डॉ. हर्ष वर्धन ने “भारतीय विज्ञान के विकास में डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी के योगदान” विषय पर ई-बुक का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकार्पण किया
नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से “भारतीय विज्ञान के विकास में डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी के योगदान” विषय पर ई-बुक का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लोकार्पण किया। इस पुस्तक में सात महान लेखकों द्वारा लिखे गए सात अध्याय हैं। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री डॉ. श्याम प्रसाद मुकर्जी ने देश में वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना में उल्लेखनीय योगदान दिया। वे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के उपाध्यक्ष भी थे। इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता ने किया था।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डॉ. मुकर्जी ने देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे राष्ट्र निर्माण में विज्ञान के योगदान को अहम मानते थे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज वह स्वयं वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के उपाध्यक्ष हैं और डॉ. मुकर्जी के सपनों के अनुरूप विज्ञान को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने जम्मू-कश्मीर में परमिट से प्रवेश की व्यवस्था और धारा 370 और 35ए का विरोध करते हुए इस राज्य में प्रवेश कर समूचे भारत को संदेश दिया था कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। डॉ. मुकर्जी को जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते ही गिरफ्तार कर लिया गया और उनका वहां रहस्यमय परिस्थिति में देहावसान हो गया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सानिध्य में गृह मंत्री श्री अमित शाह ने पिछले वर्ष संविधान की इन दोनों अस्थाई धाराओं को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर और भारत का स्थायी एकीकरण कर दिया। अब नया इतिहास बना है और सबको मालूम है कि धारा 370 और 35ए जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं है। अब जम्मू-कश्मीर विकास की नई ऊंचाईयां छू रहा है। हम सब लोग डॉ. मुकर्जी से प्रेरणा लेते हैं और उनके दिखाए गए रास्ते पर आगे बढ़कर देश और समाज की सेवा करते रहेंगे।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि आज हमारे वैज्ञानिकों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दो संकल्पों को पूरा करना है, पहला- 2022 तक नये भारत का निर्माण करना और दूसरा-2030 तक भारत को विश्व के शीर्ष वैज्ञानिक राष्ट्रों में से एक बनाना। हमारे प्रधानमंत्री ने कई बार कहा है कि उन्हें वैज्ञानिकों की सामाजिक जिम्मेदारी और उनकी क्षमता में विश्वास है। आज आधुनिक वैज्ञानिकों के पास पहले से बेहतर सुविधाएं हैं। आज वैज्ञानिक श्यामा प्रसाद मुकर्जी को याद करते हुए फिर संकल्प लें कि वे सभी नई ऊर्जा और उत्साह के साथ काम करते हुए प्रधानमंत्री के इन सपनों को साकार करेंगे।