- राष्ट्रीय तेजवीर सेना ने की राज्य सरकार से विशेष जांच की मांग
हनुमानगढ़। इंदिरा गांधी नहर परियोजना में क्लोजर लेकर रिलाइनिंग और बेड निर्माण के मरम्मत कार्यों में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। अनुबंधकों से करोड़ों की रिकवरी, सीमेंट, रेक्रोन, एचडीपीइ ब्लैक शीट जैसी गुणवत्ताहीन निर्माण सामग्री, सेफ्टी संसाधन, निर्माण सामग्री जांच लैबोरेट्री, मजदूरों की सुरक्षा व मूलभूत सुविधाएं, अधिकारियों की मॉनिटरिंग सहित टेंडर के रेटों में फर्क में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के आधार पर राष्ट्रीय तेजवीर सेना ने राज्य सरकार से जांच की मांग की है।
राष्ट्रीय तेजवीर सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष और प्रवक्ता अनिल जान्दू ने बताया कि इस वर्ष गत मार्च-अप्रैल माह में आईजीएनपी क्लोजर में हुए निर्माण कार्यों के दौरान प्रत्येक बुर्जी से सिल्ट यानी रेता अनुबंधको द्वारा निकाला गया। कहीं कम तो कहीं ज्यादा के हिसाब से प्रत्येक बुर्जी पर लगभग 8 से 12 फुट तक रेता निकलता है। इस रेते (सैंड) की अनुबंधक को काटे जाने वाले बिलों में से जल संसाधन विभाग रिकवरी करता है। यदि औसतन प्रति बुर्जी से कम से कम 8 फूट रेता ही निकलना माना जाए तो रिकवरी 10 लाख रुपए होती है। इस बार 250 बुर्जियों पर निर्माण कार्य हुए है। 250 बुर्जियों का 10 लाख के हिसाब से करीब 25 से 30 करोड़ का सरकारी राजस्व जल संसाधन विभाग से सरकार को मिलना था, लेकिन ऐसा इस बार नहीं हो पाया। मिलीभगत के चलते बिलों में नाममात्र की रिकवरी दिखा कर खानापूर्ति कर ली गई वहीं अनुबंधक (ठेकेदार) नहर के पटड़ों पर पड़े करोड़ों के सिल्ट रेते को निर्माण सामग्री बेचने वाले दुकानदारों, मकान-भवन बनाने वालों को बेच गए या फिर बेच रहे हैं? अनिल जान्दू ने बताया कि इस बार हुई नहरबंदी में जब पानी कम हुआ तो कई स्थानों पर प्रत्यक्ष देखने में आया कि रिलाइनिंग और बेड में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ी हुई थी। दिखावे के लिए चाहे सीमेंट कितनी ही बढ़िया क्वालिटी का लगाया या सस्ता-महंगा सीमेंट मिक्स कर दिया हो या फिर उस ब्रांड कम्पनी के खाली बैग जगह-जगह निर्माण स्थल पर बिखेर दिए गए हो अगर उसमें निर्धारित मात्रा में रेक्रोन नहीं डाला गया तो दरारें पड़नी निश्चिंत है। बेड लेवल में लगाया जाने वाला ब्लैक एचडीपीई जिसका मानक 500 माइक्रोन और मार्का आईएसआई होना चाहिए। इस बार मोनिटिरिंग अभाव या फिर मिलीभगत के चलते जहां अनुबंधको ने निर्माण कार्यों में इन दोनों महत्वपूर्ण सामग्री में भारी कोताही बरती गई। सुचारू मॉनिटरिंग के अभाव के चलते तो इस बार निर्धारित समय सीमा में निर्माण कार्य भी पूर्ण नहीं हो पाएं, वे भी आधे-अधूरे रह गए। बिरधवाल हैड पर कई बुर्जियों पर नहर के अंदर मिट्टी के बड़े-बड़े ढेर समय पर नहीं निकालने से अन्तिम दिनों तक पड़े रहे और नहर में देरी से छोड़ा गया पानी भी आ गया। जिसका खामियाजा बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर तक गाद भरे मटमैले पानी से आमजन को पेयजल से लेकर तो फिल्टर चौक हो जाने से जलदाय विभाग को उठाना पड़ा। राज्य सरकार द्वारा विशेष कार्यों के लिए सिर्फ क्लोजर के 60 दिनों हेतु एक स्पेशल महिला अधिकारी नियुक्त करने के बावजूद निर्माण साइडों पर जहां सुरक्षा को लेकर अनदेखी हुई वही स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं भी मजदूरों को उपलब्ध नहीं करवाई गई। राष्ट्रीय तेजवीर सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल जान्दू ने राज्य सरकार को लिखे पत्र में टेंडर दस्तावेजों की प्रतियां संलग्न कर उल्लेख किया है कि आईजीएनपी के निर्माण कार्यों के टेंडरों में भी एक बड़ा घोटाला हुआ है। जहां एक जैसे कई निर्माण कार्य 6 बिलों से 8 अबो तक गए हैं तो कई निर्माण कार्य 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत अबो गए हैं। जान्दू ने रेट निर्धारित करने वाली बीएसआर कॉपी भी साथ लगाई है। जान्दू ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना में मुख्य कैनाल के साथ-साथ अनूपगढ़ शाखा और सूरतगढ़ ब्रांच की विभिन्न शाखाओं में 60 दिन के क्लोजर में आरडी 200 से 620 के बीच करीब 65 किलोमीटर में रिलाइनिंग और बेड निर्माण कार्य में 739 करोड रुपए खर्च हुए हैं। न्यू डवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से 3291.63 करोड़ ऋण लिया गया है। जिसमें 30 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन कर रही है। एनडीबी ने प्रथम चरण में 1037.25 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया। यह राशि खर्च की जा चुकी है। अब एनडीबी ने 2254.38 करोड़ का अनुबंध और स्वीकृत किया है । इसी राशि से आईजीएनपी और शेष अन्य वितरिकाओं की रिलाइनिंग का काम करवाया जा रहा है। इंदिरा गांधी फीडर और इंदिरा गांधी मुख्य नहर की 179.53 रिलाइनिंग प्रस्तावित है। रिलाइनिंग का काम 2018 से शुरू हुआ था। 2020 में कोविड-19 की वजह से बंदी नहीं ली गई। बाकि अब तक प्रत्येक वर्ष बंदी लेकर काम करवाया जा रहा है। तेजवीर सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल जान्दू ने कहा कि बड़ी हैरानी करने वाली बात है कि कांग्रेस शासन में हुए गुणवत्ताहीन कार्यों और ठेकेदारों से रिकवरी पर भाजपा के किसी भी नेता ने एक शब्द में नहीं बोला और वही इस बार निर्माण कार्यों को लेकर अंतिम नहरबंदी होनी थी लेकिन लापरवाह अधिकारी तय अवधि में रिलाइनिंग निर्माण कार्य पूरा नहीं करवा सके यानी कि अब अगले साल बेवजह फिर मजबूरन नहरबंदी लेनी पड़ेगी जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को ही उठाना पड़ेगा तो फिर क्षेत्र के किसान संगठनों ने क्यों नहीं आवाज उठाई। क्यों मौन धारण करे रखा। अनिल जान्दू ने बताया कि इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन एवं आईजीएनपी डॉ. सुबोध अग्रवाल से दूरभाष पर वार्ता कर पूरे प्रकरण से अवगत करवाया गया है अगर राज्य सरकार जल्द ही इस प्रकरण में संज्ञान नहीं लेती है तो फिर केंद्रीय जांच एजेंसियों के संज्ञान में मामला लाया जाएगा।