डॉ. हर्ष वर्धन ने ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री के साथ कोविड-19 के प्रबंधन समेत द्विपक्षीय स्वास्थ्य सहयोग पर चर्चा की

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Published on : 14 Jul, 20 11:07

-नीति गोपेंद्र भट्ट-

डॉ. हर्ष वर्धन ने ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री के साथ कोविड-19 के प्रबंधन समेत द्विपक्षीय स्वास्थ्य सहयोग पर चर्चा की

नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने अपने कार्यालय से वर्चुअल माध्यम से ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री श्री ग्रेगॉरी एन्ड्रयू हंट के साथ द्विपक्षीय स्वास्थ्य सहयोग पर चर्चा की।

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 10 अप्रैल, 2017 को स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग का एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें मलेरिया और टीबी, मानसिक स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोग एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस, औषध विनियमन, वैक्सीन और चिकित्सा उपकरण और स्वास्थ्य ढांचे के डिजिटीकरण समेत संचारी रोगों के प्रबंधन जैसे आपसी हित के क्षेत्र शामिल हैं। इस समझौता ज्ञापन पत्र में वर्तमान कोविड महामारी जैसे आपात जन-स्वास्थ्य भी शामिल है।

चर्चा के प्रारंभ में डॉ. हर्ष वर्धन ने श्री ग्रेगॉरी हंट की उनके धर्मार्थ आयोजनों जैसे कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए पांच किलोमीटर की दौड़ और मधुमेह से पीड़ित किशोरों के बारे में जागरूकता विकसित करने के लिए उनकी सराहना की। दोनों देशों के मिलकर काम करने पर डॉ. हर्ष वर्धन ने स्पष्ट किया, ‘यद्पि ऑस्ट्रेलिया में विश्व के विकसित देशों में से श्रेष्ठ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली है, भारत में स्वास्थ्य देखभाल ढांचा बहुत तेजी से बढ़ रहे क्षेत्रों में से एक है और उम्मीद है कि यह अगले 10 वर्षों में 275 अरब पाउंड हो जाएगा। भारत की घरेलू मांग के बढ़ने से वृद्धि में पंख लग जाएंगे, भले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार की अस्थिरता आती रहे। भारत, अनुसंधान और विकास तथा चिकित्सा पर्यटन में व्यापक अवसर प्रदान करता है। भारत के पारम्परिक पूर्ण चिकित्सा प्रणालियों जैसे कि आयुर्वेद और योग ऑस्ट्रेलिया को मोटापे और इससे संबंधित बीमारियों में कमी लाने में मदद कर सकता है।’

डॉ. हर्ष वर्धन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के “सामाजिक आंदोलन के रूप में स्वास्थ्य परिदृश्य को उजागर करते हुए कहा कि भारत की सार्वभौम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली, आयुष्मान भारत के अंतर्गत देश के 100 मिलियन परिवार कवर होते हैं। पिछले एक वर्ष में एक करोड़ गरीबों को इससे फायदा मिला है। भारत 2025 तक टीबी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने उच्च रक्तचाप, ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़े, गले और मुंह आदि जैसे गैर-संचारी रोगों की व्यापक स्क्रीनिंग के भी प्रयास किए हैं। भारत ने डिजिटल हेल्थ ब्लू प्रिंट को अमल में लाने के लिए काफी काम किया है, ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र का आधुनिकीकरण किया जा सके और समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचाने के काम को सुचारू बनाया जा सके। कैंसर का उपचार करने वाली वाजिब दवाओं और हृदय रोग की बीमारियों तथा स्टेंट आदि उपकरणों को निर्धन लोगों के लिए अमृत कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री की पूर्ण सरकार के दृष्टिकोण से 40 करोड़ लोगों का वित्तीय समावेशन किया गया और स्वास्थ्य देखभाल तक उनकी पहुंच को सुगम बनाया गया।

श्री हंट ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति विश्वास का उल्लेख किया। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सल मेडिसिन ने अब तक 19 मिलियन मामलों के उपचार में मदद मिली है। इसका फोकस सरकारी और निजी अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाना है और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के दृष्टिकोण को आदर्श बनाना है, ताकि इसका अनुसरण किया जा सके। कम दाम की जेनरिक दवाओं को विश्व में दवाओं के 60 प्रतिशत भाग की आपूर्ति करने में भारत की भूमिका की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि किस तरह भारत, ऑस्ट्रेलिया को जिनॉमिक्स और स्टेम सेल टेक्नोलॉजी के इस्तेंमाल से दुर्लभ बीमारियों के नई दवाओं में अनुसंधान में मदद दे सकता है।

कोविड-19 पर नियंत्रण और इसके प्रबंधन में भारत के चिकित्सा समुदाय की भूमिका की सराहना करते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि भारत के चिकित्सा पेशेवर, अर्ध-चिकित्सा कर्मी और वैज्ञानिकों ने कोविड़-19 पर काबू पाने में महत्वूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि वे सभी दवा की खोज और वर्तमान दवाओं की री-प्रपर्जिंग में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना के शुरूआत दौर में इसके वायरस को जिनोम के अनुक्रमण से आइसोलेट किया है। उन्होंने कहा, “जनवरी 2020 में हमारे देश में केवल एक प्रयोगशाला थी, जबकि देश में इस समय 1200 से अधिक प्रयोगशालाएं हैं, जिससे लोगों को जांच कराने में सुविधा मिल रही है। भारत के दवा विनिर्माताओं ने 140 देशों को हाइड्रोक्सोकलोक्वीन की आपूर्ति करने में सहयोग दा है।”

दोनों देशों के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य और अन्य साझा हितों के क्षेत्रों में मिलकर काम जारी रखने पर सहमत हुए हैं। 


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