
तुमने कभी वजह नहीं बतायी
मुझसे दूर होने की।
तुम्हारी ज़िद थी
केवल मुझसे अलग होने की।
तुम्हें जाना था,
तुम चली गयी।
मगर, मेरे मन में
ये सवाल अभी भी
मेरी क्या ख़ता
कि यूँ बिन कुछ कहे
उस मोड़ से
तुमने जुदा कर ली
अपनी राह...।
अभी तो चलना था हमें
सफ़र में दूर तक...।