स्वभाव सुंदर है तो दुख में भी दीवाली है - राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ जी

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Published on : 09 Dec, 23 05:12

स्वभाव सुंदर है तो दुख में भी दीवाली है - राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ जी

उदयपुर। राष्ट्रसंत चन्द्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि जैसा हमारा नेचर होगा वैसा हमारा फ्यूचर होगा। फ्यूचर को शानदार बनाने के लिए नेचर को शानदार बनाना जरूरी है। नेचर को शानदार बनाने के लिए चार टिप्स अपनाएं - चेहरे पर प्रसन्नता हो, वाणी में मधुरता हो, हृदय में सरलता हो और हाथों में उदारता हो।
उन्होंने कहा कि अच्छे स्वभाव वाला जहां भी रहता है वहां स्वर्ग होता है, उसके रिश्ते गुलाब के फूल की तरह महकते रहते हैं। जब फटे दूध से रसगुल्ला बनाया जा सकता है तो टूटे हुए रिश्तों को फिर से क्यों नहीं साँधा जा सकता! पहल यदि सकारात्मक हो तो बंजर भूमि में भी फूल खिलाए जा सकते हैं। मन यदि स्वस्थ है, और स्वभाव सुंदर है तो दुख में भी दीवाली है, पर मन यदि क्रोध, चिंता अवसाद से घिरा है, तो सुख में भी सुलगती होली है। अपने मन की दशा को ठीक कीजिए, मुस्कराइए और मन को सकारात्मक बनाइए। आपके लिए सदा के लिए दीवाली के दीये जलने शुरू हो जाएँगे।
संतप्रवर शुक्रवार को सविना सेक्टर 9 में आयोजित प्रवचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्र-संत ने कहा कि क्रोध का जवाब क्रोध से देना प्रतिक्रिया है, पर क्रोध का जवाब प्रेम से देना समाधि का आनंद है। प्रतिक्रिया अब तक खूब की है, चलो अब समाधि-भाव अपनाएँ। मन को समझाएँ - हे जीव! तू कब तक यूं ही क्रोध करता रहेगा। अब तो शान्त हो। क्रोधी व्यक्ति घरवालों के द्वारा भी नापसंद किया जाता है, पर शांत और स्नेहिल व्यक्ति घर के बाहर भी लोकप्रिय हो जाता है। क्रोध तो लुहार के हथौड़े जैसा होता है - चोट एक, पर टुकड़े दो। प्रेम सुनार की हथौड़ी जैसा है - हल्की ठोका-ठोकी और आभूषण तैयार। हथौड़ी बनिए, पर लुहार की नहीं, सुनार की।
उन्होंने कहा कि किसी को बुरा मत बोलिए और किसी को अच्छा बोले बगैर मत रहिए। आलोचना एक ऐसा जहर है, जिसे कोई पीना नहीं चाहता और प्रशंसा एक ऐसी ठंडाई है, जिसे हर कोई पीना पसंद करता है। जो लोग जिसे पसंद करते हैं, उन्हें वही पिलाइए न।
इस अवसर पर उन्होंने जिंदगी में सदा मुस्कुराते रहो फासले कम करो दिल मिलाते चलो...का भजन सुनाया तो सभी आनंदित हो गए।
इससे पूर्व मुनि शांतिप्रिय सागर ने कहा कि जीवन से शिकायत करने की आदत डिलीट कीजिए और आभार देने की आदत ऐड कीजिए। जो शिकायत करता है वह सदा दुखी रहता है पर जो आभार से भरा रहता है वह सदा सुखी रहता है। सुबह उठकर परमात्मा को सुंदर जीवन देने के लिए धन्यवाद दीजिए। अपने सभी सहयोगियों के प्रति आभार समर्पित कीजिए। आभार की आदत आपको सदा खुश रखेगी, वर्तमान में जीना सिखाएगी और दुनिया के हर चीज को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता दिलाएगी।
इस अवसर पर चातुर्मास लाभार्थी और सत्संग आयोजक श्री कालू लाल जैन परिवार का श्री संघ द्वारा मोमेंटो देकर अभिनंदन किया गया।


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