शादी के 21 साल बाद दम्पति को मिला माता-पिता बनने का सुख

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Published on : 24 Nov, 22 10:11

शादी के 21 साल बाद दम्पति को मिला माता-पिता बनने का सुख

उदयपुर । माता-पिता बनना बड़ा ही प्यारा और अनूठा अहसास है...किसी भी कारण से अगर जीवन में ये प्यारे पल नहीं आए तो निराश होने लगती है,और इसी निराशा को आशा की खुशहाली में बदल रहा है पेसिफिक हॉस्पिटल का आईवीएफ सेन्टर। और इसी कडी में पीएमसीएच आईवीएफ ने चितौडगढ़ जिला निवासी दम्पति को माता-पिता बनने का सुख देकर उसको जीने की एक नई किरण का अहसास कराया है। यह ख्ुाषी षादी के 21 साल बाद मिली।
दरअसल 40 वर्शीय दम्पति को षादी के 21 साल तक कोई संतान नहीं हुई। बच्चे की चाह में कई जगहो पर इलाज में लाखों रूपए खर्च किए लेकिन निराषा ही हाथ लगी। कहते है ईष्वर पीढित की मदद करता है। दम्पति अपने किसी परिचित की तबीयत की खबर पूछनें के लिए पेसिफिक हॉस्पिटल आए तो उन्हें पीएमसीएच आईवीएफ के बारे में पता चला जहॉ पर सबसें कम खर्च में निःसन्तान दम्पतियों को इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। तो परिजनों ने पीएमसीएच आईवीएफ में डॉ.राजरानी षर्मा, डॉ.परीक्षित टॉक एवं डॉ.मनीशा वाजपेयी से मिलने के बाद निष्चय किया कि बच्चें के लिए एक बार और प्रयास करेंगें क्यों कि पीएमसीएच में सभी विष्व स्तरीय सुविधाओं के साथ खर्चा न्यूनतम था।
पीएमसीएच आईवीएफ की साईन्टिफिक डॉयरेक्टर डॉ मनीशा वाजपेयी नें बताया कि की मरीज की जॉच करने पर पता चला की फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध है। जिसके चलते महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। दरअसल यह समस्या महिला बांझपन का एक सामान्य कारण है, क्योंकि फैलोपियन ट्यूब के अंदर वह स्थान होता है जहां शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करता है। इस मरीज का आईवीएफ द्वारा उपचार सम्भव था। 
डॉ.वाजपेयी नें बताया कि पीएमसीएच आईवीएफ में उपलब्ध विष्वस्तरीय चिकित्सकों की टीम के चलते मरीज की सभी बीमारियों को नियंत्रित किया गया जिसके चलतें आखिरकार वह दिन आ गया जिसका परिवार को बडी वेसब्री से इन्तजार था और महिला ने बच्चों को जन्म दिया।
परिजनों का कहना है कि हम तहे दिल से पीएमसीएच आईवीएफ की टीम और चेयरमैन राहुल अग्रवाल एवं प्रीति अग्रवाल का धन्यवाद करते है जहॉ हमें सोहार्दपूर्ण वाताबरण,सबसे कम खर्चे एवं कुषल डाक्टर्स की टीम ने सभी मुसीबतो से निजात दिला कर बच्चें के सुख का दोबारा अनुभव कराया है। 
चेयरमैन राहुल अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सा का पेशा मानव सेवा और परोपकार का कार्य है जिसके चलते परेशान लोगों के चेहरों पर खुशियां लाकर ही सेवा के इस काम को अच्छे तरीके से किया जा सकता है।

 


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