कामनाओं को नियंत्रित करना सिखाता है भगवान शिव का जीवन

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Published on : 13 Feb, 24 00:02

कामनाओं को नियंत्रित करना सिखाता है भगवान शिव का जीवन रू भागवताचार्य श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी 

कामनाओं को नियंत्रित करना सिखाता है भगवान शिव का जीवन

बाड़मेर। श्री माहेश्वरी पंचायत संस्थानएबाड़मेर द्वारा आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस का आनंद पूर्वक में श्रीधाम वृन्दावन से पधारे सुविख्यात कथा प्रवक्ता गौभक्त पूज्यश्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी के पावन सान्निध्य में भगवान महादेव व राधा . कृष्ण जी के मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा एवं श्री माहेश्वरी समाज द्वारा नवनिर्मित भवन आशीर्वाद के उद्घाटन समारोह के उपलक्ष्य में माहेश्वरी पंचायत संस्थान द्वारा शिव कुटिया प्रांगण बाड़मेर में आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस का आज आनंदमय विश्राम हुआ।
तृतीय दिवस कथा क्रम में महाराजश्री ने बताया कि   ष्भगवान शिव की कथा हमारे जीवन को एक प्रमुख सीख यह भी देती है कि काम.क्रोध. लोभ को पूरी तरह समाप्त तो कदापि नहीं किया जा सकता पर नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इनको साधा जा सकता है। क्रोध तो शिवजी को भी आता है लेकिन क्षण विशेष के लिए। कामदेव को भस्म करते समय क्रोधित हुए पर जब कामदेव की पत्नि रति आई तो उसे देखकर द्रवित हो गए।भगवान शिव ने हाथों में त्रिशूल धारण किया है मानो वो ये सीख दे रहे हों कि हमें भी अपने जीवन के कामए क्रोध और लोभ रुपी त्रिशूल पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए।ष् भारी संख्या में पधारकर बाड़मेर के प्रभु कथा प्रेमियों द्वारा महाराजश्री के श्रीमुख से भगवान शिव की लोकपावन गाथा का प्रतिदिन रसपान किया जा रहा है। 
तृतीय दिवस कथा क्रम में महाराजश्री ने बताया कि   ष्भगवान शिव की कथा हमारे जीवन को एक प्रमुख सीख यह भी देती है कि काम.क्रोध. लोभ को पूरी तरह समाप्त तो कदापि नहीं किया जा सकता पर नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। इनको साधा जा सकता है। क्रोध तो शिवजी को भी आता है लेकिन क्षण विशेष के लिए।  कामदेव को भस्म करते समय क्रोधित हुए पर जब कामदेव की पत्नि रति आई तो उसे देखकर द्रवित हो गए।भगवान शिव ने हाथों में त्रिशूल धारण किया है मानो वो ये सीख दे रहे हों कि हमें भी अपने जीवन के कामए क्रोध और लोभ रुपी त्रिशूल पर नियंत्रण अवश्य रखना चाहिए।ष्भारी संख्या में पधारकर बाड़मेर के प्रभु कथा प्रेमियों द्वारा महाराजश्री के श्रीमुख से भगवान शिव की लोकपावन गाथा का प्रतिदिन रसपान किया जा रहा है। कथा में माहेष्वरी समाज के अध्यक्ष ओमप्रकाष मेहता, सचिव दाऊलाल मूंदड़ा, कोशाध्यक्ष जितेन्द्र मुथा, ओमप्रकाष चंडक, पुखराज राठी, राजेष भूतड़ा, हेमंत कपूरिया, सुषिला मेहता, भरत मूंदड़ा, रामेष्वर तापड़िया, हंसराज बिड़ला, जितेन्द्र डांगरा, पंकज राठी, राजेष मेहता सहित कई धर्मप्रेमी उपस्थित रहे।

 


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