कविता-मिटा दो यह सीमाएं
-लक्ष्मीनारायण खत्री
यह नहीं इंडिया,
पाकिस्तान या बांग्लादेश
धरा है हिंदुस्तान!
देखो फिर कितना
फैला है सीमा पर खूनी जहर
ढा रहे हैं भाई-भाई पर कहर
यह कैसी हैं सीमा रेखा?
बांट दिया रास्ते में भी धोखा
दोनो तरफ
बहन भाई के रिश्ते हैं अपार
भूमि,भाषा,भोजन
रीति,गीत एक हैं संस्कार
मिटा दो यह सीमाएं
सिंध हिंद के खून
का है अपमान
दोनों तरफ
एक लोकतंत्र हो
ऐसा हो सदविचार।