खोखले  रिश्ते

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Published on : 26 Sep, 23 13:09

प्रेरणा गौड़ ( श्री)

खोखले  रिश्ते

रश्मि उठ । जल्दी से घर का काम कर ले फिर तुझे कॉलेज के लिए निकलना है तेरे पापा भी दफ्तर के लिए तैयार हो गए हैं मैं नाश्ता बना रही हूं तू जल्दी से झाड़ू पोछा कर ले और नहा ले।

रश्मि झट से उठती है और कहती है " मां मैं उठ गई हूं आप चिंतित नहीं होए मैं जल्दी से सारा काम निपटा लूंगी और कॉलेज चली जाऊंगी"
मां एकाएक अवाक हो जाती है और आंखों से आंसू निकलने लगते हैं फिर अचानक से रश्मि आ जाती है मां को देखती हैं और कहने लगती है की मां आप इतना रो क्यों रही हो?

मां धीरे से कहती है " मेरी सियानी बिटिया जब तू ससुराल चली जाएगी तब मेरा मन तेरे बगैर कैसे लगेगा तेरे होने से ही हमारा घर इतना हरा भरा और खुशनसीबों वाला घर लगता है बेटियां तो नसीबों से मिलती है और मेरा अच्छा नसीब है कि तू पैदा हुई"

रश्मि भावुक हो जाती है और मां को गले लगाती है उधर पिताजी भी आ जाते हैं और देखते हैं की मां बेटी दोनों भावुक हो रखी है तो पिताजी भी भावुक हो जाते हैं तीनों आपस में गले मिलते हैं और बेटी के विवाह की बात करते हुए कहते कि "बिटिया रानी तुम्हारे जाने पर हमारी बगिया सूनी हो जाएगी हम तो चहकना ही भूल जाएंगे"

रश्मि अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेती है और कहती है की "मम्मी पापा आप चिंता नहीं    कीजिए हमेशा मैं आपके साथ हूं जब कहेंगे तब मैं आपसे मिलने आउंगी और आपके साथ खूब गप्पे लड़ाऊंगी "
रश्मि घर का सारा काम निपटा लेती है और कॉलेज के लिए रवाना हो जाती है।

रश्मि की मां के पास अचानक से फोन कॉल आता है और कहां जाता है कि आपकी बिटिया के लिए हम एक लड़के का रिश्ता लेकर आ रहे हैं शाम के 5:00 बजे रश्मि और आप सब घर पर ही रहना।
रश्मि की मां बबीता बड़ी भावुक महिला है वह अपने पति महेंद्रनाथ को कॉल करती है और महेंद्रनाथ से कहती है कि आज शाम 5:00 बजे रश्मि को लड़के वाले देखने आ रहे हैं इस बात को सुनकर महेंद्रनाथ हड़बड़ा जाता है और   कहता है  कि अचानक से मेहमान नवाजी कैसे होगी फिर वह जैसे तैसे दफ्तर से घर  जल्दी आने की बात करता है।
रश्मि का पिता महेंद्रनाथ स्वभाव से तो कठोर है लेकिन हृदय से कोमल है।
वह मन ही मन सोचने लगता है बिटिया को देखने आ रहे हैं तो मुझे जल्दी से दफ्तर से निकलना होगा कुछ मिठाई कुछ नमकीन लेकर जाना होगा और बैठक वाले कमरे को भी ठीक-ठाक करना होगा ताकि हम लोगों का इंप्रेशन खराब ना हो, मिडिल क्लास फैमिली है घर पर जगह कम होती और सामान इधर-उधर पड़ा रहता है ऐसे में कोई आ जाए तो और अपरातफरी मच जाती है ।
महेंद्र नाथ आज शाम 5:00 बजे से पहले 3:00 बजे ही घर पर आ गया है कुछ मिठाई और नमकीन लेकर आया है अपनी पत्नी बबीता से कहता है " देखो बबीता जी मैं कुछ सामान लाया हूं कुछ मिठाई और कुछ नमकीन है और भी देख लीजिए कुछ लाना है तो अभी  समय पड़ा है, मैं लेकर आ जाऊंगा तब तक आप और हम बाहर की बैठक को कुछ ठीक-ठाक कर लेते हैं फिर अचानक से महेंद्नानाथ पूछता है  कि क्या तुमने रश्मि को फोन करके सूचना दे दी है? 
बबीता मुस्कुराती  है  अरे मेरे प्रियतम जी जिसको देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं भला हम उसको नहीं कहेंगे तो फिर क्या पड़ोसी को कहेंगे।
 महेंद्रनाथ और बबीता दोनों हंसने लगते हैं तभी अचानक से डोर बेल बजती है।
 महेंद्रनाथ दरवाजा खोलता है और देखता है कि  किशोर बाग वाली बुआ जी आई  है महेंद्रनाथ उन्हें प्रणाम करता है बबीता  बुआ जी को प्रणाम करते हुए रसोई घर में चली जाती है।
  बबीता महेंद्र नाथ को पुकारती हुई कहती है कि जरा सुनिए।
रसोई घर में आना सिलेंडर खत्म हो गया है    अचानक से बबीता को याद आता है  कि वह तो घर के कामकाज में इतनी उलझ गई है कि सिलेंडर बुक करवाना ही भूल गई ।महेंद्रनाथ से कहती है कि अब क्या होगा सिलेंडर तो बुक करवाया ही नहीं मैंने और लड़के वाले भी आने वाले हैं और हमें तो पता ही नहीं था कि   किशोर बाग वाली बुआ जी भी अचानक से आ जाएगी।
आप तो अपनी बुआ जी को भली-भांति जानते हैं "छोटी सी बात का कितना बतंगड़ बना देती है बुआ जी"
हमारी शादी के वक्त भी बुआ जी ने कितना तमाशा किया था पापा जी उन्हें समझाते रहे और मनाते रहे लेकिन वह अपनी बात पर अड़ी रही और घर का माहौल खराब करती रही अब अचानक से यहां आ गई है तो मैं बहुत भयभीत हो गई हूं कहीं बुआ जी फिर से कोई नया बखेड़ा खड़ा ना कर दे।
अरे मेरी प्यारी बबीता जी आप इतना क्यों घबराती हैं आपके श्रीमान जी है ना आप चिंता नहीं कीजिए अभी सिलेंडर की व्यवस्था कर दिए देते है।
कहां से कर दोगे इतना जल्दी सिलेंडर की व्यवस्था?
आप जानती है हमारा मित्र रमेश जिसके साथ हमारा संबंध अच्छा है
आज ही बातों बातों में उसने बताया था कि उसके घर पर चार सिलेंडर पड़े हैं तो एक सिलेंडर अभी मैं मंगवा लेता हूं।
महेंद्र नाथ रमेश को फोन करता है रमेश फोन उठाता है और महेंद्रनाथ उसे कह देता है कि मुझे सिलेंडर की आवश्यकता है मेरा सिलेंडर आते ही तुम्हें फिर से दे दूंगा रमेश उसे सिलेंडर भिजवा देता है।
बुआ जी आग बबूला हो जाती है और कहती है कि "मुझे आए एक घंटा हो गया अभी तक तेरी पटरानी ने मुझे चाय तक नहीं पूछी अच्छा ही होता मैं यहां नहीं आती मैंने सोचा महेंद्रनाथ  से मिलकर आ जाती हूं लेकिन यहां तो कोई मान     सम्मान  तक नहीं करता । 
महेंद्रनाथ अरे बुआ जी आप भी इतना आग बबूला क्यों हो जाती हैं?
आपको पता है ना हम लोग मध्यम वर्ग के परिवार से हैं ऐसे में शहर में रहकर घर चलाना और बच्चों को पढ़ाना सब कुछ बहुत कठिन रहता है आपको तो पता है गांव में तो सिलेंडर की आवश्यकता पहले नहीं होती थी लेकिन अब तो गांव में भी माहौल चेंज हो गया है गांव में भी सिलेंडर काम में लिया जाता है ।अब सिलेंडर आ गया है ना अब चाय बन जाएगी  । आप तो जानती हैं कि हम लोग बहुत संघर्ष कर रहे हैं बबीता भी घर का काम करती है सिलाई बुनाई करती है और छुटकी को तो आप जानती ही हैं वह घर पर ट्यूशन पढ़ाती है । मेरी आय तो मात्र 15000 है जिसमें से दूध का खर्च और बिजली का खर्च और राशन बड़ी मुश्किल से मैनेज  कर पाता हूं फिर बच्चों की पढ़ाई का खर्च और अन्य खर्च इन सब का खर्च बबीता जी और छुटकी देख लेती है आज अचानक से छुटकी के लिए कोई रिश्ता आ रहा है शाम 5:00 बजने वाले हैं लड़के वाले आने वाले हैं । बुआ जी गुस्से से कहती है कि तुम लोग मुझे कुछ बताना ठीक नहीं समझते हो क्या वह तो मैं यहां आ गई हूं तब मुझे पता चल गया तुम लोग मुझे फोन करके बता नहीं सकते थे तो मैं अपनी तैयारी करके आती। अरे बुआ जी  हम लोगों को भी   अचानक  पता चला था 3:00 बजे मैं यहां आ गया और छुटकी भी अभी आने ही वाली है और 5:00 बजे वह लड़के वाले आने वाले हैं अरे 5:00 बजने में 10 मिनट रह गए हैं  बुआ जी।
लड़का क्या करता है । हमें कुछ पता नहीं है बस  बड़की बुआ है ना बीसलपुर वाली उन्हीं का कोई रिश्ते में है । लड़का  और उसके माता-पिता के साथ बीसलपुर वाली बुआ  आ रही है । अच्छा तो अब तुम लोगों के निकट वह बीसलपुर वाली बुआ हो गई है ।
अरे नहीं बुआ जी ऐसा कुछ नहीं है आप तो जानती हैं हम सबको समान दृष्टि  से देखते है। चाहे आप किशोर बाग वाली बुआ जी हो चाहे बीसलपुर वाली बुआ जी हो हम सबको एक दृष्टि से ही देखते हैं हम किसी में फर्क नहीं करते हमारे लिए सभी समान है अगर आप भी फोन करके हमें कोई लड़का दिखाने लाती तो हम आपका भी प्रस्ताव स्वीकार करते। एकाएक किशोर बाग वाली बुआ जी को जलन होने लगती है   कहती है रहने दो रहने दो।
अचानक से डोरबेल बजती है और लड़के वाले आते है।
रश्मि को कॉलेज से आने में लेट हो जाता है लड़के वाले कहते हैं जरा जल्दी से लड़की को बुला दीजिए।
बबीता जी कहती है " रश्मि कॉलेज से निकल गई है रास्ते में ही है यातायात की व्यवस्था तो आप जानते ही हैं ट्रैफिक बहुत रहता है ऐसे में बिटिया आने की पूरी कोशिश कर रही है लेकिन ट्रैफिक में फंसी हुई है जल्दी बिटिया रानी आ जाएगी आप चिंता नहीं कीजिए"
लड़की वालों के मुंह से लगने लगा था रश्मि की मां को कि वह जल्दी लड़की को देखना चाह रहे हैं और उन्हें प्रतीक्षा करना अच्छा नहीं लग रहा है रश्मि की मां उनके लिए नाश्ता और चाय लाती है और उन्हें चाय नाश्ते में व्यस्त करते हुए इधर-उधर की बातें करने लगती है।
बीसलपुर वाली बुआ जी रश्मि की तारीफ में कहती है कि फाइनल ईयर की बच्ची है गोरा रंग और कामकाज में बहुत होशियार साथ ही साथ घर में ट्यूशन भी लेती है 12वीं तक के बच्चों को  पढ़ लेती है  10000 से 15000 ट्यूशन के कर लेती है घर पर ही और घर के कामकाज में मां का हाथ भी बटाती है।
तभी अचानक से  लड़के की मां कहने लगती है अरे बुआ जी आप ठीक कह रही हैं लेकिन हम लड़की को देखे बगैर पहले कुछ नहीं कह सकते हमको जल्दी से जल्दी लड़की दिखा दीजिए।
डोरबेल बजी रश्मि का आना हुआ।
रश्मि सभी को प्रणाम करती है  फिर रसोई में जाती है हाथ धोकर फिर से गरमा गरम चाय और नाश्ता लेकर आती है लड़के की मां रश्मि से पूछती है तुम्हारा नाम तो रश्मि है ना क्या हमने सही सुना है रश्मि धीरे से सहमी सी उत्तर देती है  हां  जी मेरा नाम रश्मि है।
कहां तक पढ़ी हो? जी  फाइनल ईयर में हूं ।
घर का सारा कांज कर लेती हो?
रश्मि सहमी सी उत्तर देती है जी कर लेती हूं।
हमारा बेटा तो व्यवसाय ही करता है और तुमसे कम पढ़ा लिखा है 12वीं पास है मेरा बेटा लेकिन पैसे तुमसे ज्यादा कमा लेता है 50000 महीना कमा लेता है व्यवसाय में।
कपड़े की दुकान है हमारे बेटे के
रश्मि अपनी गर्दन हिलाते हुए सहमति प्रकट करती है।
रश्मि के माता-पिता तो बस यही सोच रहे हैं कि जैसे तैसे रिश्ता हो जाए क्योंकि हम लोग तो मिडिल क्लास के लोग हैं और ऐसे में महीना 50000 कमाने वाले का रिश्ता आना हमारे लिए तो बहुत बड़ी बात हो गई है हमारी बेटी खुश रहेगी इससे बड़ा क्या हो सकता है।
लड़का भी गोरा चिट्टा बस कम पढ़ा लिखा है।
बीसलपुर वाली बुआ जी कहती है चलो भाई लड़का लड़की दोनों को भी बातचीत करने देते हैं तभी किशोर बाग वाली बुआ जी कहती है लड़का लड़की क्या बात  करेंगे हम लोगों ने बात कर ली है ना तुम भी बड़की पता नहीं क्या-क्या कह देती हो चलो कोई बात करने की जरूरत नहीं है बात हो गई है ना हम लोगों की चलो रिश्ता पक्का समझो।
इधर रश्मि का रिश्ता पक्का उधर विवाह की तिथि तय कर दी गई है विवाह की तिथि से 2 दिन पहले रश्मि के फाइनल ईयर के एग्जाम शुरू इधर एग्जाम की टेंशन उधर विवाह की टेंशन ।
बबीता जी तो  खुशी के मारे फुल सी गई है मोहल्ले भर में लड्डू बटवाती  है इसका कारण लड़का 50000 कमाता है‌।
रश्मि का विवाह हो जाता है रश्मि अपने माता-पिता से दूर जाने पर बहुत ही दुखी है लेकिन जैसे तैसे वह नए घर में नए माहौल में जाने के लिए तैयार हो जाती है।
ससुराल का पहला दिन है। घर पर खाना बनाने का जिम्मा आज रश्मि का है रश्मि पहली रसोई बनाती है। धीरे-धीरे सब रश्मि से खुश होने लगते हैं फिर अचानक से एक दिन ऐसा आता है जब रश्मि के सामने आता है कि उसका पति 50000 भी नहीं कमाता है और रिश्ता करने के लिए उनसे झूठ कहा गया तो रश्मि दुखी हो जाती है। क्योंकि पहले से मध्यम वर्ग के परिवार में रहकर बहुत दुख झेले थे ।अब यहां पर भी सास ससुर  रश्मि को प्रताड़ित करने लगते हैं जा अपने घर से पैसे लेकर आ रश्मि बहुत दुखी होती है कि पिताजी के पास भी इतने पैसे नहीं है तो कहां से पैसे लाकर दू । ऐसे में रश्मि  स्कूल में  नौकरी करने की इजाजत मांगती है साथ ही घर पर ट्यूशन पढ़ाने की इजाजत मांगती है । उसकी सास कहती हैं कि है  " हमारे घर की बहू घर से बाहर जाकर नौकरी करें इसकी इजाजत मैं नहीं दे सकती हूं और ना ही घर पर ट्यूशन पढ़ाने की इजाजत दे सकती हूं तुम अपने घर वालों से पैसा लेकर आओ इसके अलावा मैं तुमसे कुछ नहीं चाहत"  रश्मि धीरे-धीरे कुंठित हो जाती है उसके दिमाग की हालत दिनों दिन खराब होने लगती है और वह डिप्रेशन में चली जाती है। ऐसे में ससुराल वाले उसे धक्के देकर  उसके मायके भेज देते है।
महेंद्रनाथ और बबीता अपनी किस्मत को कोसने लगते हैं और कहते हैं कि "हमारी  बच्ची का क्या हाल कर दिया उन लोगों ने , हम लोग खुश हो रहे थे हमने मिठाइयां बटवाई खुशी मनाई बच्ची का विवाह किया विवाह के बाद हमारी फूल जैसी बच्ची का क्या हाल हो गया"
महेंद्रनाथ अपने जवाई बाबू राकेश को फोन करते हैं और कहते हैं कि जवाई बाबू हमारी बिटिया रानी रश्मि का क्या हाल कर दिया है आप लोगों ने, आप लोगों की वजह से हमारी हस्ती मुस्कुराती बिटिया आज डिप्रेशन में चली गई है वह किसी से बात नहीं कर रही है और आप लोगों ने भी उसे धक्के देकर बाहर निकाल दिया यह कहां का इंसाफ है यह कहां का इंसाफ है
जीवनसाथी का मतलब आप समझते हैं "राकेश बाबू जीवनसाथी वह होता है जो सुख का साथी है तो दुख का भी साथी है लेकिन आप सिर्फ सुख के साथी रहे हमारी बिटिया रानी रश्मि के जैसे ही दुख आया और आपने उसे छोड़ दिया आप जीवनसाथी के नाम पर कलंक है राकेश बाबू आप कलंक है" इतना कह कर महेंद्रनाथ फोन रख देता है और  रोने लगता है अपनी बेबसी लाचारी पर कि हमने हमारी हस्ती खेलती बिटिया रानी को किन लोगों के बीच में छोड़ दिया और हमारी बिटिया आज मुस्कुराना खिलखिलाना भूल गई ‌। महेंद्रनाथ रोता है चिल्लाता कह उठता है खोखले रिश्ते खोखले रिश्ते। 

 


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