नरेन्द्र मोदी ने 17 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के नवाचारों और प्रयासों की प्रशंसा की

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Published on : 11 Feb, 24 06:02

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

नरेन्द्र मोदी ने 17 वीं लोकसभा के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला के नवाचारों और प्रयासों की प्रशंसा की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को सायं 17वीं लोकसभा के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए पक्ष प्रतिपक्ष के सभी सांसदों को एक नए इतिहास का साक्षी और भागीदार बनने के लिए धन्यवाद दिया तथा विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले लोकसभा चुनाव लोकतंत्र की मर्यादा और गरिमा के अनुरूप ही संपन्न होंगे। 
 प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 17वीं लोकसभा कई महत्वपूर्ण निर्णयों की गवाह रही है। आज हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि जिन कार्यों की कई पीढ़ियों को सदियों से प्रतीक्षा थी, वे कार्य इस लोकसभा के कार्यकाल में पूरे हुए हैं। ये पांच साल 'सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन' के साक्षी रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले पांच वर्षों में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने और देश को दिशा देने के लिए सभी सदस्यों के प्रयासों की सराहना की और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए सभी सांसदों के प्रति, विशेषकर सदन के अध्यक्ष ओम बिरला के प्रति आभार व्यक्त किया। 
 प्रधान मंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को धन्यवाद दिया और हमेशा मुस्कुराते हुए, संतुलित और निष्पक्ष तरीके से धैर्य के साथ लोकसभा का संचालन करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण के बारे में सभी सदस्यों को एक मत करने के लिए भी लोकसभाध्यक्ष बिरला की सराहना की, जिसके कारण इस भव्य भवन का निर्माण हुआ और वर्तमान सत्र नए भवन में हो सका । प्रधान मंत्री ने राष्ट्रव्यापी भाषण और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन करवा लाखों छात्रों को देश की संसदीय परंपरा से जोड़ने और संसद पुस्तकालय को आम नागरिकों के लिए खोलने के महत्वपूर्ण निर्णय का भी उल्लेख किया और लोकसभाध्यक्ष बिरला की भूरी भूरी प्रशंसा की। 

मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा संसद में पेपरलेस कार्यवाही को प्रोत्साहन और डिजिटल प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन की अवधारणा पहल के लिए भी ओम बिरला को धन्यवाद दिया।उन्होंने सदस्यों के लिए सब्सिडी वाली कैंटीन सुविधाओं को हटाने के लिए भी अध्यक्ष बिरला को धन्यवाद दिया, जो लोगों की प्रतिकूल टिप्पणियों का कारण थी। प्रधानमंत्री ने श्री राम मंदिर के बारे में शनिवार को सांसदों के सदन में हुए भाषणों के बारे में कहा कि इसमें 'संवेदना', 'संकल्प' और 'सहानुभूति' के साथ-साथ 'सबका साथ सबका विकास' का मंत्र और भावना भी शामिल दिखी। मोदी ने कहा कि भारत को 17वीं लोकसभा के दौरान जी-20 की अध्यक्षता मिली और भारत ने अपने सामर्थ्य को पूरे विश्व के समक्ष रखा। देश के हर राज्य ने भी देश की ताकत और उसकी पहचान से पूरी दुनिया को अवगत कराया। इसी तरह, पी 20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन ने भी लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की साख को और अधिक मजबूत किया। 

प्रधान मंत्री ने नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल को भारत की विरासत के पुनरुद्धार और स्वतंत्रता के पहले के क्षण की याद का प्रतीक बताया और कहा कि हम गर्व से कह सकते हैं कि यह देश भले ही 75 वर्षों तक दंड संहिता के तहत रहा हो, लेकिन अब हम न्याय संहिता के तहत रहते हैं। इसी तरह आज सामाजिक न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जम्मू-कश्मीर के लोगों तक भी पहुंच रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान मानवता पर आई सदी की सबसे बड़ी आपदा यानी कोरोना -19 महामारी का जिक्र भी किया। उन्होंने सांसदों द्वारा सांसद निधि के हक को छोड़ने और महामारी के दौरान सभी सदस्यों द्वारा अपने वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती कराने के लिए भी सदस्यों को धन्यवाद दिया। 17वीं लोकसभा द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों का उल्लेख करते हुए, प्रधान मंत्री ने बताया कि आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए हमने कई अव्यावहारिक नियम और 60 से अधिक अप्रचलित कानून हटाये हैं। उन्होंने बताया कि जन विश्वास अधिनियम ने 180 गतिविधियों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया तथा मध्यस्थता अधिनियम ने अनावश्यक मुकदमेबाजी से संबंधित मुद्दों को सुलझाने में मदद की है। 

 प्रधान मंत्री ने 17वीं लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इसके परिणाम स्वरूप आने वाले समय में सदन महिला सदस्यों से भर जाएगा। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सदन द्वारा तीन तलाक को खत्म करने की भी बात कही। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने पेपर लीक की समस्या के खिलाफ मजबूत कानून का उल्लेख किया और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन अधिनियम के दूरगामी महत्व को रेखांकित करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यह अधिनियम भारत को अनुसंधान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगा। उन्होंने डाटा संरक्षण बिल का भी जिक्र किया । ट्रांसजेंडर समुदाय की दुर्दशा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने इस समुदाय के लिए अधिनियम लाने हेतु सदस्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों के लिए संवेदनशील प्रावधान वैश्विक सराहना का विषय हैं। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर लोगों को एक नई पहचान मिल रही है और वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर उद्यमी बन रहे हैं। पद्म पुरस्कार विजेताओं की सूची में भी ट्रांसजेंडर का नाम शामिल है।

 मोदी ने 'न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' में विश्वास दोहराते हुए कहा कि नागरिकों के जीवन में न्यूनतम सरकारी हस्तक्षेप सुनिश्चित करके किसी भी लोकतंत्र की क्षमताओं को अधिकतम किया जा सकता है। 

 प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लिए अगले 25 वर्षों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि देश के हर नागरिक ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र की यात्रा शाश्वत है और हमारा उद्देश्य पूरी मानवता की सेवा करना है। आज सारी दुनिया भारत की जीवन शैली को स्वीकार कर रही है । पीएम मोदी ने सांसदों से देश की महान लोकतांत्रिक परंपराओ को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह संसद अपने सदस्यों को भावी पीढ़ियों के लिए बेहतर विरासत छोड़ने और सभी के सामूहिक प्रयास से भावी सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती रहेगी। 

 17वीं लोकसभा का अंतिम दिन सांसदों के लिए भावुकता से भरा दिन भी रहा और सभी सांसद दलगत राजनीति से ऊपर उठ कर एक दूसरे से स्नेह पूर्वक मिले और 18वीं लोकसभा में फिर से मिलने की उम्मीद में एक दूसरे से विदा हुए। कई भाजपानीत और गैर भाजपानीत सांसदों को यह चर्चा करते हुए और राय देते हुए भी सुना गया कि भारत की अंतर राष्ट्रीय धाक कायम करने तथा देश में कई नवाचार करने के साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से अंतर राष्ट्रीय योग दिवस को पूरे विश्व में लागू कराने आदि भागीरथी प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भारत रत्न से विभूषित किया जाना चाहिए।
 


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