11 वर्षो बाद सर्वपितृ अमावस्या पर बनेगा गजछाया योग

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Published on : 06 Oct, 21 06:10

इस मुहुर्त में श्राद्ध तर्पण होता है विशेष शुभ, तथा पितरों को मोक्षदायक

11 वर्षो बाद सर्वपितृ अमावस्या पर बनेगा गजछाया योग

नई दिल्ली। इस साल सर्व पितृ अमावस्या बुधवार 06 अक्टूबर को  गजछाया योग बन रहा है। इससे पहले यह योग 11 साल पहले 2010 में बना था। गजछाया योग को अत्यंत शुभ माना जाता है। 06 अक्टूबर को सूर्योदय से सूर्य और चंद्रमा शाम 04 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में होंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनता है। धर्म शास्त्र के अनुसार, गजछाया योग में श्राद्ध या तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं। श्राद्घ विवेक के अनुसार इस योग में श्राद्ध और दान करने से पितरों की क्षुधा अगले 12 सालों के लिए शांत हो जाती है। अब ये योग 8 साल बाद 2029 में बनेगा। 

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय निम्बाहेड़ा चित्तोडगढ़ के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युंजय तिवारी के अनुसार शास्त्रों में  दुनिया का सब कुछ देवताओं के अधीन है, लेकिन सन्मति, संतति, पद और प्रतिष्ठा पितृ कृपा के बिना प्राप्त नहीं होता। इसीलिए भारतीय जीवन दर्शन में पितृ पक्ष का अधिक महत्व है। यही कारण है कि श्राद्घ पक्ष के तिथियों में लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए बहुत से प्रयास तर्पण, पिंडदान, श्राद्घ ब्राह्मण भोजन आदि के करते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या के दिन गजछाया योग बन रहा है। इस दिन गजछाया योग में पितरों का श्राद्ध करें और घी मिली हुई घी का दान करें। इसके अलावा गरीबों व जरुरतमंदों को दान देना चाहिए। मान्यता है कि अन्न और वस्त्र के दान से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।

क्या होता है गजछाया योग*

वस्तुतः जब सूर्य और चंद्रमा हस्त नक्षत्र में एक साथ आए तब यह योग बनता है। गजछाया योग अत्यंत शुभ होता है। 6 अक्टूबर के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ग्रह सूर्योदय से लेकर शाम 4 बजकर 34 मिनट तक हस्त नक्षत्र में रहेंगे। इस स्थिति के कारण गजछाया योग बनेगा। धर्म शास्त्र के अनुसार इस योग में श्राद्ध करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। इतना ही नहीं, शास्त्रों के अनुसार इस योग में तर्पण-श्राद्ध करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है, इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन उन सभी अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी तिथि हम भूल चूक के होते हैं।


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