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सीएसआईआर और एफएसएसएआई के बीच खाद्य और पोषण से संबंधित सहयोगी अनुसंधान और सूचना प्रसार पर समझौता

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07 Aug 20
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सीएसआईआर और एफएसएसएआई के बीच खाद्य और पोषण से संबंधित सहयोगी अनुसंधान और सूचना प्रसार पर समझौता

 
एफएसएसएआई के लिए उसके “ईट राइट इंडिया” अभियान के लिए फूड सिस्टम विजन प्राइज की घोषणा
 
नई दिल्ली, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और भारतीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के बीच खाद्य और पोषण से संबंधित सहयोगी अनुसंधान और सूचना प्रसार पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) हस्ताक्षर समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे उपस्थित रहे। इस एमओयू का उद्देश्य खाद्य और पोषण क्षेत्र में सहयोगी अनुसंधान और सूचना प्रसार करना है।
 
एफएसएसएआई और सीएसआईआर को इस नवाचार पहल के लिए बधाई देते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि इससे दोनों प्रमुख संगठनों की क्षमता और फैकल्टी को संयुक्त प्रयास होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि एमओयू से खाद्य संरक्षा और पोषण अनुसंधान के क्षेत्र में प्रौद्योगिकियों और कार्यक्रमों की पहचान से इस क्षेत्र का विकास होगा। साथ ही सीएसआईआर के पास नवाचार प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता को मान्यता मिलेगी और इन्हें भारतीय व्यापार जगत और कंपनियों के  विनियमन में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे खाद्य उपभोग, जैविक जोखिम की घटनाओं, खाद्य में मिलावट, उभरते जोखिम की पहचान, इनमें कमी लाने की रणनीतियों और रैपिड अलर्ट सिस्टम लागू करने से संबंधित डेटा संकलन भी किया जा सकेगा। दोनों संगठन देशभर में प्रयोगशाला नेटवर्क के गुणवत्तापूर्ण आश्वासन को मजबूत बनाने की दिशा में सहयोग करेंगे ताकि खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और संरक्षा के बारे में विश्वसनीय रिपोर्टिंग के तरीकों का इस्तेमाल और वैधता सुनिश्चित की जा सके।
 
एमओयू के बारे में डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा “यह एमओयू एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है जो भारत के लिए बेहतर भविष्य बनाएगा जिससे खाद्य और पोषण, खाद्य और उपभोक्ता सुरक्षा समाधान के क्षेत्र में सहयोगी अनुसंधान और सूचना का प्रसार किया जा सकेगा। इन दो प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोग से न्यू फूड सिस्टम-2050 के विजन को पूरा करने में योगदान मिलेगा।”
 
डॉ. हर्ष वर्धन ने एफएसएसएआई को ईट राइट अभियान के लिए रॉकफेलर फाउंडेशन के पुरस्कार के लिए 10 वैश्विक संगठनों में से एक चुने जाने के लिए बधाई दी। इस संगठन को 2050 तक विकसित करने की आकांक्षा वाले पोषक फूड सिस्टम विकसित करने के प्रेरक विजन की संगठन को मान्यता मिली है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह पुरस्कार खाद्य संरक्षा और पोषण की दिशा में एफएसएसएआई के संपूर्ण और पथ प्रदर्शक दृष्टिकोण की सशक्त मान्यता है। इससे इस संगठन के विस्तार पथ का भी विजन झलकता है। उन्होंने कहा “सभी के लिए स्वास्थ्य के विजन को शारीरिक अभ्यास और दैनिक जीवन में पोषक आहार के चयन से हासिल किया जा सकता है। ईट राइट इंडिया विजन सुरक्षित, स्वस्थ्य और सतत आहार विकसित करने के बारे में है। इसमें सभी पक्ष शामिल हैं और खाद्य उत्पादन, प्रसंस्करण, वितरण, गुणवत्ता और पहचान क्षमता से संबंधित प्रौद्योगिकी का सहयोग है और इससे सही खान-पान की प्रक्रियाओं के बारे में उपभोक्ता सशक्त बनते हैं।”
 
डॉ. हर्ष वर्धन ने उजागर किया कि 2050 के न्यू फूड सिस्टम से स्वस्थ, पोषक, पौध आधारित, स्थानीय, मौसमी और स्वदेशी खाद्य, जैविक रूप से उत्पादित खाद्य की मांग में उछाल आएगा। उन्होंने कहा कि इससे यह भी स्पष्ट होगा कि जलवायु अनुकूल खाद्य उत्पादन सिस्टम, भूमि और जल संसाधन संरक्षण, भोजन के नुकसान में कमी और वेल्यू चेन के दौरान खाद्य की बर्बादी में कमी, स्वः सतत स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लघु स्तर की उत्पाद इकाइयों में वृद्धि, पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग विकल्प, बर्बादी की रीप्रपजिंग पर अधिक फोकस दिया जाएगा।
 
मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने एफएसएसएआई के लिए रॉकफेलर पुरस्कार घोषित किए जाने पर उसे बधाई दी। उन्होंने कहा “भारत द्वारा शुरू किए गए अभियान से पुरातन खाद्य परंपराओं में पारंपरिक आधुनिक बुद्धिमत्ता की बहाली में भारत नेतृत्व करेगा और नए रोजगार के अवसरों से इन उपायों को व्यवहारिक बनाया जा सकेगा और इनसे स्थानीय और ग्रामीण अर्थ व्यवस्था विशेष रूप से महिलाओं के लिए आर्थिक विकास और समानता आएगी।”
 
इस अवसर पर सीएसआईआर के महानिदेश डॉ. शेखर सी. मांडे, एफएसएसएआई के सीईओ श्री अरूण सिंघल और दोनों संगठनों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड एप्लाइड बायो प्रोसेसिंग मौहाली के डॉ. अमूल्य के पांडा, डॉ. सुदेश कुमार यादव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. अदानकी वामसी कृष्णा, सीएसआईआर और प्रयोगशालाओं के निदेशक, सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजीकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, मैसूर के निदेशक श्री केएमकेएस राघवराव, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टोक्सीकोलोजी रिसर्च, लखनऊ के निदेशक डॉ. आलोक धवन, इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बॉयो रिसोर्स टैक्नोलॉजी, पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटर डिसिप्लिनरी साइंस एंड टैक्नोलॉजी, तिरूअनंतपूरम के निदेशक डॉ. अयाप्पन पिल्लई अजय घोष और नॉर्थ ईस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टैक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. नरहरि शास्त्री डिजिटल रूप से उपस्थित रहे।


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