भगवान महावीर ने लिया मानवता के दुखो का संहार करने अवतार

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Published on : 29 Aug, 22 08:08

श्रावक श्राविकाओं ने ली अणुव्रत की शपथ

भगवान महावीर ने लिया मानवता के दुखो का संहार करने अवतार

उदयपुर । पर्युषण पर्व के पांचवे दिन अणुव्रत दिवस पर रविवार को तेरापंथ भवन में शासनश्री मुनि सुरेश कुमार ने बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को अणुव्रत के ग्यारह नियमों की शपथ दिलाई।
मुनि सुरेशकुमार ने कहा कि मुनि महाव्रती होते है और श्रावक अणुव्रत के आराधक होते है। छोटे-छोटे नियम जीवन में बड़े बड़े बदलाव ले आते है। व्रत बंधन नहीं बंधन मुक्ति का रास्ता है। समस्याओं का जन्म आवश्यक्ताओं के आसमान को उंचा करने से होता है। अणुव्रत स्वस्थ समाज के सृजन का किरदार निभाता है। आज पूरा देश बारूद के ढेर पर खड़ा है, अणुबम के युग में अणुव्रत जीवन में परम शांति को पाने का सर्वाेच्च माध्यम है।
मुनि सम्बोधकुमार ‘मेधांश‘ ने रानी त्रिशला के 14 महास्वप्न, रानी त्रिशला को गर्व की सुरक्षा की सीख के प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुए, भगवान महावीर के जन्म कल्याणक का रोमांचक विश्लेषण किया। उन्होने कहा कि माँ के साथ गर्भ में बीते पल ही बच्चे का भविष्य तय करता है। बच्चों में निवेश करने की अगर सर्वश्रेष्ठ सौगात है तो वह है समय। अभिभावक की परवरिश तय करती है कि वे अपने अंश को आतंकवादी बताए या मसीहा। मुनि ने जैन समाज को शादी-विवाह में सीमीत आइटम्स रखने व पूल पार्टीज से दूर रहने की परंपरा शुरू करने का आह्वान किया।.
सभा मंत्री विनोद कच्छारा ने पर्युषण कालीन सुचनाएं प्रेषित की। इस दौरान 50 लोगो द्वारा किए जा रहे पचरंगी तप सम्पन्न हुआ। रात्रिकालीन कार्यक्रम के तहत तंत्र-मंत्र-यंत्र विषय पर विश्लेषण करते हुए मुनिश्री नेे मंत्र-साधना विधी निषेध, स्थान माला संख्या, दिशा, व तंत्र विद्ययाओं के मुक्ति मंत्र निर्माण की विधि की जानकारी दी।


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