नई दिल्ली,केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने लीड्स इंडिया फाउंडेशन के वर्चुअल आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह आयोजन वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव विषय पर आयोजित किया गया।
डॉ. हर्ष वर्धन ने इस अवसर पर सभी का स्वागत करते हुए कल देर शाम कहा, हमारी याद करने लायक नहीं है, लेकिन इस आयोजन में हमें बदलती परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं को ढालने में मदद दी है। अब लोग प्रकृति को अच्छी निगाहों से देखने लगे हैं।” उन्होंने कहा कि देश की तैयारियों से कोविड-19 पर नियंत्रण करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा, “कोविड-19 के संकट के बारे में विश्व समुदाय को चीन द्वारा सूचना दिए जाने के भीतर सरकार ने तकनीकी विशेषज्ञों की समिति बनाकर स्थिति की समीक्षा कर ली थी। एक सप्ताह के भीतर स्थिति से निपटने के लिए राज्यों को विस्तृत परामर्श भेज दिए गए थे।”
कोविड-19 पर 30 जनवरी को गठित मंत्री समूह के अध्यक्ष के नाते अपने कर्तव्यों को याद करते हुए कहा, “देश में नोवल वायरस की जांच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे में मात्र एक प्रयोगशाला थी, जो अब देश भर में बढ़कर लगभग 1250 हो गई हैं। देश में औसतन प्रतिदिन 3.3 लाख जांच की जाती हैं और इस क्षमता को अगले 12 सप्ताह में बढ़ाकर 10 लाख कर दिया जाना है।” उन्होंने कहा, “लगभग 1400 विशेष कोविड अस्पताल, 3000 विशेष कोविड स्वास्थ्य केन्द्र और 10,000 कोविड केयर सेंटर हैं, जिनमें कुल 46,000 आईसीयू बिस्तरों ने रिकवरी रेट में सुधार कर इसे 63.33 प्रतिशत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत में मृत्यु दर 2.55 प्रतिशत है और यह विश्व में न्यूनतम मृत्यु दर वाले देशों में से एक है।”
उन्होंने कोविड-19 इनोवेशन के बारे में कहा कि इससे वैज्ञानिक समुदाय को भी योगदान देने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक दिन-रात नई दवाओं की खोज करने और वर्तमान दवाओं को री-प्रपज करने के काम में जुटे हैं। वैक्सीन विकास का काम भी तेजी से किया जा रहा है।
डा हर्ष वर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक सुधारों में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि श्रमिक सुधार के बल पर विदेशी निवेशकों और एमएनसी बहु-राष्ट्रीय कंपनियों को भारत में निवेश करने का आकर्षण मिला है। अंत में उन्होंने याद दिलाया कि भारत की सदियों पुरानी बुद्धिमतता से हम विश्व को वैश्विक गांव की तरह देखते हैं और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि में मदद मिलेगी और इसके फलस्वरूप अधिक आर्थिक सुधार किए जा सकेंगे।