यह मणिकांचन योग है की नंदकिशोर महावर हिंदी साहित्य में शोधार्थी हैं वहीं उनकी धर्म पत्नी ममता महक कवि, समीक्षक, कथाकार हैं। महक का काव्य संग्रह " फ़ुर्सत के सबक' हाल ही में प्रकाशित हुआ है। यह बताती हैं कि बचपन में पिता जी कविता सुनाते थे और माताजी गीत गुनगुनाती थी, उन्हीं से प्रेरित हो कर गीत,कविता और गजल का शोक लग गया।आप हिन्दी, राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा के लेखन पर समान अधिकार रखती हैं। करीब 30 हिंदी और राजस्थानी पुस्तकों की समीक्षा लिखी है। आपके आलेख, कहानियाँ और कविताएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती हैं।लघुनाटिकाओं के लेखन में भी सिद्धहस्त हैं।
** साहित्यिक योगदान के तहत महक ने केंद्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा कोटा में आयोजित संवाद कार्यक्रम में 'श्रीमती कमला कमलेश के राजस्थानी साहित्य में योगदान' विषय एवं राजस्थान साहित्य अकादमी और विकल्प जन सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित जिला साहित्यकार सम्मेलन में 'कोटा अंचल की हिंदी कविता परंपरा और समकाल' विषय पर पत्र वाचन किया है। आप आकाशवाणी केंद्र कोटा में कैज़ुअल कम्पियर के रूप में कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। आपका जन्म कोटा में 7 जुलाई 1981 को हुआ। इन्होंने अंग्रेजी विषय में स्नातकोत्तर, बी.एड और एमबीए की शिक्षा प्राप्त की है।
** डॉ. नंदकिशोर महावर हिंदी शोध को समर्पित शख्शियत हैं। विद्यार्थी जीवन में आप राष्ट्रीय स्काउट सेवा से जुड़े रहे और इन्हें 2004 में *प्रवीण, निपुण उपराष्ट्रपति अवार्ड* से सम्मानित किया गया। इन्होंने चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के साहित्य का आलोचनात्मक अध्ययन" विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की और अमृतलाल वेगड़ के साहित्य में नर्मदा चिन्तन विषय पर लघु शोध प्रबन्ध एम.फिल.किया। अपनी शोध वृति को डिग्री अथवा उपाधि लेने तक ही सीमित नहीं रखा वरन ' बाणभट्ट की आत्मकथा और प्रेम निरूपण', ' स्त्री विमर्श: एक विहंगम दृष्टि',
' रश्मिरथी का सौन्दर्य पक्ष' और' प्रकृति और पंत: एक अध्ययन ' विषयों पर शोध पत्र भी लिखे।
** आपने साक्षात्कार विधा को अपनाते हुए "नर्मदा ने मुझे चित्रकार से लेखक बना दिया"
प्रसिद्ध नर्मदा यात्री श्री अमृतलाल वेगड से नन्दकिशोर महावर की अन्तरंग बातचीत का प्रकाशन पक्षधर मई-दिसम्बर, 2008 में हुआ।
" सच गांधी बहुत याद आते हैं" प्रसिद्ध आलोचक श्री नामवरसिंह जी से बातचीत, वागर्थ - मई 2006 में प्रकाशित हुई। "युवा पीढ़ी को चाहिए कि वह हमें सन्देश दें" प्रसिद्ध कवि नंद चतुर्वेदी से डॉ. नंदकिशोर महावर की अंतरंग बातचीत भी इनकी विशिष्ठ उपलब्धियां
हैं।
** आप निरंतर 9 वर्षो तक राष्ट्रीय समाचार पत्र जनसत्ता में लेखन करते रहे। माओवाद की जड़ें, विकास का पैमाना और गाँधी का रास्ता महत्वपूर्ण आलेख रहे। आपने द्वारा अनुवादित राजस्थानी कहानी गुलाबजामुन (मूल ओम नागर) अर्थ संदेश में जनवरी,2011 में प्रकाशित हुई। "हिन्दी साहित्य में सौन्दर्य बोध" विषयक वार्ता आकाशवाणी केंद्र से प्रसारित की गई। आपने वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा और राजनीति विज्ञान विभाग, राजकीय महाविद्यालय कोटा में समय - समय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनारों में शिरकत की।
** आपने "ठेठ हाडौती बोली मानक हिन्दी डिक्टशनरी" का संपादन किया। आपके संस्मरण की किताब " कैसे भुलाएँ उन्हें"
प्रकाशन सहयोग के पांडुलिपि राजस्थान साहित्य अकादमी के पास अनुमोदन की प्रक्रिया में है।
**परिचय : आपका जन्म 2 जुलाई, 1974 को किशन लाल महावर के परिवार में कोटा में हुआ। आप पढ़ाई में हमेशा से कुशाग्रबुद्धि रहे। आपने हिंदी विषय में गोल्ड मेडल के साथ स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। आपने शिक्षा में बी. एड.,करने के साथ जन संचार और पत्रकारिता में भी बीजेएमसी की डिग्री प्राप्त की है। आपके अध्यापन के विषय हिन्दी साहित्य का इतिहास, प्रेमचन्द, सूरदास, तुलसीदास, आलोचना, काव्यशास्त्र: भारतीय एवं पाश्चात्य और पाश्चात्य चिंतन हैं। वर्तमान में आप मल्टी परपज सीनियर सेकेंड्री स्कूल में हिंदी विषय के व्याख्याता के रूप में सेवारत हैं।
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