काव्य गोष्ठी में बिखरे राम लला भक्ति के रंग

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Published on : 20 Feb, 24 08:02

काव्य गोष्ठी में बिखरे राम लला भक्ति के रंग

कोटा /  कवियित्री रेखा पंचोली ने " तुम स्वयं लौट कर अवध में आए राम, स्वागत जन्मभूमि में अपने भवन विराजो राम " और पल्लवी न्याती ने 'सर्व जगत के न्यायाधीश राम अवध को न्याय मिला,  देखो सदियां बीत गई अब मंदिर निर्माण मिला' काव्य पाठ किया तो आर्यन लेखिका मंच की काव्य गोष्ठी राम लला की भक्ति और अयोध्या में राम मंदिर की गूंज से सरोवर हो गई। काव्य गोष्ठी का आयोजन हाल ही में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा आयोजित पांच दिवसीय संभागीय लिट्रेचर फेस्टिवल के दौरान किया गया। इस महिला काव्य गोष्ठी ने फेस्टिवल को नई ऊंचाई प्रदान कर आगंतुकों का खूब मनोरंजन किया।
     काव्य गोष्ठी का शुभारंभ मां शारदे के पूजन, दीप प्रज्ज्वलन एवं मां सरस्वती की स्तुति से हुआ।  अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री डॉ. वीना अग्रवाल ने की । विशिष्ट  अतिथि डॉ. नील प्रभा नाहर एवं श्रीमती सीमा घोष रहे। गोष्ठी में बासंती  रंग भी खूब छाया, डॉ.अपर्णा पांडेय ने "दृग मिलें , उलझे, हृदय में टीस _सी हो , मौन हो अभिव्यक्ति, लेकिन चिर नई हो " प्रतिभा शर्मा ने "शैक्षिक सत्र का होने लगता है तब आता है बसंत ", डॉ युगल सिंह ने " वीरों का यह कैसा बसंत " और इंदुबाला शर्मा ने "पिया बसंती रे.." कविताओं से स्रोताओं को बसंती रंग में रंग दिया।
     महिला सशक्तिकरण पर डॉ.नील प्रभा नाहर ने  "कालरात्रि के में घना हो अंधेरा, दूर कहीं मेरा सवेरा होता है" से नारी महिमा गान किया। अनुराधा शर्मा "अनुद्या " ने "मेरे मन का जो रावण है जानता सत्य है क्या है, बाण से भेद क़र, उसका भी, उद्धार क़र देना , श्यामा शर्मा ने " नारी शक्ति  पर "माँ  मुझको  बन्दूक तो ला दो  मै सीमा  पर जाऊँगी" काव्य पाठ किया। गोष्ठी में मनु वाशिष्ठ ने  " रोप दी जाती हैं धान सी,उखाड़ दी जाती हैं,खरपतवार सी
पीपल सी कहीं भी उग आती हैं स्त्रियां", सीमा घोष ने "आरोह-अवरोह सुख-दुख ये मंच के अदाकार हैं ", वंदना आचार्य ने  "बेटी ईश्वर को उपहार, इने मत समझो बेकार,म्हारी बात समझ ल्यो जी" और साधना शर्मा ने "बेटी पर बेटियों पर बिजलियां ना गिराइए,जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ाइये" और डॉ. उषा झा ने भी नारी सशक्तिकरण पर काव्य पाठ किया। 
      साहित्यकारों ने कवियों का पूरा लुत्फ उठाया और कविताओं पर खूब दाद दी। वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वररामू भैया  बीच-बीच में चुटकियां लेकर सबका उत्साहवर्धन किया और माहोल को सरस बनाया। महिला मंच की अध्यक्ष ने संचालन करते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।


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