सुधीर और नीतू मध्यमवर्गीय दंपति है, सुधीर एक प्राइवेट फैक्ट्री का सेल्समैन है और नीतू घर पर ही पापड़ बनाने का व्यवसाय करती है । घर बहुत छोटा सा है दो रूम , एक बरामदा और एक किचन है । पांच बेटियां और एक बेटा है। रीना और मोनिका को देखने के लिए सोजती गेट से लड़के वाले आने वाले हैं।
किचन छोटा होने के कारण किचन का कुछ सामान बरामदे में ही रखा हुआ रहता है।
सुधीर “ बैठक वाले रूम में सात आठ लोग ही बैठ पाएंगे लड़के वालों की तरफ से दस लोग आने वाले हैं”
नीतू “ बीस से पच्चीस रिश्तेदार हो जाएंगे”
सुधीर “ चारपाई और पढ़ने वाली मेज और बरामदे में रखा सामान छत पर रखवा दूंगा ताकि कुछ जगह खाली हो जाएगी “
नीतू “ नाश्ते की क्या व्यवस्था रखेंगे? “
सुधीर “ गोकूल स्वीट होम से मिठाई, नमकीन और कोल्ड ड्रिंक मंगवा दूंगा”
शाम के पांच बजे है । लड़के वाले आते हैं नीतू और सुधीर खुश होकर उनका स्वागत करते हैं ।
साथ में आई महिलाओं में से एक महिला कहती है “
सुधीर जी कमरा तो बहुत छोटा है हम लोग तो अच्छे से नहीं बैठ पाएंगे , एसी भी नहीं लगा है “
सुधीर लज्जित सा हुआ कहता है “ शालिनी जी महिलाओं के बैठने की व्यवस्था अंदर वाले रूम में की गई है आपसे निवेदन है कि अंदर वाले रूम में चलिए “
अंदर वाले रूम में जाकर शालिनी नीतू से कहती है “ जल्दी से लड़कियां दिखा दो मुझे तो आपके घर में घुटन हो रही है “
मोनिका रीना आती है ।
शालिनी “ खाना-वाना बना लेती हो? “
मोनिका “ जी बना लेते हैं “
शालिनी “ लड़कियां ठीक है लेकिन नीतू जी घर बहुत छोटा है और ना ही एसी की व्यवस्था है”
लड़के वाले चले जाते हैं सुधीर और नीतू के चेहरे पर उदासी छा जाती है ।
सुधीर “ आज मैं हार गया मेरे पास बड़ा घर बड़ी हैसियत नहीं है और यह सब मोनिका रीना की खुशियों की आड़े आ गया”
नीतू “ हमने अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए हैं अच्छी शिक्षा दी है वे सब हमारे लिए कीमती है चाहे कोई इसे समझे या ना समझे , जो होगा अच्छा होगा”
सुधीर “ तुम और तुम्हारा साथ नीतू मुझे हर विपरीत परिस्थिति में मजबूती दे ही देता है “